जलकुंभी (Common water hyacinth) जिसे लोग सोख समुंदर पौधे के नाम से भी जानते हैं। यह एक जलीय पौधा है जो तालाब, झीलों या नदियों में देखने को मिलता है। जानकारी के अनुसार इसे लोग पानी से इसलिए उखाड़ फेंकते हैं कि ये जल से ऑक्सीजन को सोख लेता है। जिस कारण जल में रहे जीवों को हानि पंहुचती है और ये मर भी जाते हैं। लेकिन जलकुंभी कम नहीं होते कि आप इसे आसानी से उखाड़ सकें या फिर जङ सहित बाहर निकाल सकें। इसे जल से हटाकर जल को साफ रखने के लिए करोड़ो रूपये खर्च हो चुके हैं पर आज तक इनसे पूरी तरह छुटकारा नहीं मिला है।
जलकुंभी जैसे बेकार पौधे से भी कुछ उपयोगी चीज बनाया जा सकता है। सुनकर थोङी देर के लिए आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है। आज के हमारे इस लेख में आप हमारे देश की उन लड़कियों से रू-ब-रू होंगे जिन्होंने जलकुंभी से निजात पाने हेतु उनका उपयोग ऐसे कार्य के लिए जो बेहद उपयोगी साबित हुआ। उनके इस कार्य से वहां के लोगों को रोजगार भी मिला और जलकुंभी से होने वाली परेशानियों से छुटकारा भी। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
जलकुंभी से किया बायोडिग्रेडेबल योगा मैट का निर्माण
हमारे देश के असम राज्य में कुछ लड़कियों ने एकजुट होकर एक ऐसा कार्य किया जिससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ लाभ भी मिला। यह कार्य जलकुंभी से योगा मैट निर्माण करने का है। जब असम के डिपोर बील झील में बहुतायत मात्रा में जल कुंभियां बढ़ने लगी तो इसको लेकर लोगों की परेशानियां भी बढ़ने लगी। तब यहां की सीता दास (Sita Das) मामोनी दास (Mamoni Das) मिताली दास (Mitali das) रोमी दास (Romi Das) तथा भानिता दास (Bhanita Das) ने इसका हल निकाला और उन्होंने इन जलकुंभी से बायोडिग्रेडेबल योगा मैट का निर्माण प्रारंभ किया। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
प्रोजेक्ट को धाम दिया “सीमांग”
उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को बेहद खूबसूरत नाम दिया सीमांग (Seemang)। जानकारी के अनुसार इस योगा मैट के कार्य पर लगभग 1 वर्ष का समय दिया गया तब जाकर यह मैट तैयार हुआ। इस मैट का नाम उन्होंने इस झील पर आने वाली एक पक्षी के नाम पर रखा। इस पक्षी का नाम “पर्पल मुरहेन ” है और यह का नाम मैट “काम सोराई” है। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
मिताली दास ने यह कहा कि हम सभी यह चाहते थे कि हम इससे कुछ इस चीज का निर्माण करें जो लोगों के लिए उपयोगी हो। हम बुनाई जानते थे और हमारे पास कुछ ऐसे सामान भी थे जिससे हम इसे नया रूप दे सकें इसीलिए हमने इस प्राकृतिक चीज को एक ऐसी चीज में बदल दिया जो सबके लिए उपयोगी है। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
मिला है 38 महिलाओं को रोजगार
ऋतुराज दीवान जो कि नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर ट्रेनिंग एंड रिसर्च एंड सीमांग कलेक्टिव प्राइवेट लिमिटेड (North east center for training & reserch & seemang collectives PVT LTD) के संस्थापक हैं उन्होंने यह बताया कि इस मैट के निर्माण में निर्माली बरुआ का उपयोग किया जाता है। यह मैट बनने में लगभग 3 सप्ताह का समय लग जाता है और यहां लगभग 38 महिलाएं काम कर रही हैं। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
ऐसे होता मैट का निर्माण
मैट के निर्माण का पहला प्रोसेस यह है कि उसे पानी से बाहर निकालकर सूखने के लिए धूप में छोड़ देना। अगर आप 12 किलो जलकुंभी को जल से बाहर निकाल कर धूप में छोड़ते हैं तो यह सुख कर मात्र 2 किलो के हो जाते हैं। जब ये जलकुंभी अच्छी तरह सूख जाते हैं तो स्टेम को रुई के धागों के साथ बुनाई की जाती है और फिर मैट का निर्माण होता है। ये मैट 1200-1500 रुपए तक बिकते हैं। वर्ष 2021 के विश्व योगा दिवस के दिन इस मैच को लांच किया गया। -Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth
असम की लड़कियों द्वारा किया जाने वाला कार्य (जलकुंभी से मैट का निर्माण) बेहद सराहनीय है इसके लिए The Logically उनकी सराहना करता है। और ये उम्मीद करता है कई बायोडिग्रेडेबल मैट लोगों को पसन्द आएगा और इसकी डिमांड भी खूब बढ़ेगी। –Aasam girls made biodegradable mats from hyacinth