कितने दुःख की बात है कि मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नित-नये विकास के बावजूद भी आज कई बिमारियां ऐसी हैं जिनका कोई उचित इलाज नही है, उन्ही में से एक है ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’(Autism Spectrum Disorder)। ये बिमारी अधिकतर बच्चों में होती है और यह उनमें जन्म के समय से ही पाई जाती है।
इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि 1.073 आबादी वाले झारखंड के राजधानी क्षेत्र रांची में आज भी ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’ बिमारी के लिए मेडिकल सुविधाओं का अभाव है। जिसकी वजह से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए उनके माता-पिता को राज्य के बाहर धक्के खाने पड़ते हैं।
इसी दिशा में, रांची की रहने वाली देविका भादुड़ी ने ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’ से जूझ रही अपनी तीन साल की बेटी के लिए मेडिकल सुविधाओं के अभाव से प्रेरित होकर अन्य ऑटिज़्म पीड़ित बच्चों के लिए एक ‘ऑट्रीट वेलनेस सेंटर’ की स्थापना की है।
देविका ने पीड़ित बच्चों के लिए ‘ऑट्रीट वेलनेस सेंटर’ बनाया है
रांची(Ranchi) निवासी देविका भादुड़ी(Devika Bhaduri) की तीन वर्षीय बेटी भी अपने जन्म के समय से ही ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’(Autism Spectrum Disorder- ASD) से जूझ रही है। जब देविका भादुड़ी को पता चला कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ितों की मदद के लिए रांची में कोई उचित मेडिकल सुविधा नहीं है, तो उन्होंने कुछ ऐसा करने की योजना बनाई जिससे उनकी बेटी जैसे ही अन्य ‘ऑटिस्टिक’ बच्चों की मदद हो सके। अपने इसी विचार को आकार देने के लिए देविका ने एक ‘ऑट्रीट वेलनेस सेंटर’ (Autreat Wellness Centre) की शुरुआत की है। जिसमें इस बीमारी से पीड़ित अन्य बच्चों के लिए व्यावसायिक और भाषण चिकित्सा (Occupational and Speech Therapy)का प्रयोग किया जाता है।
क्या होता है ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’
‘ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर’ एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित बच्चे का दिमाग एक सामान्य बच्चे की तुलना में कम काम करता है। क्योंकि दिमाग का विकास बचपने से ही शुरू होता है इसलिए ‘ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर’ के लक्षण बच्चों में तीन साल की उम्र से दिखने शुरू हो जाते हैं। डॉक्टर्स की भाषा में ‘ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर’ का अर्थ ‘न्यूरोडेवलपमेंटल तंत्रिका विकास’ संबंधी स्थितियों से होता है। जिसमें ऑटिज्म और एस्परजर सिंड्रोम जैसी परिस्थियां भी शामिल होती हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे जल्दी किसी दूसरे शख्स के साथ कनेक्ट नहीं कर पाते हैं। उनके बर्ताव, बोलने के तरीकों और काम के करने के तरीकों में भी एक सामान्य बालक की तुलना में काफी अंतर होता है।
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रांची में ASD के इलाज के अभाव ने ‘ऑटिच वेलनेस सेंटर’ निर्माण की प्रेरणा दी
देविका कहती हैं- “2008 में हमारी बेटी में ASD बिमारी के बारे में पता चला। रांची में इस बिमारी के लिए किसी उचित अभाव के चलते हमे अपनी बेटी के लिए अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ा।हालात यह थे कि हमें चिकित्सा और उपचार के लिए नियमित रूप से कोलकाता, वेल्लोर और बैंगलोर की यात्रा करनी थी। फिर, मेरे पति सौम्य के भादुड़ी और मैंने फैसला किया कि क्यों न एक ऐसा वेलनेस सेंटर स्थापित किया जाए, जो एक छत के नीचे हर सुविधा उपलब्ध करवाए, ताकि ऑटिज़्म से ग्रसित अन्य बच्चों व उनके माता-पिता को उन समस्याओं का सामना न करना पड़े, जिसका सामना हमें करना पड़ा था।”
वेलनेस सेंटर की स्थापना के लिए वित्त की कमी को भी झेला भादुड़ी दंपत्ति ने
Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक देविका कहती है- “सच तो यह है कि इस ऑटिज़्म वेलनेस सेंटर की योजना को साकार करने के लिए बहुत से धन की आवश्यकता थी, कोई भी बैंक या संस्थान हमारी परियोजना को वित्त देने के लिए तैयार नहीं था, सब आवश्यक सुविधाओं एवं उपकरणों का प्रबंधन हमें स्वंय ही करना था”
ऑक्यूपेशनल और स्पीच थैरेपी से किया जाता है बच्चों का इलाज
‘ऑट्रीट वेलनेस सेंटर’ के पास ऐसे बच्चों को व्यावसायिक और भाषण चिकित्सा(Occupational and Speech Therapy) देने के लिए सबसे आधुनिक उपकरण के इंतज़ाम किये गये है। केंद्र में भारतीय पुनर्वास परिषद में पंजीकृत कर्मचारी जो पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं उनकी नियुक्ति यहां कि गई है। वर्तमान में केंद्र में 35 से अधिक बच्चे हैं धीरे-धीरे ASD से जूझ रहे बच्चों के माता-पिता ने इस केंद्र के बारे में जानना शुरू कर दिया है और अपने बच्चों को यहां लेकर आते हैं जिससे उनकी स्थिति में सुधार आये और उन्हे आगे बढ़ने का मौका मिला।
भविष्य में ऑटिस्टिक बच्चों के लिए ‘डे केयर स्कूल’ भी बनाना चाहती हैं देविका
देविका के पति सौम्य कांति भादुड़ी को केंद्र की उपलब्धियों पर गर्व है। वे कहते हैं –“शुरू में हमने अपनी बेटी के उपयोग के लिए उपकरण खरीदने की योजना बनाई, बाद में हमने सोचा कि दूसरों को भी इन उपकरण से लाभ उठाना चाहिए। हम अब ऐसे बच्चों के लिए ‘डे केयर स्कूल’ बनाने की योजना भी बना रहे हैं, ताकि उनके पास अन्य बच्चों का साथ हो, जो बेशक ही इनके इलाज में मदद करेगा, इन माता-पिता से शुल्क के रूप में जो कुछ भी एकत्र किया जाता है उसका उपयोग केंद्र के विकास के लिए किया जाता है”
सभी आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था है ऑट्रीट वेलनेस सेंटर में
इस सेंटर में सभी अद्वितीय व आधुनिक उपकरण हैं, जैसे कि एक आयातित बुलबुला ट्यूब (Imported Bubble Tube), जो बच्चों को जल्दी से ठीक करने में सक्षम बनाता है। वर्तमान में एक छत के नीचे सभी सुविधाएं पाकर माता-पिता खुश हैं। रांची का यह एकमात्र ऐसा ऑटिज़्म वेलनेस संस्थान है, जहां सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। केंद्र नियमित रूप से नए और आधुनिक उपकरणों को लाकर अपग्रेड कर रहा है। अब ऐसे बच्चों के पेरेंट्स को उनके इलाज के लिए बड़े शहरों की यात्रा नहीं करनी पड़ती।
बता दें कि 2018 में INCLEN ट्रस्ट इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 10 वर्ष से कम आयु के भारत में 100 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित होता है।