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जरूरतमंदों को भोजन मिल सके इसलिए 33 सालों से चला रहे हैं लंगर, 82 साल के उम्र में भी हौसला कम नही

हमें अपने आसपास हर तरह के लोग मिल जाएंगे। कुछ ऐसे लोग होंगे, जो अपने फायदे के लिए किसी को भी नुक्सान पहुंचा सकते हैं। वही कुछ बाबा करनैल सिंह खैरा (Baba Karnail Singh Khaira) जैसे भी लोग हैं, जो बिना स्वार्थ के लोगों की सेवा में लगे हैं। सेवा भावना रखने वाली सिख कम्यूनिटी पिछले कई सालों से विभिन्न लंगरों के माध्यम से भूखों का पेट भरते आ रही है। -Baba Karnail Singh Khaira provides free food to people

Baba Karnail Singh Khaira provides free food to people.

अब तक 30 लाख से ज़्यादा लोगों को करा चुके हैं भोजन

आज हम सिख बाबा करनैल सिंह खैरा की बात करेंगे, जिन्होंने अबतक 30 लाख से ज़्यादा भूखों का पेट भरा है। महाराष्ट्र के यवतमाल एनएच-7 के करंजी गांव के पास प्लास्टिक की चादरों से ढ़ंके एक टीनशेड में 82 वर्षीय बाबा करनैल भूखों के लिए लंगर चलाते हैं।

पिछले 33 सालों से चला रहे लंगर

महामारी के समय भूखे मुसाफ़िरों के लिए यह लंगर बहुत मददगार साबित हुआ। यहां से गुजरने वाले ज्यादातर व्यक्ति गुरु का प्रसाद चखकर ही आगे बढ़ते हैं। बाबा करनैल सिंह खैरा (Baba Karnail Singh Khaira) के इस लंगर की शुरूआत सन् 1988 में हुई थी और ये पिछले 33 साल से लगातार चल रही है। वहीं अब तक यहां 30 लाख से ज़्यादा लोग भोजन कर चुके हैं।

कोरोना के दौरान कराए ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध

कोरोना महामारी के दौरान लंगर के साथ-साथ बाबा खैराजी ने 15 ऑक्सीजन सिलेंडरों के साथ मुफ़्त ऑक्सीजन सेवा भी शुरू की है। यह सेवा कोविड से पीड़ित मरीज़ों के लिए है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर जुटाने में असमर्थ है या जिन्हें वक़्त पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। यहां आने वाले मुसाफ़िरों का स्वागत बाबा खैराजी खुद मुस्कुराकर करते हैं। -Baba Karnail Singh Khaira provides free food to people.

17 लोग करते हैं इस लंगर में काम

बाबा करनैल सिंह खैरा (Baba Karnail Singh Khaira) के लंगर में 17 लोगों की टीम है, जो दिन-रात सेवा में लगी रहती है। इन 17 लोगों में से 11 खाना पकाते हैं और बाकी सब्ज़ी काटने का काम करते हैं। इस लंगर में ना केवल इंसान को बल्कि बेज़ुबान जानवरों को भी खाना खिलाया जाता है। हर रोज यहां कुत्ते, बिल्ली तथा गाय को भोजन करते देखा जा सकता है।

कई जगहों से मिलती है आर्थिक मदद

लंगर के कार्य के लिए खैराजी बाबा के छोटे भाई गुरबक्श सिंह (Gurbaksh Singh) आर्थिक रूप से मदद करते हैं। वे हर वक़्त न्यू जर्सी में ही रहते हैं। इसके अलावा अब अन्य जगहों से भी बाबा को आर्थिक मदद मिल रही है। यह लंगर गुरुद्वारा भगोद साहिब से जुड़ा है, जो वहां से 11 किमी दूर जंगल में है। यहां सन् 1705 में सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी रुके थे।

जानकारों की माने तो लॉकडाउन के शुरुआती 10 हफ़्तों में उन्होंने 15 लाख से ज़्यादा लोगों को भोजन कराया था। बाबा करनैल सिंह खैरा (Baba Karnail Singh Khaira) का यह अद्भुत कार्य सराहनीय है। -Baba Karnail Singh Khaira provides free food to people

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बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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