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सुबह खेती करने के बाद जाती है स्कूल, महज 13 साल की उम्र से परिवार का खर्च उठाने वाली बेटी: Babita Rawat

Covid-19 वैश्विक महामारी के कारण हर व्यक्ति परेशान है। बहुत सारे प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण अपने घर आ गये हैं। कुछ लोग 2 वक़्त की रोटी के लिए भी तरस रहें हैं। इस दौरान कुछ लोग आगे आ कर दूसरों की मदद कर रहें हैं और बाकी लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। उनमें से ही एक हैं, उत्तराखण्ड की ‘बबिता रावत’। बबिता इस दौरान अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाल कर एक आदर्श बेटी का फर्ज़ अदा कर रही हैं।

अपनी आर्थिक तंगी और और बुरे हालातों से थक कर कुछ लोग अपनी ज़िंदगी से हार मान कर बैठ जाते हैं तो वही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी लगन और परिश्रम से अपने तकदीर बदल कर सबके लिए मिसाल बन जाते हैं।

बबिता रावत (Babita Rawat) का परिचय

बबिता (Babita) उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के एक गांव सौड़ उमरेला (Umrela) में अपने परिवार के साथ रहती हैं। साल 2009 में इनके पिता की हालत बहुत खराब होने के कारण इनके परिवार के 9 सदस्यों का जिम्मा इनके ऊपर आ गया। उस समय यह 13 साल की थी। इन्होंने 13 साल की छोटी उम्र में ही खेतों में काम करना शुरू कर दिया। इनके गांव में अलकनंदा नदी बहती है जिससे मिट्टी का बहाव ज़्यादा हो जाता है। इन विषम परिस्थितियों में भी बबिता नें बंजर जमीन को हरा भरा बना दिया है।

सुबह काम करने के बाद जाती है स्कूल

बबिता प्रत्येक दिन सुबह उठ कर खेतों में काम करने जाती है। उसके बाद दूध भी बेंचती हैं। खेतों का कार्य संपन्न कर वह अपने घर से लगभग 5 किलोमीटर दूर इंटर कॉलेज में पढ़ाई के लिए भी जाती हैं। बहुत जल्द बबीता ने मशरूम की खेती शुरू कर दी जिससे उन्हें काफी मुनाफा होता है और वह अपने परिवार का खर्चा और पिता की दवाइयों का खर्चा आसानी से चला पाती है।

बबिता ने तीन बहनों की शादी भी कराई है

घर का जिम्मा संभालने के साथ-साथ बबीता ने अपने तीन बहनों की शादी भी करवाई है। इन विषम परिस्थितियों में बबीता ने जो कार्य किया है वह सभी औरतों के लिए प्रेरणा है। बबीता खेती के साथ पशुपालन भी करती है। इस लॉकडाउन के समय में भी उन्होंने गोभी, बैगन, शिमला मिर्च, भिंडी, मटर, अन्य प्रकार की सब्जियां उगा रहीं हैं जिससे उन्हें बहुत लाभ मिल रहा है।

मिलने वाला है पुरस्कार

वहां के राज्य सरकार ने उन महिलाओं को पुरस्कृत करने की बात कहीं है जो उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री “रेखा आर्या” ने वर्ष 2019-20 में जिन महिलाओं ने विशेष कार्य किया हैं उन्हें “तीलू रौतेली पुरस्कार” से सम्मानित करने के लिए बताया हैं। जिसमें बबिता भी शामिल हैं। Babita लॉकडाउन में आये मजदूर और देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। जिस तरह बबिता ने अपना घर संभाला उसके The Logically उन्हें सलाम करता है।

Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

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