जो व्यक्ति कभी खुद बाल मजदूर का शिकार हुआ था। आज वह दूसरे बच्चों को उससे मुक्त करने के लिए एनजीओ तथा कई तरह की स्कीम चला रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं वह लड़कियों की सुरक्षा के लिए भी कई कदम उठा चुके हैं। उनकी इस मुहिम से अब तक 150 लड़कियों को सुरक्षा मिल चुकी हैं।
दरअसल आज हम बात कर रहे हैं रांची के रहने वाले बैदनाथ कुमार (Baidnath Kumar) की। बैदनाथ जिस घर में जन्म लिए वह परिवार इतना गरीब था कि वह उनकी अच्छी तरह पालन-पोषण तक नहीं कर पा रहा था। ऐसे में वह 7 साल जैसी कम उम्र में काम करने के लिए मजबूर हो गए। – Baidnath Kumar from Ranchi, started wages at the age of 7 and today he has changed the lives of 5000 women and children to save their life.
बैदनाथ को Juvenile Justice Act के बारे में पता चला
बैदनाथ आर्थिक स्थिति से कमजोर होने के कारण सरकारी स्कूल में पढ़ने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (Administrative Training Institute) के मेस में काम करना शुरू कर दिए। 18 साल के उम्र में बैदनाथ को Juvenile Justice Act के बारे में पता चला। दरअसल एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स को लेक्चर हॉल में इस एक्ट के बारे में बताया जा रहा था, लेकिन बैदनाथ मेस बॉय थे इसलिए उन्हें अंदर जाना मना था। ऐसे में वह अन्य लोगों की बातें सुन कर इस एक्ट के बारे में जानकारी इकट्ठा किए।
बैदनाथ उठाए अपनी हक की आवाज
एक इंटरव्यू के दौरान बैदनाथ बताएं कि उस समय मैंने Juvenile Justice Act के विषय के बारे में जानने के बाद कुछ IAS अफसरों से बात की। इसके अलावा 14 माइनर कर्मचारियों से भी बात करके अगले ही दिन हड़ताल करने का फैसला कर लिए। एटीआई के अधिकारियों द्वारा हड़ताल की वजह पूछने पर उन्होंने कहां मेस इनचार्ज हमें टॉर्चर करता है और यह Juvenile Justice Act के खिलाफ है। ऐसे में कर्मचारीयों को रोकने के लिए अधिकारियों ने इन सभी कर्मचारियों को परमानेंट करने का फैसला कर लिया, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ किया नहीं। यह सबसे परेशान होकर बैदनाथ ने खुद को आग लगाने की धमकी दी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध
बैदनाथ की दी हुई धमकी वर्कर्स के लिए आशीर्वाद का काम कर गई। उनसे परेशान होकर सारे ATI कर्मचारियों को वापस रख लिया गया। हालांकि बैदनाथ के पास अब दूसरी नौकरी खोजने की चुनौती थी। साल 2003 में उन्हें एक सिविल कोर्ट कैंपस में फोटोकॉपी की दुकान में काम मिल गया। इस काम ने बैदनाथ की जिंदगी ही बदल डाली। अक्सर उनके दुकान पर वकील आते थे, जिनसे बैदनाथ बात किया करते थे। एक दिन बैदनाथ ने वकीलों से अपने मन की बात कह ही डाली। उन्होंने बताया कि वह बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कुछ करना चाहते है। ऐसे में कुछ वकीलों ने उन्हें अपना एनजीओ बनाने का राय दिया। – Baidnath Kumar from Ranchi, started wages at the age of 7 and today he has changed the lives of 5000 women and children to save their life.
150 बच्चों को पढ़ाने का मिला प्रॉजेक्ट
एक दिन बैदनाथ की दुकान पर कोई NGO By-Laws फोटोकॉपी करवाने आया था। बैदनाथ ने उनके लिए फोटोकॉपी करने के साथ ही अपने लिए भी एक कॉपी प्रिंट कर ली। उसके बाद साल 2004 बैदनाथ सेवा संस्थान का स्थापना किए, जिसके तहत वह महिलाओं और बच्चों को शिक्षित करना चाहते थे। बैदनाथ कहते हैं कि “मैंने रांची में स्कूल ने जाने वाले बच्चों पर सर्वे किया और पता चला कि ऐसे 7.777 बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते”। एनजीओ की शुरूआत के लिए बैदनाथ डेटा लेकर Education Project Council Director के पास गए और अपनी इच्छा बताए। डायरेक्टर को बैदनाथ का प्रपोजल पसंद आया, जिससे उन्हें 150 बच्चों को पढ़ाने का पहल अवसर मिला।
बेसहारा लड़कियों के लिए बने सहारा
अब रांची के साथ अन्य जिले खुंटी, सिमडेगा में भी इस तरह के स्कूल बन रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे के दौरान उन्हें पता चला कि गांवों में युवा हैं ही नहीं। इसके आलावा ऐसी जगहों पर लड़कियों की भी ट्रैफिकिंग की जा रही थी। इस विषय पर जानकारी इकट्ठा करने पर बैदनाथ को पता चला कि ग्रामीण इलाकों में कई सक्रिय एजेंट हैं, जो इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन बैदनाथ उन बेसहारा लड़कियों का सहारा बनने का फैसला किए। ऐसे में उन्हें जब भी इसकी खबर मिलती तो वह तुरंत CID (ADG) को मेल लिखते थे।
5000 महिलाओं और बच्चों को तस्करी से बाहर निकाले
कुछ समय बाद बैदनाथ को CID ने अपना केस साबित करने की चुनौती दे दी। ऐसे वह बिना घबराए दिल्ली पहुंच गए और वहां के एक प्लेसमेंट एजेंसी के साथ तीन महीने तक ट्रैफिकिंग करने वाली एजेंसियों के काम को समझे। इस काम को पूरी तरह समझने के बाद वह दोबारा सीआईडी के पास गया और अपनी दी गई जानकारी को वेरीफाई कराए जिससे 120 लड़कियों की जिंदगी बच गई। इसी तरह बैदनाथ अब तक 5000 महिलाओं और बच्चों को तस्करी के दलदल से बाहर निकाल चुके हैं।
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कई सम्मानों से हो चुके हैं सम्मानित
बैदनाथ ने एक 7 साल की लड़की को गोद लिया है। बता दे कि उस बच्ची के माता-पिता के बारे में कुछ भी पता नहीं हैं। यह बच्ची अभी 10वीं कक्षा में पढ़ रही है। बैदनाथ को इस नेक कम के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। यहां तक कि बैदनाथ के कार्य से पुलिस भी इंस्पायर होते हैं। बैदनाथ ने अपनी मेहनत से ना केवल अपनी जिंदगी बदली बल्कि कई लड़कियों और बच्चों की भी जिंदगी बदल दी। ऐसे व्यक्ति से हर किसी को प्रेरणा लेना चाहिए। – Baidnath Kumar from Ranchi, started wages at the age of 7 and today he has changed the lives of 5000 women and children to save their life.