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103 साल के बख्तावर सिंह आज़ाद हिंद फ़ौज के सिपाही थे, अभी भी राष्ट्रप्रेम में अनेकों कार्य करते हैं: देशप्रेम

देश सेवा की कोई नियत उम्र नहीं होती। यह किसी भी उम्र मे की जा सकती है। बस मन में सच्ची श्रद्धा और लगन होनी चाहिए। आज़ादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी क्योंकि उन्हें देश से प्रेम था और वह देश की सेवा करना चाहतें थे। आप राष्ट्र के बारे में गलत नहीं सोचते, गलत नहीं बोलते तो यह भी एक प्रकार का देश प्रेम ही है। ये तो हम जानते ही हैं कि राष्ट्र से बड़ा कोई धर्म नहीं। आज कोरोना की महामारी में हमारे देश के डॉक्टर, सैनिक, पुलिस कर्मी, देश की जनता ये सभी देश की सेवा में लगे हैं। सभी लोग अपना फर्ज निभा रहे है।

आज हम आपको एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में बताने जा रहें हैं जिन्होनें आज़ादी के समय सच्चे मन से देश की सेवा की और आज भी उनके अंदर वही जोश और जुनून है जो आज़ादी की लड़ाई के समय था। आइये जानते है, वह कौन है।




स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट ( Bakhtaawar Singh Bisht) का जन्म 18 जनवरी 1918 को चमोली जिले के श्रीकोटा (Shreekota) में हुआ था। यह एक किसान परिवार से थे। बाल्यावस्था से ही बख्तावर सिंह देश की आज़ादी का सपना देखते थे। Bakhtaawar Singh Bisht सेना का हिस्सा बनने के लिए 1940 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए। 5 वर्ष बाद 1945 में उन्होनें ब्रिटिश सेना से विद्रोह करने के बाद सुभाषचंद्र बोस की सेना INS में भर्ती हो गये। बिष्ट जी ने उस समय में देश के लिए लड़ाई लड़ी जब देश में हथियारों की कमी थी। फिर भी उन्होनें अपने जोश से यह लड़ाई लड़ी। ब्रिटिश सेना से लड़ाई लड़ने के जुर्म में ब्रिटिश हुकूमत ने बिष्ट जी को एक साल के लिए कोलकता जेल में डाल दिया। उन्हें ब्रिटिश सरकार से विद्रोह करने के आरोप में 1946 में फौज से निष्कासित कर दिया गया। तब तक चारों तरफ से आज़ादी की मांग बढ़ने लगी थी और इसके लिए लोगों की आवाजें भी उठने लगी थी। परिणामस्वरूप सुभाषचंद्र बोस की सेना INA के सामने ब्रिटिश सरकार ने अपनी हार स्वीकार कर ली।

1947 में देश आज़ाद होने के बाद बख्तावर सिंह बिष्ट ने 1948 में PSC में भर्ती हुए। 27 साल देश की सेवा किए। उसके बाद वह रिटायर हो गए। बख्तावर सिंह 103 वर्ष के हो चुके हैं लेकिन आज भी देश के लिए उनके अन्दर वही जोश और जुनून है जो आज़ादी के वक्त था। आज भी जब टीवी के न्यूज़ चैनलों पर सीमा पर तनाव की खबरों को देखते हैं तो इनके खून में उबाल आ जाता है। वह कहते हैं कि उनका शरीर वृद्ध हो चुका है, इसके बावजूद भी आज अगर देश की सुरक्षा के लिए हथियार उठाना पड़े तो आज भी वह उसी जोश और जुनून से आगे बढेंगे जैसे आज़ादी के समय थे।




बख्तावर सिंह की 3 बेटियां हैं। इनकी सेवा बीच वाली बेटी ही करती हैं। उनकी बेटी और दामाद उनको किसी भी प्रकार की कमी नहीं होंने देते हैं। बख्तावर सिंह रोज सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। वह अपने पोते-पोतियों को देश प्रेम की बातें बताते हैं। उनकी देखभाल करतें हैं। वह युवाओं को यह संदेश देते हैं कि नशे से दूर रहकर ज़्यादा से ज़्यादा युवा फौज में भर्ती हो और पूरे जज्बे के साथ देश की सेवा करे।

स्वतंत्रता सेनानी जिनका शरीर वृद्ध होने के बाद भी देश प्रेम के लिए जोश और जज्बा कम नहीं हुआ ऐसे स्वतंत्रता सेनानी को The Logically सलाम करता हैं।

Shikha is a multi dimensional personality. She is currently pursuing her BCA degree. She wants to bring unheard stories of social heroes in front of the world through her articles.

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