स्नैक फैक्ट्री में 50 रुपये की कमाई करने वाले साधारण कर्मचारी के लिए भारतीय सैन्य अकादमी तक का सफर आसान नहीं हो सकता। आरा (Aara) के सुंदरपुर बरजा गांव के 28 वर्षीय बलबंका तिवारी (Balbanka Tiwari) के लिए यह एक कठिन यात्रा रही है। उन्होंने 325 अन्य भारतीय जेंटलमैन कैडेटों के साथ पासिंग आउट परेड में भाग लेने के बाद अपनी तीन महीने की बेटी से पहली बार मुलाकात की है।
कभी करते थे 50 रुपये प्रतिदिन की कमाई
अधिकारी की वर्दी पहनकर बड़े गर्व से बलबंका ने बताया कि इस दिन को देखने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। पिता एक किसान हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वह स्कूली शिक्षा के दौरान 50 रुपये प्रतिदिन की कमाई वाली एक स्नैक फैक्ट्री में काम करते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बलबंका एक ट्यूशन शिक्षक के रूप में काम करने लगे। बलबंका कहते हैं कि मेरे पास दसवीं पास करने के बाद काम करने के अलावा कोई चारा नहीं था। -Balbanka Tiwari from Aara
पढ़ाई के दौरान करना पड़ा काम
बलबंका तिवारी (Balbanka Tiwari) बताते हैं कि साल 2008 मैट्रिक पास करने के बाद काम की खोज में ओडिशा के राउरकेला गया। वहां पहले कुछ महीनों तक उन्होंने एक लोहे की फिटिंग की फैक्ट्री में काम किया। उसके बाद एक स्नैक फैक्ट्री में 50 रुपये प्रति दिन पर काम करने लगे। हाई स्कूल पास करने के बाद वह एक ट्यूशन शिक्षक के रूप में भी काम करने लगे और अपने परिवार के पास पैसे भी भेजने लगे।
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ग्रेजुएशन के दौरान सेना भर्ती की मिली जानकारी
एक स्थानीय कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए बलबंका ने अपना दाखिला करा लिया। इस दौरान एक दिन उनके चाचा ने उन्हें बिहार में उनके घर के पास दानापुर इलाके में एक सेना भर्ती रैली की जानकारी दी। बलबंका बताते हैं कि मेरे चाचा सेना में एक सिपाही के रूप में नियुक्त हैं इसलिए मैं भी देश की सेवा करने के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित आजीविका कमाने के लिए सेना में शामिल होना चाहता था। -Balbanka Tiwari from Aara
सिपाही के रूप में सेना में हुए शामिल
बलबंका अपने दूसरे प्रयास में पास हो गए और एक सिपाही के रूप में शामिल भी हो गए। साल 2012 में उनकी पहली पोस्टिंग भोपाल (Bhopal) में सेना के ईएएमई (EAME) सेंटर में हुई। इस दौरान बलबंका को एक सिपाही से एक अधिकारी के पद पर पदोन्नत होने के लिए आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) के बारे में पता चला। उन्होंने इसकी परीक्षा पास की और जनवरी 2017 में आईएमए (IMA) में एसीसी में शामिल हो गए। वहां से बलबंका तिवारी (Balbanka Tiwari) ने एक सैन्य अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त किया।
तीन महीने की बेटी को पहली बार देखे
बलबंका तिवारी कहते हैं कि यह दिन मेरे लिए यादगार बन गया है क्योंकि उसी दिन उन्होंने अपने तीन महीने की बेटी को पहली बार देखा था। वह कहते हैं कि अब अपनी रेजिमेंट में शामिल होने से पहले अपनी बेटी के साथ कुछ समय बिताऊंगा। इस खुशी के मौके पर उनकी पत्नी रुचि अपनी मां के साथ बिहार से पहुची थी। रुचि कहती हैं कि बलबंका तिवारी (Balbanka Tiwari) ने इस दिन को देखने के लिए अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।
आज उनके सपने को पूरा होते देख मैं बहुत खुश हूं। मुझे पूरा यकीन है कि वह एक सैन्य अधिकारी के रूप में सेवा करेंगे और देश को गौरवान्वित करेंगे। कोविड-19 महामारी के कारण परिवार के केवल दो सदस्यों को ही आईएमए (IMA) की पासिंग आउट परेड में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। – Balbanka Tiwari from Aara sees daughter after completing passing out parade