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केरल के शख्स ने गेहूं और चावल के भूसी से बनाया एडिबल कप-प्लेट, इससे पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है

हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक, पर्यावरण के साथ ही हमारे लिए भी बेहद नुकसानदायक है। इसके बावजूद भी आजकल लगभग हर इन्सान प्लास्टिक पर निर्भर हो गया है, किसी को भी प्लास्टिक को छोड़कर कोई अन्य विकल्प नजर नहीं आता है। ऐसे में एक शख्स ने प्लास्टिक का अनोखा उपाय ढूंढ निकाला है। उस शख्स ने गेहूं के भूसे (Wheat Bran) से एडिबल टेबल वियर बनाने का तरीका खोजा है, जो पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद है।

ऐसे में आइए जानते हैं उस शख्स और उसके द्वारा ढूंढें गए उपाय के बारे में विस्तार से-

कौन है वह शख्स?

हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे हैं उनका नाम विनय कुमार बालाकृष्णन (Vinay Kumar Balakrishnan) है और वे केरल (Kerala) के एर्नाकुलम के रहनेवाले हैं। उन्हें प्रकृति से बहुत अधिक लगाव है। वे वर्ष 2013 तक मॉरीशस की एक कंपनी में CEO के पद पर कार्य कर चुके हैं। कई वर्षों तक बैंकिंग और इंश्योरेंस कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने खुद का कुछ करना चाहा। वे कुछ ऐसा करना चाहते थे, जो पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली और प्रकृति से जुड़ा हो।

Balakrishnan

खोज निकाला प्लास्टिक का विकल्प

बालाकृष्ण का कहना है कि, वे प्लास्टिक विरोधी है इसलिए उन्हें किसी ऐसे प्रोडक्ट की तलाश थी, जो प्लास्टिक का बेहतर विकल्प बन सके और उससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान न हो। इसके लिए उन्होंने चावल और गेहूं के भूसे से डिस्पोजल क्रॉकरी बनाने के लिए शोध शुरु किया। उन्होंने यह पाया कि लोग जिस भूसे को फेंक देते हैं असल में वह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

कैसे आया बायोडिग्रेडेबल क्रॉकरी बनाने का ख्याल?

जैसा कि आप जानते हैं केरल में केले के पत्तों पर खाना परोसा जाता है, जो भारतीय संस्कृति है और उससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। यही से बालाकृष्णन की आइडिया आया और उन्होंने “तुशान” (Tooshan) नामक स्टार्टअप की नींव रखी। बता दें कि, मलयालम में केले के आधे कटे पत्ते को “तुशनिला” कहा जाता है। इसलिए बालाकृष्णन ने अपने स्टार्टअप का नाम Tooshan रखा।

Edible Cutlery

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खुद से मशीन बनाकर शुरु किया उत्पाद बनाना

बालाकृष्णन ने अपने स्टार्टअप से पहले कई रिसर्च किए, जिसमें उन्हें जानकारी मिली कि पोलैंड की कंपनी गेहूं के भूसे से क्रॉकरी बनाती है। उसके बाद बालाकृष्णन ने उस कंपनी से भारत में भी प्लांट लगाने के लिए कहा, लेकिन कंपनी ने इंकार कर दिया। उसके बाद लगभग डेढ़ वर्षो के बाद बालाकृष्णन ने खुद की मशीन बनाई और उससे प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। उनकी यह मशीन रोबोटिक है, जिसे ऑपरेट करने के लिए सिर्फ एक कर्मचारी की जरुरत है। हालांकि, उनके इस काम में CSIR -NIIST ने भी सहायता की।

उपयोग में लाने के बाद क्रॉकरी को खा भी सकते हैं

वर्तमान में बालाकृष्णन कप, प्लेट, बाउल, चम्मच और स्ट्रो का निर्माण भी करते हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद एक खाया भी जा सकता है। वहीं इनके द्वारा बनाई गई क्रॉकरी का इस्तेमाल माइक्रोवेव में भी किया जा सकता है। “तूशान” कंपनी द्वारा बनाए गए सभी प्रोडक्ट बायोडिग्रेडेबल (Biodegradable) हैं। बता दें कि, यदि कोई इस क्रॉकरी को खुद नहीं खाना चाहता तो वे इसे जानवरों को खिला सकते हैं। इसके अलावा क्रॉकरी मिट्टी में खाद की तरह काम करती है।

कहीं भी कर सकते हैं इस्तेमाल

“तूशान स्टार्टअप” (Tooshan Startup) के लिए बालाकृष्णन को कई संस्थानों से इन्कयूबेशन भी मिला है। इसके अलावा उनके इस काम को संयुक्त राष्ट्र के डेवलपमेंट कार्यक्रम में भी पहला स्थान मिला था। बालाकृष्णन द्वारा बनाए गए सभी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आप फ्लाइट, रेलवे, अस्पताल, केटरिंग और कैंटीन आदि में भी कर सकते हैं।

विनय कुमार बालाकृष्णन (Vinay Kumar Balakrishnan) ने पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection) की दिशा में बेहद प्रशंसनीय कार्य किया है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं होगा। The Logically, बालाकृष्णन द्वारा खोजे गए प्लास्टिक के विकल्प की सराहना करता है।

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