आजकल के आधुनिक युग में बच्चों में धर्म के प्रति रुझान कम देखने को मिलता है। बच्चे अब आधुनिक बनते जा रहे हैं और इसलिए वह धर्म से कम जुड़ रहे हैं। प्राचीन काल में गुरुकुल होती थी जहां बच्चों को धार्मिक ग्रंथों के बारे में बताया जाता था, पर अब ऐसा देखने को नही मिलता है। पर आज हम आपको एक ऐसी छोटी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं जो अत्यंत धार्मिक है। (Bansuri Raman Patna Bihar) आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि इस चार साल की छोटी बच्ची ने अनेक धार्मिक ग्रंथों को याद कर लिया है। आइये जानते हैं इस बच्ची के बारे में।
बांसुरी रमन का यह वीडियो देखिए
अच्छे संस्कार देना आवश्यक
अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देना हर माता-पिता का कर्तव्य होता है। समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए शिक्षित समाज जरूरी है। अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी आवश्यक है। हम जिस अनोखी बच्ची के बारे में बता रहे हैं उसका नाम बांसुरी है। बांसुरी बिहार की राजधानी पटना (Patna Bihar) में अपने माता-पिता और एक छोटे भाई के साथ रहती है।
बाकी बच्चों से अलग बांसुरी
बांसुरी के बारे में अगर आपको बताएं तो वह बाकी बच्चों से बिल्कुल अलग है। जहां एक ओर आज के आधुनिक युग में बच्चों के अंदर धर्म (Religion) से लगाव कम है तो वहीं बांसुरी को धार्मिक किताबों को पढ़ना और उन्हें याद कर लेना उसे अच्छा लगता है और यही कारण है कि बांसुरी ने कई धार्मिक किताबों को कंठस्त कर लिया है।
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कई धार्मिक किताब कंठस्त
बांसुरी को अनेक धार्मिक किताबों का अच्छा ज्ञान (Knowledge of Religious Books) है। उसे श्रीमद्भगवतगीता, रुद्राष्टकम, शिव-तांडव स्तोत्रम, श्री भगवती स्तोत्र, अच्युताष्टकम, विंधेश्वरी स्तोत्र, शिव पुराण, विष्णु पुराण, मधुराष्टकम्, शिवपंचाक्षर स्तोत्र, महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, आदि का समुचित ज्ञान है। जहां एक और आजकल के आधुनिक बच्चों को एक स्तोत्र भी याद नहीं रहता है वहीं बांसुरी को मात्र 4 साल की उम्र में ऐसे कई मंत्र याद हैं जो उसे बाकी बच्चों से अलग करती है।
धर्म का प्रचार करे बांसुरी
The Logically से बात करते हुए बांसुरी के पिता दयाराम कहते हैं कि वह अपनी बेटी बांसुरी को धर्म के क्षेत्र में काफी आगे ले जाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि बांसुरी आगे चलकर धर्म का प्रचार-प्रसार करे। दयाराम एक प्राइवेट नौकरी करते हैं और मूलतः बिहार के सीतामढ़ी जिले के रंजीतपुर (Ranjitpur Sitamarhi Bihar) के रहने वाले हैं। वह पटना में रहकर अपनी बेटी बांसुरी को अच्छी शिक्षा भी दे रहे हैं। वह कहते हैं कि अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना काफी जरूरी है। बच्चों में अगर अच्छे संस्कार हों तो वह काफी अधिक बढ़ सकता है।
बांसुरी को गाने में भी दिलचस्पी
The Logically की टीम ने जब बांसुरी से बात किया तो उसने कहा कि उसे गाना बहुत अच्छा लगता है वह आगे चलकर सिंगर (Singer) बनना चाहती है। उसने कई ऐसे गाने भी सुनाए जो धर्म से जुड़े गाने थे। अपने धर्म के प्रति बांसुरी का लगाव काफी अधिक भावुक कर देने वाला था। इतना ज्ञान अमूमन इस उम्र के बच्चों में देखने को नही मिलता है जितना बांसुरी में देखने को मिला।
घर में भक्ति का माहौल
इस छोटी बच्ची बांसुरी के घर में पूरा माहौल भक्तिमय रहता है। बांसुरी के छोटे भाई को भी कई श्लोक और धर्म से जुड़ी बातें याद हैं जो काफी आश्चर्यचकित करती है। बांसुरी के पिता दयाराम (Dayaram) कहते हैं कि अगर बांसुरी को एक अच्छा मंच (Platform) मिला तो वह बहुत आगे जाएगी। वह कहते हैं कि अपनी बेटी बांसुरी का भविष्य सुनहरा (Golden Future) करने के लिए उन्हें अधिक से अधिक मेहनत भी करना पड़े तो इससे वह घबराएंगे नही।
The Logically बांसुरी के इस अनोखे प्रयास की सराहना करता है और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।
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