हमारा भारत देश प्राचीन काल से ही रहस्यमयी मंदिरों और जगहों के लिए जाना जाता है। चाहे वो झरना हो, जंगल हो या मंदिर हो। सभी का अपना एक अलग महत्व और रहस्य होता है।
यदि प्राचीन मंदिर की बार करे तो उससे जुड़ी कहानियां और उसकी बनावट सभी को प्रभावित करती है। साथ ही कुछ रहस्यमयी जानकारियां ऐसी होती है जो बेहद हैरान भी करती है। इसी कड़ी में आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो वर्ष के आठ महीने जलसमाधि लेता है।
कौन है यह रहस्यमयी मंदिर?
इस रात में मंदिर का नाम बाथू की लड़ी मंदिर (Bathu Ki Ladi Temple) है और यह पंजाब (Punjab) के जालंधर से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित व्यास नदी पर बना पौंग बांध (Pong Dam) की महाराणा प्रताप सागर झील में पौंग की दीवार से 15 किलोमीटर दूर एक टापू पर स्थित है।
सिर्फ 4 महीने ही किए जा सकते हैं दर्शन
यह मंदिर 8 मंदिरों का श्रृंखला है। बाथू की लड़ी मंदिर साल के 8 महीने तक महाराणा प्रताप सागर झील में डूबा रहता है, इसलिए सिर्फ 4 महीने ही इसके दर्शन किए जा सकते हैं। कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था।
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मूल ढांचे में नहीं आया है बदलाव
बाथू की लड़ी मंदिर (Bathu Ki Ladi Temple) के द्वार पर भगवान श्री गणेश और माता काली की मूर्तियां स्थापित है जबकी मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में एक शिवलिंग स्थित है। इस मंदिर के बारे में आश्चर्य वाली बात यह है की प्राचीन होने के बावजूद भी यहां मौजूद मंदिरों के मूल ढांचे में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है।
पत्थरों से निर्मित है यह मंदिर
रहस्यमई बाथू की लड़ी मंदिर पत्थरों से निर्मित है, जिसके वजह से या मजबूत है और इस पर पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन बाकी निर्माण सामग्रियों पर पानी और मौसम का असर पड़ता है।
43 वर्षों से लेता है जलसमाधि
जानकारी के मुताबिक, पौंग बांध (Pong Dam)बनने के बाद बाथू की लड़ी मंदिर 43 वर्षों से जल समाधि ले रहा है। इस मंदिर का 8 महीने तक जल समाधि लेने के पीछे कारण यह है कि इन 8 महीनों में महाराणा प्रताप सागर झील का जल स्तर बढ़ जाता है। इसलिए इस मंदिर का दर्शन मार्च से लेकर जून तक ही किया जा सकता है। चारों तरफ से झील से घिरे होने के कारण यह मंदिर अधिक आकर्षक और खुबसूरत प्रतीत होता है।