सच… किसी का दुख वही समझ सकता है जिसने दुख को महसूस किया हो। “भिखारी” शब्द से हम भली-भांति परिचित है। यह पृथ्वी पर सबसे दुखी प्रजाति है। अपने जीवन-यापन के लिए भिखारी हमेशा दूसरे पर ही निर्भर रहते हैं। रास्ते चलते हम कई लोगों को भीख मांगते हुए देखते है। बहुत लोगों के लिए भीख मांगना पेशा बन जाता है तो कई मज़बूरी में यह कदम उठाते है। वहीं कई लोग दिव्यांगता के शिकार होने के कारण भीख मांग कर अपना जीवन व्यतीत करते है।
कई समाजसेवी सड़क किनारे रहने वाले और बेघर लोगों की मदद करने के लिए दिन-रात एक किए रहते हैं। उनके लिए समाजसेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और यह धर्म ही सबसे बड़ा कर्म। लेकिन यदि कहा जाए कि कोई भीख मांग कर समाजसेवा की मिसाल पेश करता है तो शायद हमें यकीन नहीं होगा लेकिन पठानकोट की सड़कों पर यह सच होते दिख रहा है। पठानकोट में एक दिव्यांग भिखारी भीख में मिले पैसों से दूसरों की मदद करते नज़र आ रहा है, जिनका नाम है “राजू” आज इनसे हर कोई परिचित है। आइए जानते है को है यह भिखारी राजू।
राजू पंजाब (Punjab) के पठानकोट रहने वाले है। राजू एक दिव्यांग भिखारी है जो केवल अपने गुजर बसर के लिए ही भीख नहीं मांगते, बल्कि भीख मांग कर दूसरे ज़रुरतमंद लोगों की मदद भी करते है। राजू खुद चल फिर नहीं सकते है। उन्हें व्हीलचेयर की ज़रूरत पड़ती है। व्हीलचेयर पर बैठकर राजू पूरे दिन भीख मांगते है। भीख में मिले पैसे से वह अपने गुजारे से बचे पैसे से अन्य लोगों की मदद करते हैं।
भीख के पैसे से की लोगों की मदद
राजू कोरोना काल में भीख के पैसे से कई ज़रूरतमंद की मदद कर चुके है। वह 100 से भी ज्यादा परिवारों को एक-एक महीने का राशन वितरित कर चुके हैं। साथ ही 2500 से ज़्यादा मस्क भी लोगों को दिए है। यह ज़रूरतें राजू भीख के पैसे से ही पूरी करते है। धीरे-धीरे लोगों को राजू के इस नेक कम के बारे में पता चला तो कई लोग इन्हें भीख से ज्यादा पैसे भी देते है। राजू खुद मैले कुचले कपड़े में रहते है और समजसेवा की मिसाल पेश कर रहे है, जो स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिए प्रेरणस्रोत है।
लोगों के बीच कोरोना को लेकर फैलाते है जागरूकता
राजू खुद एक दिव्यांग है लेकिन जरूरतमंद लोगों के लिए वह एक मसीहा से कम नहीं है। मदद करने के साथ ही राजू लोगों के बीच जा कर जागरूकता कासंदेश भी देते है। खुद सड़कों पर रहते है लेकिन दूसरों को घर में रहने की हिदायत देते है। राजू के अनुसार उनके अपने उनसे दूरी बना लिए लेकिन वह नेकी की ऐसी मिसाल पेश करना चाहते है कि उनको आखिरी समय में लोगों का कंधा मिल सके। अपनों ने भले ही ठुकराया लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनों की कमी महसूस नहीं हो पाए।
22 गरीबी कन्याओं की कराई शादी
राजू (Raju) लोगों की छोटी मोटी ज़रूरतें पूरी करने के साथ बड़े जरूरतों के लिए भी साथ देने में पीछे नहीं रहते है। अबतक वह 22 गरीबी कन्याओं की शादी भी करवा चुके है। इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि राजू का दिल कितना बड़ा है।
गर्मी के दिनों में राजू छबील भंडारा भी करवाते है, जिससे लोगों को भोजन मुहैया हो सके। पठानकोट के ढांगू रोड पर एक गली की पुलिया टूट जाने से हमेशा ही वहां हादसा होता था। लोगों को हो रहे इस समस्या के समाधान के लिए राजू ने खुद ही कदम बढ़ाया और पुलिया का निर्माण करवाया।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में करते है मदद
हमारे समाज में बहुत महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर होती है। उच्च शिक्षा नहीं मिलने के कारण उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है। वैसे जरुरतमंद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी राजू यथा संभव मदद करते है। वह हर साल 15 अगस्त के दिन महिलाओं के लिए सिलाई मशीनें मुहैया करवाते है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिले।
ज़रूरतमंद बच्चों के स्कूल की फीस भरने के साथ-साथ राजू बच्चों के लिए स्टेशनरी सामग्री भी उपलब्ध करवाते है। ठंड के दिनों में गरीबों के लिए कम्बल भी देते है। उनका कहना है कि ये सारे लोग मेरे अपने है, मेरे जैसे हीं मजबुर है, इनकी मदद करने से ख़ुशी मिलती है।
राजू की दरियादिली के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने मन की बात कार्यक्रम में जिक्र कर चुके है। पूरे देश को प्रधानमंत्री राजू के कार्यों के बारे में बता चुके है। जिससे राजू का हौसला और भी बढ़ा।
राजू (Raju) ने मानवता की जो मिसाल पेश की है वह स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिए प्रेरणा है। The Logically राजू द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करता है और अपने पाठकों से ज़रुरतमंद लोगों की मदद करने की अपील करता है।