Wednesday, December 13, 2023

कोरोनकाल के कारण भारत मे शुरू हुआ वर्क फ्रॉम होम का कल्चर, इसके फायदों और घाटे का बारे में आपकी क्या राय है

दिसंबर 2019 से शुरू होकर महामारी की शक्ल ले चुके कोविड-19 के फैलते संक्रमण की वजह से सभी देशों की लगभग हर छोटी-बड़ी कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work From Home – WFH) कल्चर की शुरुआत की। जिसकी खास वजह यह थी कि कोरोनाकाल में कर्मचारी घर बैठे ही ऑनलाइन काम कर सकें ताकि दफ्तर के काम सुचारु रुप से चलते रहें और उनकी कमाई पर भी कोई असर न हो।

हालात ये हैं कि अब अधिकतर कंपनियां भविष्य में भी इसी ‘वर्क फ्राम होम’ कल्चर को नियमबद्ध तरीके से सुचारु रखने की फिराक में हैं। लेकिन, क्या ये WFH सिस्टम सही है?, इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलू हैं? आइये इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करें…

 work from home culture

‘वर्क फ्रॉम होम’ के सकारात्मक पहलू

बेशक ही कोरोनाकाल में बढ़ते संक्रमण की वजह से ‘वर्क फ्रॉम होम’ की शुरुआत की गई थी। इस दौरान लोगों को लगने लगा कि अब वो घरों में कैद हो गये और दफ्तर के बहाने ही सही बाहरी लोगों से उनके कॉन्टेक्टस् खत्म हो जाएंगे। परंतु एकबार गहराई से समझा जाये तो WFH के कई सकारात्मक पहलू भी हैं। आइये उनपर एक नज़र डालते हैं…

जेंडर इक्वैलिटी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद

नार्थवेस्ट यूनिवर्सिटी(NorthWest University) के प्रोफेसर मैथियास डोएपके (Metheuse Dopkey) के मुताबिक- “वर्कप्लेस में महिलाओं औऱ पुरुषों के काम और सैलरी को लेकर हमेशा भेदभाव रखा जाता रहा है। यह कल्चर इस फासले को न केवल खत्म करेगा, बल्कि जेंडर इक्वैलिटी को बढ़ावा देगा। कहीं न कहीं यह कल्चर ऑफिस में कर्मचारियों के बीच रहने वाले मनमुटाव को भी कम करेगा, और वे संगठित रुप से काम करने के लिए प्रेरित होगें, इतना ही नही एम्पलॉइज़ के बीच हमेशा देखे जाने वाली ऑफिस-पॉलिटिक्स में भी कमी आएगी”

वर्चुअल वर्कप्लेस को बढ़ावा मिलेगा

तमाम बैकिंग कम्पनियों जैसै एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, टाइटन, वर्हलपूल, वेदांता का मानना है कि आज कस्टमर सर्विसेज़, फोन बैंकिंग, एचआर और कॉरपोरेट ऑफिस फंक्शन के लिए रिमोट डिजिटल वर्किंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे डिज़िटाइज़ेशन के क्षेत्र में अप्रत्याशित प्रगति हो रही है।

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पैसों की बचत

साल 2020 में करीब 1000 लोगों पर किए गए सर्वे के मुताबिक भारत में वर्क फ्रॉम होम कल्चर से हर तीन में से एक कर्मचारी ने हर महीने कम से कम तीन हजार से पांच हजार तक की बचत की है. साथ ही इससे ऑफिस आने जाने, बाहर खाने पीने और कपड़ों वगैरह का खर्चा बचा है। यही कारण है कि करीब 74 फीसदी लोग अब घर से ही काम करना पसंद कर रहे हैं।

कंपनी की कार्यक्षमता को बढ़ाए जाने की संभावनाएं

घर से काम करने से सिर्फ कर्मचारियों को ही फायदा नहीं हुआ, बल्कि इससे कंपनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने की संभावनाएं भी नजर आयी हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में घर से काम करने से कर्मचारियों का ट्रैवलिंग और मीटिंग के दौरान फिजूल में खर्च होने वाले समय की बचत हुई है। अब इस समय का उपयोग वे कंपनी की किसी अन्य योजना को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं. इससे कंपनी की कार्यक्षमता बढ़ेगी, साथ ही कर्मचारियों की ग्रोथ भी होगी।

Benefits and loss of work from home culture

क्या कहते हैं एचआर एक्सपर्टस्

एचआर एक्सपर्टस् के मुताबिक – WHF के दौरान कर्मचारियों की निज़ी ज़िन्दगी और काम के बीच सांमजस्य हो देखने को मिल रहा है। इतना ही नही, घर से काम करने के और भी कई लाभ हैं जैसे-घंटो ट्रैफिक में फसें रहने के तनाव से मुक्ति, घर के शांत वातावरण में बेहतर काम हो सकेगा। जिससे कर्मचारी की प्रॉडक्टिविटी उभर के आएगी। एचआर कंपनी रेडस्टैंड की अधयक्ष अंजली रधुवंशी (Anjali Raghuvanshi) का कहना है- “पहले जो कैटेगरीज़ व रोलस् या सेक्टरस् ‘वर्क फ्राम होम’ की क्टेगैरी में नही आते थे, वह भी कोरोना के चलते इस दिशा में अपनी सोच बदल रहे हैं”

वर्क फ्रॉम होम के नकारात्मक पहलुओ को भी अनदेखा नही किया जा सकता

कोरोना संक्रमण के डर से लोगों को एक लंबे अरसे से घर में रहकर ही काम करना पड़ रहा है, जिसके कारण लोग सोशलाइज़ नही हो पा रहे हैं। जिसका असर उनकी मानसिक दशा पर साफ देखा जा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि घर में वो काम में ध्यान नही लगा पाते। इसलिए वो ऑफिस अट्मोस्फेयर में काम करना ज्यादा पसंद करते है।

वर्क फ्रॉम होम यानि ‘नो वर्क रेंटिग, नो प्रमोशन’

कुछ लोग यह तक मानते हैं कि – घर से काम करते हुए उनके स्किलस् की प्रंशसा कोई नही करता। जिससे उनका मोरैल डाउन होता है। कुछ स्टडीज़ के मुताबिक यह तथ्य भी सामने आये हैं कि घर से काम करने पर कर्मचारी ऑफिस बॉस के संपर्क में नही रह पाते। जिसकी वजह से उनकी वर्क रेटिंग तय नही हो पाती। जो कहीं न कहीं उनकी प्रमोशन में रुकावट साबित होती हैं। दफ्तर के माहौल में कर्मचारी में न केवल ऑफिस एटिकेटस् आते हैं। बल्कि उसे स्वयं को निखारने का मौका मिलता है। वर्क फ्रॉम होम पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है। यदि किसी स्थिति में इंटरनेट उपलब्ध नही होता तो व्यक्ति का काम पूरी तरह से ठप्प हो सकता है।