जैसे जैसे गर्मी का मौसम दस्तक देना शुरू करता है वैसे ही हम सबके जीवन में मटके की अहमियत बढ़ने लगती है। इसका पानी पीने में जितना ठंडा और अच्छा लगता है, उतना ही सेहत के लिए फायदेमंद भी होता है। आज हम आपको बताएंगे मटके का पानी पीने के फायदे (Benefits of Clay pot water)
आज के ज़माने में RO और फ्रिज का पानी होने के बावजूद लोग मटके का पानी (Clay pot Water) पीना जरूरी समझते हैं। बता दे मटके का पानी पीने से शरीर का PH लेवल बैलेंस रहता है और मिट्टी के नेचुरल मिनरल बॉडी में पहुंचते हैं। फ्रिज के पानी में एक प्रकार की गैस होती है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होती है। वह गैस फ्रिज में रखे सफेद पदार्थों को ज्यादा नुकसान करती है, उसके प्रभाव से एल्कलाइट्स (Alkaline) खत्म हो जाते हैं। घड़े में नेचुरल ऑक्सीजन छनकर आती है, जिसकी वजह से वह सेहत के लिए ज्यादा बेनिफिशियल हो जाता है।
आपको बता दे की अमृत माटी इंडिया ट्रस्ट (Amrit Mati India Trust) संस्था के चेयरमैन अंजनी किरोड़ीवाल (Anjani Kirodiwal) पिछले 15 सालों से मिट्टी के बर्तन के वैज्ञानिक फायदों (Benefits of Clay pot water) पर रिसर्च कर रहे हैं। 1913 में जर्मनी में हुई एक रिसर्च के बारे में उनका कहन हैं कि इस अध्ययन के अनुसार व्यक्ति का 1-14 तक का PH लेवल दिया गया है। हमारे शरीर में अलग-अलग द्रव्य (लिक्विड) पाए जाते हैं और उन सभी का पीएच अलग होता है। जिस व्यक्ति का पीएच लेवल सात है वह न एसिडिक (Acidic) है और न एल्कलाइन यानी वह न्यूट्रल है। जिस व्यक्ति का पीएच 7 से नीचे की ओर आता है तो उस व्यक्ति का शरीर एसिडिक है।
पीएच लेवल 7 से 14 की तरफ जाने का मतलब है कि शरीर में एल्कलाइन (क्षारीयता) बढ़ती है। पीएच 7-14 का होने का मतलब है कि भविष्य में आपको गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है। घड़ा एल्कलाइन फॉर्मेट में होता है यानी क्षारीय प्रवृति का होता है। इसलिए मिट्टी के घड़े में पानी पीने से शरीर की अम्लता (एसिडिटी) घटती और क्षारीयता (Alkalinity) बढ़ती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो घड़े का पानी शरीर के लिए फ्रिज के पानी के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।
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मटके में पानी ठंडा कैसे होता है? (How water gets chilled in clay pot)
मटके में पानी ठंडा होने के पीछे वही प्रक्रिया है जो त्वचा से पसीना सूखने की होती है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब गर्मी में हम सबको पसीना आता है तो पसीना बह जाने के बाद स्किन ठंडी महसूस होने लगती है। इसी प्रकार घड़े में पानी भरा होने पर उसके सूक्ष्म छिद्रों से हवा आर-पार होती रहती है जिससे पानी ठंडा रहता है। जितना ज्यादा हवा घड़े से आर-पार होगी, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा।
गर्मियों में मटके का पानी पीना क्यों पीना चाहिए (Benefits of Clay pot water)
घड़े का पानी पीने से Cough और Cold जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता, जबकि फ्रिज का पानी इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है और घड़े का पानी शरीर को स्वस्थ रखता है। घड़े का पानी पीने से आपको बार-बार प्यास नहीं लगेगी यदि आप फ्रिज का पानी पीते है तो आपकी प्यास कभी बुझेगी ही नहीं। घड़े का पानी (Clay Pot Water) शरीर में ऑक्सीजन को बैलेंस रखता है। कुम्हार जब मिट्टी को पकाकर घड़ा तैयार करता है तो उस घड़े का पानी पीने से शरीर से मौजूद टॉक्सिक (जहरीले) पदार्थ भी बाहर निकलते हैं।
अंजनी किरोड़ीवाल का कहना है कि घड़े का पानी पीने से मुंह का स्वाद व गंध ठीक होती जाती है। घड़े का पानी जब पेट में जाता है तो पाचन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करता है। एल्कलाइन वाटर हार्मोन को संतुलित में रखता है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकता है। वजन बढ़ने नहीं देता। त्वचा को अच्छा बना देता है।
एल्कलाइन वाटर जग की ख़ोज
अमृत माटी इंडिया ट्रस्ट ने राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी जमा करके एल्कलाइन वाटर जग तैयार किया है। जिसे आईआईटी (IIT) रुड़की ने भी सर्टिफाइड किया है। अगर आप इस्तेमाल करते है तो यह जग पानी में घुले प्रदूषण और फ्लोराइड की समस्या से आपको निजात दिलाएगा और पानी की गुणवत्ता भी बढ़ाएगा। इस जग की खास बात यह है कि लो पीएच लेवल का पानी डालते ही एल्कलाइन वाटर में बदल जाता है जो की मानव के शरीर के लिए सबसे फायेदमंद माना जाता है।
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मटका खरीदते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए
घड़ा खरीदने के लिए वैसे तो कोई खास पैमाना नहीं है, लेकिन आप पीएच लेवल सॉल्यूशन से पीएच लेवल को जांच लें और देखें कि उसके पानी का पीएच 7 से ऊपर हो, उसी मटके का पानी पीना फायदेमंद होता है। उस पीएच लेवल से घड़े की मिट्टी की गुणवत्ता का भी पता लग जाता है। घड़ा साल दो साल पुराना नहीं होना चाहिए। घड़ा चिकना नहीं होना चाहिए। उस पर किसी प्रकार की पॉलिश नहीं होनी चाहिए। जरुरी बात यह है की घड़ा खुरदुरा होना चाहिए।
मटके का पानी कब नही पीना चाहिए
मटके का पानी वैसे तो हर मौसम में पिया जा सकता है। इस पानी को पीने किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। जब फ्रिज इस दुनिया में मौदूत नहीं था तब इंसान मटके का ही पानी पिया करते थे वो भी बिना किसी नुकसान के। किसी भी कुएं का पानी कभी सड़ता नहीं है क्योंकि उस पानी में मिनरल्स होते हैं, ठीक उसी तरह मटके का पानी कभी खराब नहीं होता और यह सेहत के लिए हर मौसम में फायदेमंद है।
घड़े को कब बदलना चाहिए, यह जानना जरूरी है
मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की सीमा तय होती है। पानी के घड़े को तीन महीने से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि तीन महीने में मिट्टी में मौजूद मिनरल खत्म हो जाते हैं। तीन महीने बाद नया घड़ा इस्तेमाल लाना चाहिए।
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