बुंदेलखंड का नाम सुनते ही हमारे जहन में सबसे पहला ख़्याल आता है वह है सूखा ग्रस्त इलाका। समाज में कई लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं। कई तालाबों, झीलों… को पुनर्जीवित करते है, तो कई पौधारोपण का कार्य करते है। पर्यावरण संरक्षण में सबका अपना अलग-अलग योगदान रहता है। कई तो बंजर भूमि और सूखाग्रस्त इलाके को भी अपनी मेहनत और लगन से उपजाऊ और हरा-भरा बना देते है। ऐसे ही एक व्यक्ति है भैयाराम यादव जो बुंदेलखंड जैसे सूखे ग्रस्त इलाके की 50 एकड़ भूमि पर घना जंगल उपजा दिए।
भैयाराम यादव का परिचय
भैयाराम यादव (Bhaiya Ram Yadav) उत्तरप्रदेश के चित्रकूट (Chitrkut) जिले के भरतपुर (Bharatpur) गांव के रहने वाले हैं। उन्हें लोग चित्रकूट के “वृक्ष पुरुष” भी कहते हैं। भैयाराम का जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित है। वह साल 2007 में पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवन व्यतीत करने का शपथ ले चुके हैं। पिछले 11 सालों में भैयाराम राम लगभग 40,000 पौधें लगा चुके हैं, जिनकी देखभाल वो अपने बच्चों की तरह करते हैं।
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भैयाराम के अनुसार इसके फैसले के पीछे उनके साथ घटी एक बड़ी दुर्घटना है। भैयाराम भी आम इंसान की तरह अपना गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे थे। भैयाराम यादव (Bhaiya Ram Yadav) की शादी भी हुई और एक बेटा भी है। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, एक समय दोनों का साथ छूट गया और वो अकेले इस दुनिया में रह गए। भैयाराम की पत्नी का बेटे को जन्म देते समय ही निधन हो गया और उसके 7 साल बाद बेटा भी बीमारी के चलते ईश्वर को प्यारा हो गया। तब से उनका इस दुनिया में प्रकृति के अलावा कुछ भी शेष नहीं रह गया।
कैसे आईं पेड़ लगाने की प्रेरणा
पत्नी और पुत्र के वियोग में वे चित्रकूट में भटकने लगे। एक जगह वह एक स्लोगन पढ़े “एक वृक्ष 100 पुत्र समान”। उसके बाद वह अपने गांव भरतपुर लौट आए। गांव के बाहर जंगल में ही एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे। वहां वन विभाग का कुछ जीमन खाली पड़ा था जिसपर वे पौधें लगाना शुरू किए, वहां पानी की कोई सुविधा नहीं थी। सिंचाई के लिए भैयाराम 3 किमी दूर से पानी लाते थे। यह सब देख कर लोग उन्हें पागल बोलने लगे। बचपन में ही भैयाराम के पिता जी उन्हें पौधे लगाने का प्रशिक्षण दिए थे जो आगे चलकर उनके लिए बहुत सहायक हुआ। धीरे-धीरे वह 4000 पौधे लगा दिए।
उनके 11 सालों की कड़ी मेहनत और लगन से आज बुंदेलखंड (Bundelkhand) का 50 एकड़ जमीन हर-भरा जंगल बन गया। पेड़ के साथ-साथ वो अपने जीवन-यापन के लिए अनाज और सब्जियां भी उगाते है और वहीं उनका आशियाना है।
भैयाराम की सरकार से है एक गुजारिश
भैयाराम की सरकार से यह गुजारिश है कि इस जंगल में एक बोरवेल लगा दे ताकि सिंचाई में होने वाली असुविधा समाप्त हो जाए और पेड़ों की देख-भाल आसान हो जाए, इससे उन्हें काफी सुविधा मिलेगी। इसके लिए वह कई बार सरकारी अधिकारियों से गुजारिश भी किए लेकिन किसी से कोई सहायता नहीं मिली।
भैयाराम के अनुसार वह इस जंगल में भले ही अबतक 4000 पेड़ लगाए है लेकिन यह सिलसिला यहीं तक नहीं रुकेगा आगे बढ़ता ही रहेगा। यह 40 हजार कभी 40 लाख में तब्दील होगा, ऐसा उनका सपना है। Bhaiya Ram Yadav अपने काम के जरिए पर्यावरण बचाने का जो संदेश दे रहे है, वह सराहनीय है। The Logically सरकार से अपील करता है कि भैयाराम की समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकाले।