बच्चें हो या बरें सबको आइस क्रीम कितनी पसंद होती है ये हम शब्दों में नहीं बता सकते हैं।गर्मियों के मौसम के साथ साथ ठंड में भी हम आइस क्रीम का स्वाद चखने से पिछे नही हटते हैं। 1 रुपए के आइस क्रीम से लेकर 1000 रुपये तक का आइस क्रीम हमने खाया होगा।आम वाली ,चॉक्लेट वाली आदि।
परंतु हमने कभी नही सोचा होगा कि सुपरफूड कहे जाने वाले रागी,ज्वार जैसे अनाजों से भी आइस क्रीम बन सकती हैं।परन्तु यह सत्य है आइये जानते है इस असंभव को संभव बनाने वाले सक्श के बारे में।
भार्गव का परिचय
यह कमाल कोयम्बटूर के भार्गव आर.ने कर के दिखाया हैं।उनकी उम्र 32 वर्ष हैं।जेएसएस नेचर फूड्स स्टार्टअप की ब्रांड आधम लोगो को अनाजों से बना आइस क्रीम खिला रही हैं।इसके साथ ही साथ आधम लोगो को सुपरफूड से बने सेवइयां और मैगी तथा पारंपरिक तरीके से मसाले बना के बेच रहे हैं।
पिछले साल ही भार्गव ने आधम की नींव रखी थी।परंतु आज कोयंबटूर के बाहर भी लोग उनको जानते हैं।
साधारण परिवार से आते हैं भार्गव
भार्गव एक साधारण परिवार से आते हैं उनके परिवार में किसी ने भी व्यवसाय करने के बारे में नही सोचा था।परन्तु भार्गव को हमेशा से ही कुछ अलग करने की चाह थी।स्कूल के पढ़ाई के बाद भार्गव ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई डिस्टेंस से की हैं। भार्गव ने बैंक की छोटी सी नौकरी से शुरूआत की थी उसके बाद उन्होंने एक शोरूम में काम किया फिर अपना मोबाइल एक्ससरीज़ का काम शुरू किया।
फ़ूड बिज़नेस से पहले भी बहुत सारे कामों में हाथ आजमाया
फ़ूड बिज़नेस से पहले भार्गव कंस्ट्रक्शन के कामों से जुड़े थे।भार्गव के पास 17 साल का अनुभव है अलग अलग सेक्टर में काम करने का।
9 सालों के रिसर्च के बाद शुरू किया फ़ूड बिज़नेस
फ़ूड बिजनेस में आने के लिए भार्गव ने काफी मेहनत की है ।9 साल के रिसर्च के बाद भार्गव ने अपना फ़ूड ब्रांड स्टार्ट किया हैं।भार्गव का उद्देश्य पारंपरिक खाध उत्पादों को ग्राहकों तक पंहुचाना था।
भार्गव को हमेशा से ही किसी भी चीज़ की बनाने का तरीका जानने में दिलचस्पी रही हैं।अगर वो एक बिस्कुट भी खाते है तो उसमें क्या क्या डाला गया है वो सब पढ़ते हैं।भार्गव ने सबसे पहले खाने वाली चीज़ों पर रिसर्च करना शुरू किया।उन्होंने देखा कि आज हम कुछ भी खा लेते है उसमें क्या है क्या नही हम ध्यान नही देते जिससे हमारी स्वास्थ पर असर पड़ता हैं।इसलिए भार्गव ने पारंपरिक तमिल खाध पदार्थो को लोगों तक पहुचाने की सोची।
सबसे पहले भार्गव ने अपने काम से साथ रिसर्च करना शुरू किया।सबसे पहले उन्होंने सुपर मार्किट को समझा फिर ग्राहकों को उसके बाद कहा से हम पारंपरिक रॉ मेटेरियल ले सकते हैं।उसके बाद उन्होंने कुछ किसानों से भी संपर्क कोय जो परमपरिक खेती कर रहे हैं।भार्गव के दोस्तो ने उनकी काफी मदद की ।
भार्गव में अलग अलग किसानों से अलग अलग अनाज और मसाले खरीदकर उनके खेत के पास ही प्रोसेसिंग यूनिट्स में बनवाना शुरू किया।इसमे उन्हीने फ़ूड एक्सपर्ट और अपनी परिवार वालो की मदद ली।35 लोगो ने प्रोडक्ट के टेस्टिंग में भाग लिया और वही उनके पहले ग्राहक भी बने।
लोगों ने की मार्केटिंग
30-35 लोगो ने प्रोडूक्ट्स की मार्केटिंग की ।आज आधम ब्रांड कर प्रोडक्ट सैकड़ो ग्राहक इस्तेमाल कर रहे हैं।50 रुपए के आर्डर से जिन ग्राहकों ने शुरू किया था आज वो 1500 से 2000 तक का आर्डर करते हैं।
आधम ब्रांड आज सभी तरह के मसाले 9 तरह की सेवइयां बिना मैदे के इस्तेमाल के बनी नूडल्स,शुद्ध जंगली शहद और मिलेट्स से बनी आइस क्रीम बेच रहे हैं।भार्गव को महीने में 5000 ग्रॉसरी के आर्डर मिलते हैं।तथा आइस पार्लर में रोजाना50 से 60 आर्डर मिलते हैं।रागी से बनी आइस क्रीम बच्चो से लेकर बरों तक को पसंद आई हैं।अभी वो कोरोना की वजह सरकार द्वारा निर्देशित सभी सुरक्षा नियमो का पालन करते हैं।
भार्गव के उत्पाद स्वास्थ और स्वाद दोनो तरीके से अच्छे हैं।बिना मैदे के इस्तेमाल के उन्होने नूडल्स बनाये हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी हैं।
नंदनी जनार्धन सबको भार्गव के आइस क्रीम खाने की सलाह देती हैं।क्योंकि उसमें कोई आर्टिफिशियल तत्व नही होता है सिर्फ प्रकीर्तिक चीज़े होती हैं।
अभी भार्गव और उनकी टीम 50 से अधिक तरह के उत्पाद बेच रही हैं।परन्तु 2 3 साल में भार्गव इसे बढ़ाने की सोच रहे है साथ ही साथ उनकी कोशिश ये है कि सभी प्रोडूक्ट्स एक ही जगह बन के तैयार हो।
तैयारी के साथ शुरू किया अपना बिज़नेस
भार्गव ने 9 सालो तक रिसर्च के बाद अपना बिज़नेस शुरू किया था।साथ ही साथ भार्गव ने अपने बिजनेस में इन्वेस्टमेंट कम किया है और समय अधिक दिया हैं।साथ ही साथ वो अपने प्रोडक्ट खुद ही ग्राहकों तक पहुँचाते थे।उन्होंने डीलरों को छोड़ कर गृहणियों को आगे आने को कहा जिससे गृहणियों को भी काम मिल गया और उन्हें मार्किट में इन्वेस्ट भी नही कारण पड़ा।
भार्गव को लोगो से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है इसलिए वो अपनी टीम के साथ आने वाले समय में बिजनेस के प्लानिंग में जुटे हैं।अभी वो अपने बिजनेस के टर्न ओवर के बात को जल्दबाजी समझते हैं। परन्तु उन्हें यकीन है कि एक दिन उनके प्रोडक्ट “मेड इन इंडिया”की पहचान बनेंगे।
लॉक डाउन के बारे में उनका कहना है कि मेरे स्टार्टअप के लिए यह मुश्किल समय था तो बारे बिजनेस के लिए भी यह मुश्किल समय ही था।जब बड़े बिजनेस वाले हताश नही हुए तो मैं क्यों हु??
भार्गव का मानना है कि एक व्यवसायी होने की खूबी यह है कि विपरीत परिस्थितियों को आप कैसे संभालते हैं।भार्गव सबको कहते है कि एक चिज पर अटक के नही रहिए।हर दिन कुछ नया सीखिए ताकि हर सिचुएशन में आप सर्वाइव कर सके।
भार्गव सारे उद्यमियों को अपने स्किल पर काम करने की सलाह देते हैं।वो कहते है कि अभी का समय भारतीये उत्पादों को सपोर्ट करने का हैं।मेड इन इंडिया और लोकल वोकल सिर्फ शब्द ही नही होने चाहिए बल्कि हर परिवार को अपने एक बच्चे को उधमी बनने के लिए सलाह देते हैं।
हमारे देश मे नौकरी को सुरक्षित माना जाता हैं।परंतु हमे अपने देश के अर्थव्यवस्था के बारे में भी सोचना चाहिए।हमारी अर्थव्यवस्था तब सही होगी जब भारतीय उधमी बाजार में होंगे।इसलिए अगर आपका बच्चा कुछ शुरू करना चाहता है तो आप उसे ईमानदारी से सपोर्ट करें।साथ ही साथ भारतीय ग्राहकों को अच्छे और गुणवता वाले भारतीय उत्पाद को सपोर्ट करना चाहिए।अगर आप भार्गव आर से संपर्क करना चाहते है तो उनके फेसबुक पेज पर उनसे जुड़ सकते हैं।
The Logically भार्गव आर को उनके सोच और काम के लिए सराहती है साथ ही साथ उनके अच्छी भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हैं।