प्रत्येक वर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले हस्तियों को राष्ट्रपति द्वारा उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया जाता है। हाल हीं मध्य प्रदेश के चिकित्सा जगत का पितामह कहे जाने वाले डॉ. एनपी मिश्रा को मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. एनपी मिश्रा (Dr. NP Mishra) मूल रूप से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर के रहने वाले थे। इन्होंने भोपाल गैस त्रासदी के दौरान अपनी सूझबूझ से हजारों लोगों की जान बचाई थी।
क्या है मध्य प्रदेश की वो गैस त्रासदी?
3 दिसंबर 1984 की वो काली रात, जिसको याद करके आज भी लोगों की रूह कांप उठती है, जिस त्रासदी में कुछ ही पलों में तीन हजार से अधिक लोगों की जान चली गई। इस भयावह घटना की तस्वीरों को देखकर या याद करके लोगों के सामने आज भी वो अंधेरा छा जाता है।
दरअसल, भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव के कारण हजारों लोगों की जान चली गई थी।
10 हज़ार लोगों की बचाई जान
डॉ. एनपी मिश्रा (Dr. NP Mishra), जिन्होंने भोपाल की इस त्रासदी में अपने सूझ बुझ से 10 हज़ार लोगों की जान बचाई थी। जिस रात को यह भयावह घटना घटित हुई थी, वे माइग्रेन से जूझ रहे थे। लेकिन जैसे हीं उन्हे इस घटना की जानकारी मिली, वे तुरंत अपनी जान को परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाने में जुट गए। साथ हीं हॉस्टल से सभी छात्रों को रातोंरात अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया।
वैसे कहा जाता है कि दो ट्रकों में 50 से अधिक सैनिक कहीं जा रहे थे, लेकिन जहरीली गैस की चपेट में आने से सभी की हालत काफी नाजुक हो गई। लेकिन अपने सूझ-बूझ से डॉ. एनपी मिश्रा ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया और उन्हे बचा लिया।
लेकिन यह मामला तेजी से बढ़ती गईं और अस्पताल में जगह की कमी होने लगी, लेकिन डॉ. एनपी मिश्रा ने हार न मानते हुए काफी कम समय में हमीदिया अस्पताल में 10 हजार से अधिक मरीजों का इलाज करने की व्यवस्था की। और हॉस्टल से सभी छात्रों को रातोंरात अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया।
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मध्य प्रदेश के चिकित्सा जगत का पितामह
डॉ. एनपी मिश्रा (Dr. NP Mishra) को मध्य प्रदेश के चिकित्सा जगत का पितामह कहा जाता है। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से पूरी की और फिर सन 1969-70 में यहीं पढ़ाना भी शुरू कर दिया। कुछ साल बाद वे मेडिसिन डिपार्टमेंट के निदेशक और फिर कॉलेज के डीन भी बनाए हुए।
बता दें कि, सन 1980 में उनकी लोकप्रियता उनके सराहनीय कामों से बहुत बढ़ गई थी। लोग उनसे इतना प्रेम करने लगे थे कि उनको सुनने के लिए ग्वालियर के एक कार्यक्रम के दौरान लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी और इस कार्यक्रम में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। हर कोई बस उन्हे सुनना चाहता था।
हो चुके हैं कई पुरस्कारों से सम्मानित
सन 1992 में भारतीय चिकित्सा परिषद ने डॉ. एनपी मिश्रा को उनके मेडिकल फिल्ड में उल्लेखनीय योगदानों के लिए प्रतिष्ठित डॉ. बीसी राय पुरस्कार से सम्मानित किया। बता दें कि, यह पुरस्कार महान डॉक्टर और स्वतंत्रता सेनानी बिधान चंद्र रॉय के नाम पर साइंस, आर्ट्स और मेडिकल के फिल्ड में हर साल दिया जाता है।
इसके अलावें, उन्हे सन 1995 में एसोसिएशन आफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया ने गिफ्टेड टीचर अवार्ड से सम्मानित किया। इस अवार्ड से उन्हे इसलिए सम्मानित किया गया क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कई बड़े डॉक्टरों प्रेरणा दी है और उन्हे सफलता की राह दिखाई है। वे सिर्फ अच्छे डॉक्टर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे शिक्षक भी थे। उनके द्वारा लिखी गई एक किताब प्रोग्रेस एंड कार्डियोलॉजी देश में मेडिकल पेशेवरों के लिए किसी बाइबिल से कम नहीं है
लाखों मरीजों को किया मुफ्त में इलाज
उन्होंने अपने जीवन में बहुत सराहनीय काम किया है, जिसको गिन पाना मुश्किल है। उन्होंने लाखों मरीजों को मुफ्त में इलाज किया था तथा एक डॉक्टर के तौर पर उन्होंने कभी किसी से भेदभाव नहीं किया और हमेशा समाज को एक प्रेरणा देते रहे। कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने बहुत सारे डॉक्टरों को मार्गदर्शन किया था।
बीते साल शिक्षक दिवस के दिन दुनिया को कहा अलविदा
90 वर्षीय डॉ. एनपी मिश्रा (Dr. NP Mishra) ने अपने सरल जीवन में बहुत कठिन परिश्रम किया था। एक लंबी बीमारी के कारण उन्होंने बीते साल शिक्षक दिवस के दिन दुनिया को अलविदा कहा।
मरणोपरांत हुए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित
हाल हीं में डॉ. एनपी मिश्रा (Dr. NP Mishra) को उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए उनके मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मरने के बाद भी वे समाज के लिए एक मिसाल बनकर रहेंगे।
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