एक समय था जब खेती-बाड़ी को कम आंका जाता था लेकिन मौजूदा समय में कृषि क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल होना शुरु हो गया है। कृषि क्षेत्र में तकनीक के आ जाने से कृषकों का कार्य आसान होने के साथ ही मुनाफा और कमाई दोनों ही बेहतर हो रहा है। शायद यही वजह है कि पहले जहां युवा वर्ग खेती छोड़ नौकरी की तलाश करते थे वहीं अब वे 6 से 8 घन्टे नौकरी से अधिक बेहतर कृषि को समझने लगे हैं।
आजकल के युवा वर्ग पढ़ाई-लिखाई करने के बाद नौकरी न करके खेती (Farming) की तरफ रुख कर रहे हैं और कृषि में अपने ज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल करके मोटी कमाई कर रहे हैं। आज की यह कहानी भी एक ऐसे ही युवा की है जिसने IT की नौकरी छोड़कर खेती करने का फैसला किया और आज सालाना लाखों की कमाई कर रहा है।
कौन है वह किसान?
हम बात कर रहे हैं युवा किसान कुणाल कुमार झा (Kunal Kumar Jha) की, जो बिहार (Bihar) के बेगुसराय के सिन्घौल के रहनेवाले हैं। कुणाल ने IT टेक्नीकल की शिक्षा हासिल करने के बाद उनकी नौकरी एक निजी कम्पनी में लग गई जहां उनकी मासिक तनख्वाह 18 हजार रुपये थी। एक तरफ जहां अधिकांश युवा बेरोजगार हैं वहीं कुणाल अपनी IT की नौकरी नहीं करके खेती करना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने खेती के प्रति रुचि होने की वजह से उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
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नौकरी छोड़ शुरु किया मोती की खेती
नौकरी छोड़ने के बाद कुणाल (Farmer Kunal Kumar Jha) ने कृषि क्षेत्र में प्रवेश किया जहां उनके सामने एक प्रश्न था कि किस फसल की खेती करें। ऐसे में उन्होंने आधुनिक तरीके से मोती की खेती (Pearl Farming) करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपने घर के अंदर ही 10 बाय 10 वर्ग फीट की टंकी का निर्माण किया और मोती की खेती शुरु की। कुणाल द्वारा अलग प्रकार से मोती की खेती करने के तरीके की चर्चा पूरे बेगुसराय शहर में है।
मोती की खेती में कर रहे आधुनिक तकनिक का इस्तेमाल
कुणाल, मोती की खेती में पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल न करके आधुनिक तरीके का प्रयोग करते हैं, जिसमें मोती को किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। वह कहते हैं कि, समुद्र से निकलने वाली मोती में बालू के कण अधिक जाने की वजह से वे गोल होते हैं लेकिन मॉडर्न तकनीक के जरिए मोती को किसी भी शक्ल में आकार दिया जा सकता है। बता दें कि, मोती की खेती में देखरेख की जरुरत पड़ती है। इसके लिए सीप को एक जालीदार झोला बनाकर उसे पानी में लटकाया जाता है जिसकी बराबर देखभाल करनी पड़ती है।
इश्वर के आकार में करते हैं मोती की खेती
मोती को कोई भी आकार देने के लिए वह कहते हैं कि, मोती का ऑपरेशन करके उसमें किसी भी कलाकृति को डाइस में डाला जाता है और 10 महीने में ही आपके द्वारा डाले गए कलाकृति के आकार में मोती बनकर तैयार हो जाता है। इसी तकनीक के माध्यम से कुणाल भगवान श्री कृष्णा, भगवान श्री राम जैसे अन्य कई इश्वर की कलाकृतियों वाला डिजाइनर मोती (Designer Pearl) का उत्पादन कर रहे हैं।
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डिजाइनर मोती की खेती में खर्च और आमदनी
युवा किसान कुणाल ने बताया कि, महज 10 बाय 10 वर्ग फीट में टैंक बनाकर 1000 सीप से डिजाइनर मोती की खेती (Designer Pearl Farming) आरम्भ कर सकते हैं। पहली बार मोती की खेती में लगभग 1 लाख रुपये का लागत खर्च होगा लेकिन यदि पैदावार की बात करें तो इससे 3 लाख रुपए के मोती का उत्पादन होगा। इसके अलावा यदि इसकी मार्केटिंग की बात करें तो कुणाल का कहना है कि, मार्केटिंग बहुत ही आसान है। गुजरात के सूरत से व्यवसायी आकर मोती खरीदते हैं।
कमा सकेंगे सालाना ढाई से तीन लाख की आमदनी
कुणाल (Bihar Farmer Kunal Kumar Jha) का कहना है कि, आजकल अधिकांश युवा गा तो बेरिजगार होकर जीवन बिता रहे हैं या महज 8 से 10 हजार रुपये की नौकरी के लिए घर से दूर शहरों की भीड़ में दौड़ रहे हैं। ऐसे में यदि मोती की खेती (Pearl Farming) की जाएं तो सालाना ढ़ाई से तीन लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इससे वे आत्मनिर्भर भी बनेंगे।