पारंपरिक खेती से घाटा होने के बाद किसान अब आधुनिक खेती के तरफ अपना रुख कर रहे हैं। ऐसे में बिहार (Bihar) के बगहा में रहने वाले किसान विजय गिरी (Vijay Giri) ने भी बिहार में पहली बार मैजिक धान की खेती कर एक नई पहल की है तथा इससे वे अच्छी कमाई कर रहे हैं।
बिहार के किसान ने की मैजिक धान की खेती कर एक नई पहल
मैजिक धान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको पकाने के लिए किसी भी चूल्हे की जरूरत नहीं होती यानी किसी उच्च तापमान की जरूरत नहीं होती। इसको ठंडे पानी में 45 से 60 मिनट के भीतर रखने पर यह भात के रूप में बनकर तैयार हो जाता है।
बता दें कि, इस धान की खेती असम के ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर माजुला द्वीप में की जाती है। लेकिन बिहार में विजय गिरी ने इसकी खेती अपने गांव हरपुर सोहसा में करके एक नई पहल की है।
रासायनिक खाद की नहीं पड़ती जरूरत
इस खेती की सबसे खास बात यह है कि इसकी खेती में ज्यादा लागत की जरूरत नहीं होती। साथ हीं इसमें किसी प्रकार की रासायनिक खाद की जरूरत नहीं होती। बता दें कि, यह धान 150 से 160 दिन में तैयार हो जाता है।
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मैजिक धान से हो रहा है अच्छा मुनाफा
विजय गिरी ने बताया कि, पिछले साल वे पश्चिम बंगाल के कृषि मेला में गए थे और वहीं से वे मैजिक धान के बीज को बिहार लेकर आए थे। यहां आकर उन्होंने इसकी खेती अपने एक एकड़ की जमीन पर किया, जिसमे उन्होंने रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया। फिर क्या, मैजिक धान का मैजिक देखने को मिला। इस धान से उनकी बहुत अच्छी पैदावार हो गई।
विजय गिरी ने बताया कि, वे चाहते हैं कि बिहार सरकार इस खेती को व्यापक पैमाने पर करने की मंजूरी दे। वे इसका जमकर प्रचार भी करते हैं ताकि इससे अन्य किसान भी जुड़े और खेती कर अच्छा मुनाफा प्राप्त करे। बता दें कि, मार्केट में इस चावल को 40 से 60 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है।
शुगर फ्री होता है मैजिक धान
बता दें कि, मैजिक चावल शुगर फ्री होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन की मात्रा भी सामान्य चावल के मुकाबले अधिक होती है।
विजय गिरी ने बताया कि, पश्चिम बंगाल सरकार ने मैजिक धान की खेती को बढ़ावा दिया है। वे चाहते हैं कि बिहार सरकार भी इसे व्यापक पैमाने पर करने की मंजूरी देकर इसको करने के लिए बढ़ावा दे। इसलिए वे इस मैजिक धान की प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं।