Sunday, December 10, 2023

बिहार के इस छोटे गांव में किसान करते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती, बाहरी प्रदेशों में भी एक्सपोर्ट कर अच्छी कमाई कर रहे हैं

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! बिहार के कुटुम्बा प्रखंड के चिल्हकी बिगहा गांव के किसान बृजलाल मेहता (Brijlal Mehta) पर ये वाक्य खूब जचता है। चिल्हकी ऐसा गांव है जहां पानी कि तंगी और सूखा है। मात्र 60 घर ही यहां बसे हुए हैं। दाल, गेहूं, सरसो और कुछ सब्जियों के अलावा यहां ज्यादा कुछ नहीं उगाया जाता था।

लेकिन आपको जानकर ताजुब होगा की यहां अब किसान स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) करते हैं। आमतौर पर स्ट्रॉबेरी ठंडी जगहों पर उगाई जाती है लेकिन बिहार के एक छोटे गांव में इसकी खेती को मुमकिन कर दिखाया है बृजलाल मेहता ने जिन्हें पहले स्ट्रॉबेरी क्या होती है ? इस बारे में जानकारी तक नहीं थी।

strawberries farming

बेटे के मोह ने बदल दिया नसीब

बृजलाल के बेटे गुड्डू कुमार हरियाणा, हिसार में स्ट्रॉबेरी फार्म में काम करते थे। जब उन्होंने पिता को इसके बारे में बताया तो बृजलाल के मन में खयाल आया कि हिसार और चिल्हकी का जलवायु लगभग एक समान है तो क्यों न इस खेती को अपने गांव में ही मुमकिन बनाया जाए। ताकि बेटा भी पास रहे।

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कृषि वैज्ञानिकों ने नहीं भरी थी हामी

बिहार के छोटे गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती सुनकर ही अटपटा लगता है। ये किसी रिस्क से कम नहीं था जिसके लिए बृजलाल ने कृषि विज्ञान केन्द्र औरंगाबाद से जानकारी भी हासिल की। उन्हें समस्तीपुर के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बिहार के जलवायु में स्ट्रॉबेरी की खेती नहीं की जा सकती है।

strawberries farming

इस प्रकार स्ट्रॉबेरी बन गई आय का जरिया

बृजलाल मेहता रिस्क लेने के लिए तैयार थे। उन्होंने बेटे के साथ हिसार के किसानों से बातचीत की और सात पौधे लेकर आए। धीरे धीरे वो बढ़कर 500 हो गए। आखिरकार कृषि वैज्ञानिक का दावा गलत साबित हुआ। इस तरह स्ट्रॉबेरी की खेती आय का जरिया बन गई। बृजलाल अब अपने तीन बेटों के साथ इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं। फिलहाल खुद के दो भीगा जमीन के साथ वह पट्टे पर 6 भीगा जमीन लेकर खेती कर रहे हैं।

बिहार से बाहर भी एक्सपोर्ट की जाती है स्ट्रॉबेरी

बृजलाल मेहता के प्रयास को सफल होते हुए देखकर आसपास के अन्य किसान भी प्रेरित हुए है। बृजलाल की तरह अन्य लोग भी इसकी खेती में जुट गए हैं। इससे न केवल आय दोगुनी हुई है बल्कि मजदूरों को भी रोजगार मिल रहा है। आसपास के इलाकों में इन मीठी स्ट्राबेरी की डिमांड अत्यधिक है। बाहरी प्रदेशों के फ्रूट सेलर भी यहां स्ट्रॉबेरी खरीदने आते हैं।