यूं तो किसान हमेशा से हीं उपेक्षित रहा है। लेकिन आज परंपरागत खेती के साथ जिस तरह कई तरह की फसलें उपजाई जा रही हैं जो हमारे जिंदगी के लिए महत्वपूर्ण होती है वह किसान की महत्ता को कहीं बढ़ा दिया है। आज पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी कृषि के क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसी कृषिका की है जो गृहिणी के रूप में गृहणी भी हैं और कृषि भी करती हैं।
सुनीता (Sunita)
बिहार (Bihar) के सारण जिले के बरेजा (Bareja) गाँव की रहने वाली हैं सुनीता। सुनीता ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। वो बताती हैं कि हमेशा से उनको सब्जी उगाने का शौक था। उनके घर में जब कोई बर्तन टूट जाता तो सुनीता उसमें मिट्टी डाल के अपने परिवार के लिए सब्जी उगा देती थीं।
पाईप में सब्जी उगाने का आया आईडिया
एक बार उन्होंने बिना कुछ सोचे एक कबाड़ी वाले से पाईप खरीद ली। उन्हें उस पाईप का कोई काम नहीं था, इसलिए उन्होंने उस पाईप को छत पर रख दिया। रखे-रखे उस पाईप में मिट्टी इकट्ठा हो गई और उस पर जब बारिश का पानी पड़ा तो उसमे घास तथा छोटे-छोटे पौधे उग गए। इसे देख सुनीता को आईडिया आया कि क्यूं ना वो पाईप में हीं सब्जिया उगाएं।
सुनीता ने शुरू की पाईप में खेती
इस कार्य में उनके पति सत्येंद्र प्रसाद ( Satyendra prasad) ने भी उनका पूरा साथ दिया। सुनीता इस कार्य की शुरूआत करते हुए सबसे पहले वैसे ही पाईप मंगाई। उसके बाद उसमें मिट्टी डालने के काम की शुरूआत की। मिट्टी डालने के बाद सुनीता ने पाईप में छेदा करने का काम किया। सुनीता को इस कार्य में सफलता प्राप्त हुई। वो अपने घर पर हीं बेगन, गोभी जैसे सब्जी उगाई।
सुनीता के इस कार्य की हुई प्रशंसा
सुनीता की इस अद्भुत सफलता की कहानी कृषि विभाग तक पहुँची। वहाँ के अधिकारियों ने सुनीता की बहुत प्रशंसा की और इसका प्रदर्शनी लगाने का आईडिया दिया। सुनीता एक गृहणी होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भी बनी। ना सिर्फ सुनीता खुद आत्मनिर्भर बनीं बल्कि दूसरे महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया।
यह भी पढ़े :- गुजतात: इजराइल से खजूर की खेती सीख लाखों रुपये कमा रहे हैं, अपने उत्पाद को विदेशों में भी बेचते हैं
सुनीता हुई सम्मानित
सुनीता के प्रदर्शनी लगाने के बाद उन्हें किसान अभिनव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सिर्फ इतना हीं नहीं उन्हे डीडी किसान के एक महिला किसान अवार्ड शो में उन्हें सम्मानित किया गया। इस शो में सुनीता के कार्य को दिखाया गया है।
आज कल सुई देकर सब्जियों के आकर को बढ़ाया जा रहा है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। ऐसे में सुनीता से शहर के लोगों को भी सीख मिल रही है। पाईप में खेती करने के लिए ज्यादा जगह की भी आवशकता नहीं है। वह खेती पाईप के बजाए बास में भी किया जा सकता है। सुनीता ने बताया कि पाईप में खेती करने में कम से कम 800 रुपये की लागत लगती है, जबकि बास में सिर्फ 100 रुपये में हो जाता है।
सुनीता कर रही हैं 2 लाख तक की कमाई
सुनीता ने पहले पोल्ट्री फार्म में भी हाथ आजमा चुकी हैं, परंतु उसमें उन्हें खास सफलता नहीं मिली। उसके बाद उन्होंने मशरूम उगाने की शुरूआत की। सुनीता बताती हैं कि शुरूआत में उन्हे मशरूम में भी बहुत से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिर धीरे-धीरे उन्होंने इसमें सफलता प्राप्त की। उसके बाद सुनीता ने अपने आस-पास के औरतों को भी रोजगार दिया। अब सुनीता उन औरतो की मदद से सालाना 2 लाख तक की कमाई करती हैं।
The logically सुनीता के अद्भुत कार्य की प्रशंसा करता है। सुनीता सभी के लिए प्रेरणा का पात्र बन चुकी हैं।