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बिहार का पहला जैविक गांव “केङिया”! पढ़िए उसके जैविकीकरण की पूरी कहानी..

कृषि को भारत की रीढ कहा जाता है ! कृषि कर अपना जीविकोपार्जन करने वालों की तादाद यहाँ अधिक संख्या में है ! कृषि पर आधारित होने के कारण आज अधिक उत्पादन हेतु रसायनिक खादों ,और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग चरम सीमा पर है ऐसे में बिहार के जमुई जिले में स्थित “केड़िया” एक एेसा गांव है जहाँ की पूरी खेती जैविक विधि से की जाती है ! इस गांव को बिहार का पहला जैविक गांव का दर्जा प्राप्त है ! आईए जानते हैं इस गांव के जैविकीकरण की सम्पूर्ण कहानी..

गांव केड़िया पर एक नजर

बिहार के जमुई जिले में स्थित बरहट प्रखण्ड का पाड़ो पंचायतांतर्गत एक गांव है “केड़िया” ! इस गांव में लगभग 107 परिवार रहते हैं जिसकी कुल आबादी करीब 600 है ! सभी परिवारों में से अधिकत्तर परिवार का मुख्य पेशा कृषि है ! यहाँ के लोग बहुत हीं शिद्दत से खेती करते हैं ! यहां के किसान अपनी कृषि पद्धति और उत्पादकता को लेकर बेहद संजीदे हैं ! अपने खेती में रसायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग पर बिल्कुल रोक लगाकर यहाँ के किसानों ने पूर्ण रूप से जैविक कृषि पद्धति अपना लिया है और यहाँ की 45 एकड़ की भूमि पर जैविक खेती कर रहे हैं ! केड़िया के किसानों ने जैविक खेती अपना कर कृषि के क्षेत्र में सफलता की इबारत लिखी है !

इस तरह की जाती है जैविक खेती

2014 में इस गांव के किसानों ने मिलकर “जीवित माटी किसान समिति” बनाई और इसके अंतर्गत “जीवित माटी” के नाम से अभियान चलाया जाने लगा ! गांव के लोग इस अभियान से जुड़ते गए और जैविक खेती के क्षेत्र में निरन्तर रूप से आगे बढना शुरू कर दिया ! यहाँ के सभी किसानों ने मिलकर यह तय कर लिया कि यहाँ हमलोग जहर मुक्त खेती करेंगे और खेती में किसी भी प्रकार का रसायन का प्रयोग नहीं करेंगे ! ये लोग खुद से जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों को तैयार करते हैं ! बिहार सरकार के कृषि विभाग के जैविक कृषि प्रोत्साहन योजना के तहत दिए गए मदद से यहाँ के 10 लोगों ने वर्मी कम्पोस्ट की इकाई स्थापित की है ! जिससे गाँव के अन्य किसान भी इससे प्रेरित हुए हैं ! केड़िया गांव में कुल 22 बायोगैस संयंत्र बनाए जा चुके हैं ! गांव के लोगों ने मवेशी पालने हेतु कई शेड भी बनाए हैं ताकि उनका मल-मूत्र इकट्ठा कर उसका कृषि में उपयोग किया जा सके ! जैविक खेती की महत्ता के संदर्भ में गांव के हीं एक किसान व जीवित माटी किसान समिति के अध्यक्ष आनंदी यादव कहते हैं कि “जब से लोगों ने जैविक विधि को अपनाया है तब से लागत में कमी के अलावा उत्पाद की कीमत भी बेहतर मिल रही है” ! एक दूसरे किसान राजकुमार यादव का कहना है कि “अपनी खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बची रहे , स्वास्थ्य भी बना रहे , इस सोंच के साथ हम लोगों ने जैविक विधि से खेती करते आ रहे हैं” !

मिल चुका है सम्मान और सरकारी मदद

जैविक खेती में पराकाष्ठा पेश करने के कारण केड़िया को बिहार का पहला “जैविक गांव” धोषित किया गया है ! प्रथम जैविक गांव का सम्मान मिलना केड़िया के लोगों के लिए गर्व की बात है ! गांव के किसानों का जैविक कृषि में मेहनत और सफलता ने दूसरे राज्यों को भी आकृष्ट किया है ! वर्ष 2018 में सिक्किम सरकार और प्रमाणीकरण फोरम ने इस गांव को जैविक खेती को लेकर प्रमाण पत्र दे चुका है ! गांव के किसानों द्वारा आयोजित जश्न-ए-जैविक महोत्सव में भाग लेते हुए कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि जैविक कृषि क्रांति की पहल करने वाला केड़िया गांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं ! यह गांव देश को जैविक खेती की राह दिखा रहा है ! सरकार की मदद से वर्मी कम्पोस्ट की इकाई भी स्थापित की गई है !

दूर-दूर से देखने व सीखने आते हैं लोग

केड़िया के किसानों ने जैविक कृषि के क्षेत्र में जो सफलता की प्रेरणात्मक कहानी लिखी है वह दूर रह रहे लोगों को भी आकर्षित व प्रेरित करने से वंचित नहीं रही है ! यहाँ की कृषि को देखने व उससे सिखने हेतु देश के अलावा विदेशों तक से लोग आते रहते हैं और अपने प्रश्नों का जबाब जानते हैं और अपने यहाँ इस विधि को अपनाते भी हैं !

बिहार के केड़िया गांव के किसानों ने जैविक खेती के क्षेत्र में अपनी मेहनत से जो क्रांति लाई है वह कृषि जगत से जुड़े सभी लोगों के लिए प्रेरणाप्रद है ! Logically केड़िया के उन सभी जैविक कृषकों को व उनके प्रयासों को नमन करता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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