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PPE किट के साथ ही अन्य प्लास्टिकों से बना रहे हैं ईंट, प्लास्टिक के कूड़े से कर रहे हैं कारोबार

लॉकडाउन के शुरुआती दिन. स्वच्छ होती हवा. साफ़-सुथरी नदियां. धूल, धुएं और शोर-शराबे से निजात पाते शहर. जहां एक ओर यह पर्यावरण के लिए वरदान साबित हुए थें. वहीं दूसरी ओर बढ़ते मास्क, PPE कीट, ग्लव्स और सैनिटाइजर के खाली बॉटल्स एक बार फिर इसे अभिशाप बनने की कगार पर धकेल रहें हैं. भारी मात्रा में उत्पन्न इस कचरे की ‘रीसाइक्लिंग’ वेस्ट के दुष्प्रभाव को कम करने में कारगर साबित हो सकती है. इस प्लास्टिक वेस्ट के रीसाइक्लिंग की बात कर रहें हैं, हमारे देश के ही एक शख्स, जिनका नाम है बिनीश देसाई.

दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं है : बिनीश




बिनीश देसाई (Binish Desai) गुजरात के रहने वाले हैं. इन्हें भारत का ‘Recycle Man’ भी कहा जाता है. उनका मानना है कि इस दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं है (Nothing is useless in this world). इस महामारी से ख़ुद को बचाने के लिए हम जिस PPE किट, फ़ेस मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर का लगातार इस्तेमाल कर रहें है, वह प्लास्टिक वेस्ट के रूप में हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत COVID-19 से संबंधित 101 मीट्रिक टन प्रति दिन बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न कर रहा है. इसके अलावा हमारा देश लगभग 609 मीट्रिक टन/ दिन बायोमेडिकल कचरे के उत्पादन करता है. इस समस्या से निपटने के लिए बीनिश ने इस प्लास्टिक वेस्ट को ईंट (Bricks) में तब्दील करने की बात कही है.

बिनीश BDream नाम की कंपनी के संस्थापक हैं. उनकी यह कंपनी औद्योगिक कचरे को रिसाइकल कर सस्टेनेबल बिल्डिंग मटीरियल बनाने के लिए प्रौद्योगिकियों के डिजाइन करने पर केंद्रित है. उनकी यह कंपनी 2010 में P-Block ब्रिक्स का आविष्कार कर चुके हैं. ये ईंट पेपर मिल से निकलने वाले वेस्ट से बनी है. इसी प्रक्रिया का उपयोग करते हुए P-Block के बाद बिनीश कोरोना के कचरे से उत्पन्न P-Block 2.0 नाम की ईंट विकसित कर रहें हैं.

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P-Block ब्रिक्स की तुलना में P-Block 2.0 ब्रिक्स ज़्यादा हल्के और मजबूत




बिनीश ने ‘कोरोना वेस्ट’ से पर्यावरण के अनुकूल जो ईंटें विकसित की हैं, उसमें 52 % तक PPE मटीरीयल, 45% गीले कागज़ के स्लज और 3% गोंद हैं. उनके इस P-Block 2.0 नामक ईंट की क्वालिटी को एक स्थानीय प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित भी किया गया है. कोरोना महामारी के कारण बिनीश फिलहाल राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं से संपर्क नहीं कर सकते. इस ईंट की कीमत 2.8 रुपये होगी और इसे बनाते हुए पर स्क्वायर फ़ुट के हिसाब से 7 किलो वेस्ट लगता है. पर्यावरणविद ने कहा कि P-Block ब्रिक्स की तुलना में ईंट 2.0 हल्का और मजबूत है. साथ ही ये ईंट वॉटर-प्रूफ़ हैं. ज़्यादा भारी भी नहीं और आग से भी बचाव करती हैं.

पृथ्वी को प्लास्टिक के इस बोझ से बचाने के लिए बिनीश देसाई (Binish Desai) ने जो रास्ता निकाला है, उसके लिए The Logically बिनीश की सराहना करता है. साथ ही आशा करता है कि जल्द ही इन ईंटों का बड़े स्तर पर निर्माण कार्य शुरू होगा.

Archana is a post graduate. She loves to paint and write. She believes, good stories have brighter impact on human kind. Thus, she pens down stories of social change by talking to different super heroes who are struggling to make our planet better.

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