Home Inviduals

इस आर्किटेक्ट के मुरीद हो जाएंगे आप, राह चलते चीज़ों को देखकर डिज़ाइन बना देता है

Felip de Castro draws building

क्या ब्रैड सैंडविच या हेलमेट को देखकर आपके दिमाग में कभी कोई क्रिएटिव थॉट आया है ?, या फिर मोबाइल स्टेंड, कैमरा या बच्चे के झुनझुने को देखकर? , कपड़े सुखाने वाली क्लिप, पैन ड्राइव या पुराने ज़माने के रेड़ियो को देखकर तो पक्का कुछ रचनात्मक विचार दिमाग में आया ही होगा। बेशक ही हर सवाल पर आपका जवाब होगा नही, ये तो केवल रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ें हैं, भला इन्हे देखकर कैसे क्रिएटिव थॉट्स आएंगे?

अब आपसे एक और सवाल – क्या आपने कभी ये सोचा है कि आर्किटेक्ट बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों व खूबसूरत घरों के निर्माण के लिए नित नये ड़िज़ायन कहां से लाते हैं? इतना क्रिएटिव माइंड आखिर वो लाते कहां से हैं ? इन सारे सवालों के जवाब में हम इस लेख के माध्यम से आपको ब्राज़ील के एक ऐसे अद्भूत आर्किटेक्ट(Architect) फैलिप-डी-क्रैस्टो (Felip de Castro) के बारे में बताने वाले हैं जो न केवल रोज़ इस्तेमाल होने वाली चीज़ों बल्कि खाने वाली चीज़ों को भी एक अलग नज़रिये से देखते हुए इमारतों के निर्माण के लिए डिफरैंट डिज़ायन्स् ढूंढ निकालते हैं।

छोटी वस्तुओं के बड़े आकार की कल्पना करके देखते हैं फैलिप-डी-क्रैस्टो

Bored Panda न्यूज़ मीडिया से हुई बातचीत में ब्राज़ील स्थित रियो डी जेनेरियो (Rio de Janerio, Brazil) निवासी 33 वर्षीय फैलिप-डी-क्रैस्टो कहते हैं कि-“मैं अपने डिज़ायन्स् को कभी कागज पर नही उकेरता, मैं जब किसी भी छोटी वस्तु को देखता हूं तो अचानक ही दिमाग में ये कल्पना होने लगती है कि ये बस्तु अपने बड़े आकार में कैसी लगेगी और लोग उसके नीचे चलते हुए कैसे लगेंगे”

स्वंय की अभिव्यक्ति के लिए ड्राइंग है बेहतरीन ऑप्शनः फैलिप-डी-क्रैस्टो

2018 में वास्तुकला में ग्रेजुएशन कर चुके फैलिप-डी-क्रैस्टो 2020 से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वे कहते हैं – “यूं तो खुद को व्यक्त करने के लिए हमारे पास बहुत से माध्यम होते हैं जैसे स्पीच, राइटिंग, बॉडी लैंगुएज और भी कई। लेकिन, जहां तक मुझे लगता है इनमें सबसे बेहतरीन विकल्प ड्राइंग का है जिसमें कोई व्याख्यान नही होता, ड्राइंग सबसे ज़्यादा आर्ट पर आधारित होता है, जोकि तकनीकी व कलात्मक भी है”

फैलिप के कई डिज़ायन्स रियल बिल्डिंग का रुप ले चुके हैं

फैलिप की माने तो- सबसे बड़ा चैलेंड किसी वस्तु के लार्जर साइज को सोचना और फिर उसको वास्तविक आकार भी देना है। अभी तक उनके कई डिज़ायन्स साकार रुप भी ले चुके हैं यानि उस आर्किटेक्चर पर कई बिल्डिंग बन चुकी हैं और अभी कुछ डिज़ायन निर्माणाधीन हैं।

इंस्टाग्राम पर फैलिप-डी-क्रैस्टो के हज़ारों फॉलोअर्स हैं

फैलिप के डिज़ान्स् और उनका आर्ट वर्क न केवल मनोरंजन का विषय मात्र है बल्कि कॉलेजों में उसे शैक्षिक उद्देश्य से भी उपयोग किया जाता है। वर्तमान में उनके इंस्टाग्राम पर 63 हज़ार से भी ज़्यादा फॉलोअर्स हैं। पूरे विश्व के आर्किटेक्चरल इस्टीट्यूट फैलिप से इस कल्पना शक्ति व सोच को जानने के लिए उनसे न केवल कांटेक्ट करते हैं बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी वही कला सिखाने की बात करते हैं। फैलिप कहते हैं – “ये मेरे लिए एक गर्व की बात है कि दुनियाभर के स्टूडेंट मुझे फॉलो करने की कोशिश करते हैं”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

Exit mobile version