अगर मन मे चाह हो तो असम्भव को भी सम्भव बनने में समय नही लगता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के एक किसान ने। बिहार के चिल्हक़ी बीघा के रहने वाले बृजकिशोर मेहता (Brijkishore mehta)पेशे से एक किसान हैं। बृजकिशोर मेहता के बेटे गुड्डू कुमार हरियाणा के हिसार के एक फार्म में काम करते थे। बृजकिशोर ने अपने बेटे से एक दिन उनके काम के बारे में पूछा तब उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पता चला। यह बताते है पहले तो स्ट्राबेरी दिखता कैसा है यह भी नही पता था फिर भी अपने गांव में इसकी खेती करने की सोची। यह बात अपने बेटे को बताई तो वह भी यह रहने को तैयार हो गया।
कृषि वैज्ञानिकों ने बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती को असंभव बताया
बिहार के चिल्हाकि बीघा और हिसार की जलवायु मिलती-जुलती है इसलिए इन्हें लगा कि स्ट्राबेरी की खेती यह भी की जा सकती हैं। इसके बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए बृजकिशोर औरंगाबाद के कृषि विज्ञान केन्द्र गए । यहाँ से इन्हें समस्तीपुर के सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी जाने की सलाह दी गयी। लेकिन यह उस समय बृजकिशोर को निराशा हुई जब कृषि वैज्ञानिकों ने बिहार में स्ट्राबेरी की खेती को असम्भव बताया।
लेकिन बृजकिशोर मेहता कहा हार मानने वालों में से थे। उन्होंने हिसार के कुछ स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों से बात की। 2013 में आखिरकार अपनी ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी के 7 पौधे लगाए।
इन 7 पौधों से 500 नए पौधे तैयार हुए।
सफलता देख गांव के लोगो ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती की
बृजकिशोर मेहता की सफलता देख गांव के दूसरे किसानों ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती की तरफ रुख़ किया। इससे गांव में पलायन रुक गया और रोजगार के अवसर पैदा हुए। आज पड़ोसी गांव की महिलाएं भी इससे नौकरी पा रही हैं।
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खेती तो सफल हुई पर व्यपारी खरीदने को तैयार नही थे
गांव के किसान स्ट्राबेरी की खेती तो कर रहे थे पर उन्हें समस्या इसे बाजार में बेचने में आ रही थी। व्यापारी इसे खरीदने से बच रहे थे। बाद में तयार भी हुए तो वाजिब कीमत नही मिल पायी। मज़बूरी में किसान इसे 200-300 रुपये में होलसेल व्यापारियों को बेचने लगे। बहुत समझाने के बाद कुछ व्यपारी मदद के लिए आगे आए।
आज लाखो की कमाई हो रही हैं
बृजकिशोर आज अपने तीन बेटो के साथ अपनी दो बीघा और 6 बीघा जमीन लीज पर लेकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। अब कम समय मे ही एक बीघा से 2.5-3 लाख तक कि कमाई हो जाती हैं। अब तो इन्होंने मदद के लिए 15 परमानेंट कर्मचारी और 30 टेम्पररी कर्मचारी रखा हैं।
जिन कृषि वैज्ञानिकों ने स्ट्रॉबेरी की खेती को असम्भव बताया था आज वही किसानों को इसके लिए जमीन तैयार करने में मदद कर रहे हैं। बृजकिशोर मेहता ( Brijkishore mehta) ने अपनी मेहनत से कृषि वैज्ञानिकों को गलत साबित कर दिया।