शिक्षा के बगैर इस धरती पर हम जानवर के समान हैं। आज हर एक व्यक्ति शिक्षा के महत्व को जनता है। – BRO Officers are teaching poor children near Indo-China Border
आज की हमारी यह कहानी उन बीआरओ अधिकारियों (BRO Officers) की है, जो भारत- चीन के बॉर्डर पर शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करने में लगे हैं।
सड़क परियोजना में रहते हैं पैरेंट्स व्यस्त
ये बच्चे भारत-चीन सीमा पर स्थित इलाके में रहते हैं। उन शिक्षा से वंचित बच्चों की सेवा के लिए बीआरओ के दो अधिकारियों ने एक पहल की शुरूआत की। उन बच्चों के पैरेंट्स 12,000 फीट की ऊंचाई पर सड़क विकास परियोजना में शामिल रहते हैं।
सूबेदार सन्देश पवार और राहुल यादव
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अधिकारी तैनात हैं। वे बीआरओ अधिकारी-जूनियर इंजीनियर राहुल यादव और सूबेदार संदेश पवार हैं। उन्होंने करीब तीन हफ्ते पहले भारत-चीन सीमा के पास बीआरओ के शिवालिक रोड प्रोजेक्ट में तैनात रहते हुए एक पहल शुरू की थी। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को उनके माता-पिता के काम पर जाने के बाद व्यस्त रखना है।”
अधिकारी के साथ बने शिक्षक
उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि यह स्कूल टेंट के नीचे चलता है। बच्चों के बैठने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है। अब ये अधिकारी होने के साथ-साथ शिक्षक भी बने हुए हैं।
अन्य कार्यकता भी देते हैं सहयोग
बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी वर्णमाला सिखाई जाती है और विभिन्न फलों, सब्जियों और जानवरों की पहचान कराई जाती है। इसके साथ राष्ट्रीय महत्व की तिथियों और घटनाओं को भी पढ़ाया जाता है। इन दोनों में कुछ कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जो इन बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं।
सुबह से ही शुरू होती है क्लास
कक्षाएं सुबह आठ बजे से शुरू होकर दोपहर तक चलती हैं। दो घंटे के ब्रेक के बाद दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक कक्षाएं फिर से शुरू होती हैं।- BRO Officers are teaching poor children near Indo-China Border