स्ट्रॉबेरी (Strawberry) का कारोबार मुनाफा कमाने के लिए एक अच्छा विकल्प है। स्ट्रॉबेरी (ड्रैगन फ्रूट) की खेती कर आप आसानी से लाखों की कमाई कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए केवल एक एकड़ ज़मीन की ज़रूरत होती है। टेक्नोलॉजी के मदद से किसान पारंपरिक खेती छोड़ आगे बढ़ रहे हैं, जिससे उन्हें लाभ भी हो रहा है। अब बहुत से युवा अच्छी डिग्री प्राप्त करने के बाद खेती का मार्ग चुन रहे हैं। इसके जरिए हर महीने वह 1-2 लाख की कमाई भी कर रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी के अनेक फायदे
स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की फसल बेहद ही कम खर्च में तैयार की जा सकती है। इसके अलावा इसमें सिंचाई की कम जरूरत होती है। स्ट्रॉबेरी की बेल रस्सी की तरह लंम्बी होती है। इसके बेल ज़्यादा जगह में फैलते हैं। इसे एक लकड़ी के सहारे ऊपर चढ़ा दिया जाता है।
जानकार बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी (Strawberry) एक औषधिय फल होता है क्योंकि इसमें बहुत तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें विटामिन C, विटामिन A और विटामिन K पाया जाता है। स्ट्रॉबेरी (Strawberry) आंखों तथा दांतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
ऐसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी के अन्य बहुत से प्रयोग होते हैं। जैसे- इससे जेली, आइसक्रीम और कई मिठाइयां भी बन सकती हैं। भारत में इसका उत्पादन पहाड़ी इलाकों में होता है। जैसे- नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र, नीलगिरी और दार्जलिंग में खास तौर पड़ किया जाता है। स्ट्रॉबेरी (Strawberry) के पौधे लगाने का सही समय 10 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक है। इसके लिए तापमान 30 डिग्री अनुकूल होता है। जानकारों कि माने तो ठंडी जलवायु स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती के लिए अनुकूल है। साथ ही पॉली हाऊस तकनीक भी एक अच्छा विकल्प है, परंतु अगर कम संसाधनों में फसल को सुरक्षित रखना है, तो धूप से बचाने वाली पॉली टनल की विधि अपनाई जा सकती है। इस दौरान इसका खास ख्याल रखना पड़ता है।
कृषि विभाग कर रहे है किसानों की मदद
स्ट्रॉबेरी (Strawberry) का पौधा केएफ बायोप्लान्ट्स प्राइवेट लिमिटेड पुणे (Pune) से खरीदना अच्छा विकल्प है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भी यह पौधा आसानी से पाया जा सकता है। बाजारों में स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की डिमांड बहुत ज्यादा है। बाज़ार में इसकी किमत 300 से 600 रूपए तक है। स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की लागत की तुलना में 3 गुना अधिक मुनाफा होता है। इसके लिए अलग-अलग राज्यों में उद्यानिकी और कृषि विभाग की तरफ से अनुदान भी दिया गया हैं, जिसमें प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप इरीगेशन फुवारा सिंचाई आदि यंत्र पर 40% से 50% तक अनुदान भी दिया गया है। हर राज्य का कृषि विभाग स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती के लिए किसानों की मदद कर रहा है।