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पेड़ लगाने के कारण लोग कहने लगे थे पागल, मगर कड़ी मेहनत द्वारा बंजर ज़मीन पर उगाया जंगल

प्रकृति द्वारा मिली हर चीज़ की कदर हमें करनी चाहिए और प्रकृति को कायम रखना भी बहुत जरूरी । हमारे आस-पास का हरियाली से भरा हुआ आवरण प्रकृति का ही तो देन है। हमें यही कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने खुशहाल जीवन के लिए प्रकृति से स्नेह बनाए रखें।

इंडोनेशिया के सदीमान

हमारी आज की यह पेशकश इंडोनेशिया के एक ऐसे शख्स की है, जिन्होंने लंबी अवधि तक मेहनत किया और अपने परिश्रम से पहाड़ी को हरियाली में बदला। वह शख़्स हैं, इंडोनेशिया (Indonesia) से ताल्लुक रखने वाले सदीमान (Sadiman). उन्होंने 1 या 2 वर्षों तक नहीं, बल्कि लगातार 24 वर्षों तक परिश्रम किया और बंजर पहाड़ी को हरियाली में तब्दील कर दिया। उन्होंने लगभग 250 हेक्टेयर ज़मीन को जंगल का रूप दिया है।

By immense labour this man converts infertile land into forest

जंगल को जीवित करने के लिए संकल्प

साल 1960 में इंडोनेशिया के शहर जावा में आग लगी और वहां देवदार जंगल पूरी तरह आग में झुलस कर रख बन गए। उसके बाद यह जमीन बंजर हो गई। आगलगी के कारण बहुत लंबी अवधि तक वहां लोगों को भुखमरी और सूखे का सामना करना पड़ा। सदिमान ने यह निश्चय किया कि मैं पुनः इस जंगल को जीवित करुंगा। इस दौरान उनकी किसी ने मदद नहीं की और ना ही वहां की सरकार ने। वहां पर सभी लोग उन्हें पागल कहने लगे क्योंकि जिसका उन्होंने दृढ़संकल्प लिया था, वह पूरा होना कठिन था।

पैसों के लिए बेचे अपने पशु

उन्होंने बरगद के पेड़ को खरीदकर वहां लगाना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने वहां पौधे लगाए जो ज़मीन पूरी तरह बंजर थे। पौधों को खरीदने के लिए उनके पास जब राशि की कमी होती, तब उन्होंने अपने पालतू पशुओं को बेचना जरूरी समझा। वह प्रतिदिन इस पहाड़ी क्षेत्र में बंजर भूमि में फीकस और बरगद की पौधे लगाते रहे। वह इस बात से भली-भांति परिचित थे कि इन दोनों पौधों को लगाने से हमें बहुत लाभ मिलेगा और पानी की समस्या भी थोड़ी कम होगी।

लगातार 25 वर्षों तक करते रहे कार्य

ऐसा अनुमान लगाया गया है कि सदीमान ने लगभग 25 वर्षों में 11,000 पौधे लगाएं। हालांकि उन्हें अपनी तपस्या का फल लंबे समय के बाद मिला, लेकिन उस फल से वहां हरियाली ही हरियाली हो गई। जिस तरह पौधों में बढ़ोतरी होने लगी उसी तरह उस क्षेत्र में किसानों को लाभ मिलने लगा। साथ ही फसलों की बुवाई से लेकर सिंचाई तक का कार्य आसान होने लगा।

मिला है सम्मान

सदीमान को उनके कार्यों के लिए बहुत से सम्मान प्राप्त हैं। उन्हें “कल्पतरु” पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। साथ ही “किक एंडी” पुरस्कार भी प्राप्त है। उन्होंने जिस पहाड़ को अपनी मेहनत से जंगल में तब्दील किया, उसे “सदीमान फॉरेस्ट” का नाम दिया गया है। आज उनकी आयु 70 वर्ष हो चुकी है फिर भी वह सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

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