भारत में अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर हैं। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो हमारे देश में ज़्यादातर लोगों को रोजगार देता है। कृषि से लोगों को बहुत फायदे भी है। जितने लोग कृषि करते हैं, उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए बाहर नौकरी करने की ज़रुरत नहीं पड़ती है। वे आत्मनिर्भर होते हैं। कृषि का संबंध सिर्फ खेत में फसल उगाने से ही नहीं बल्कि कृषि का संबंध पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, फ्लोरिकल्चर (फूलों के उत्पादन) से भी है।
कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां से इन्सान को सफलता नहीं मिल सकती है। मनुष्य अपनी लगन और परिश्रम से कामयाबी को हासिल कर सकता है। आज हमारे देश में ज़्यादातर लोगों का कृषि की तरफ रुझान बढ रहा है। लोग अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर कृषि की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। अभी तक लोग अनाज और सब्जियों की खेती अधिक मात्रा में करतें आये हैं। कृषी के मामले में महिलाएं भी पुरूष से पीछे नहीं हैं। सभी अपने-अपने पसंद की खेती करतें हैं क्योंकि हर किसी की पसंद एक जैसी नहीं होती है। किसी को कुछ करने में मन लगता है तो किसी को कुछ। आज की हमारी कहानी ऐसी दो लडकियों की है जिन्होंने फ्लोरिकल्चर की शुरुआत की है।
शिवानी माहेश्वरी (Shiwani Maheshwari) और वामिका बेहती (Waamika Behatee) ने अपनी अच्छी-खासी जॉब छोड़कर फलों की खेती करने का विचार किया। शिवानी माहेश्वरी जयपुर (Jaipur) की रहनेवाली हैं। इनकी उम्र 23 वर्ष है और यह MBA ग्रेजुएट हैं। वहीं वामिका बेहती दिल्ली (Delhi) की रहनेवाली हैं। इनकी उम्र 25 साल है और CA की हुईं हैं। वामिका के पति एक बिजिनेसमैन हैं। MBA और CA की नौकरी छोड़कर खेती की तरफ रुख करना अपने आप में यह एक बहुत बड़ी पहल है। शिवानी जब दिल्ली-रोहतक का सफर तय कर रही थी तब उनको पॉलीहाउस नेट फार्मींग देखने का मौका मिला। उसी समय शिवानी को फूलों की खेती का कारोबार करने का विचार आया। यह बात साल 2015 की है। शिवानी ने पॉलीहाउस नेट फार्मींग की कुछ फोटो खींची और फूलों की खेती करने के बारें में इन्टरनेट पर खोज-बीन शुरु कर दी।
शिवानी की मुलाकात वामिका बेहती से हुई। शिवानी और वामिका दोनों ने साथ मिलकर फ्लोरिकल्चर करना शुरु कर दिया। बहादुरगढ़ (Bahadurgadh) में वामिका का एक कारखाना था। इतना ही नहीं वामिका का झझर (Jhajhar) जिलें के तंडाहेरि (Tandaaheri) गांव में खाली जमीन भी थी। चूंकि हरियाणा कृषि के लिए मशहूर है। इसलिए शिवानी और वामिका ने फूलों की खेती हरियाणा (Hariyana) में करने का मन बनाया। शिवानी और वामिका दोनों ने मिलकर उसी जमीन पर एक फ़ार्म का शुरुआत किया। उस फार्म का नाम युनिस्टार एग्रो (Unistar Agro) है। इन्होनें इस फार्म में अनेकों प्रकार के फूलों की खेती करना प्रारंभ कर दिया। उदाहरण के लिए इस फार्म में लिलियम (Liliyam), गेरबेरा (Gerbera), गुलाब (Rose), रजनिगंधा (Rajnigandha) और ग्लेडीयस (Gladiolus) फूलों को उपजाने का काम शुरु कर दिया।
कहा जाता है न, ‘शिक्षा कभी भी बेकार नहीं जाती।’ अगर इंसान शिक्षित है तो उसकी शिक्षा कभी-न-कभी उपयोग में ज़रुर आती है। एक शिक्षित व्यक्ति अपने बुद्धि का इस्तेमाल कर किसी भी क्षेत्र में अपना फायदा कर सकता हैं। शिवानी और वामिका ने भी फूलों के कारोबार में अपनी पढ़ाई-लिखाई का पूरा उपयोग किया। वामिका को इस काम में उनके पति का भी भरपुर साथ मिलता है। वामिका को उनके पति हमेशा बिजिनेस से संबंधित सुझाव देते रहतें हैं।
भारत (India) में फ्लोरिकल्चर उद्दोग सालभर में 30% की रफ्तार से भी अधिक बढ़ रही हैं। शिवानी और वामिका के इस कोशिश ने हरियाणा के किसानों को उन्नत किस्म की कृषि और व्यवसायिक खेती से रुबरु कराया हैं जिससे वहां के किसानों की बहुत मदद हो रही हैं। वामिका और शिवानी अपनी शिक्षा व तकनीकी के ज्ञान से आर्गेनिक खेती के लिए बहुत सारे किसानों की मदद कर रही है। हरियाणा सरकार शिवानी और वामिका के व्यवसाय (युनिस्टार एग्रो) में सहायता भी कर रही हैं।
वामिका (Waamika) और शिवानी (Shiwani) की मेहनत एवम् किसानों को हो रहें मुनाफे को देखतें हुए सरकार ने सब्सिडी और इनसेंटिव देने की शुरुआत भी कर दी हैं। दोनों के परिश्रम से आज उनका कारोबार बहुत ही आगे बढ़ रहा हैं। इनदोनों का विचार है कि वह अपने कारोबार को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैलाने कोशिश कर रही हैं। वह आर्थिक स्तर पर कृषकों की भी सहायता करना चाहतीं हैं।
Shiwani और Wamikaa का खेती की तरफ बढ़ते रुझान और अपनी मेहनत के बल-बुते पर फूलों के व्यवसाय को सफल बनाने के लियें The Logically उन्हें नमन करता हैं।