नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (National Cancer Registry Programme) की रिपोर्ट के तहत 2020 में 1,392,179 कैंसर केसेज दर्ज किए गए। इनमें ब्रेस्ट, माउथ, सर्विक्स, यूटरी और लंग कैंसर के मरीज ज्यादा पाए गए। कहते है बीमारी किसी से भेदभाव नहीं करती इसलिए आम आदमी से लेकर नामचीन हस्तियों तक कई लोग इसकी जद में आकर अपनी जान गवा चुके हैं। “कैंसर” ये नाम ही किसी के मन में डर पैदा करने के लिए काफी है। ये डर लोगों में इस कदर बैठ गया है कि लोगों ने इसे दूसरा नाम मौत दे दिया है।
हमारे बीच इस बीमारी को लेकर कई मिथ्य है। साथ ही साथ जानकारी की भी कमी है। यही वजह है कि हम अपने आसपास या परिवार में इस गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की खुलकर मदद नहीं कर पाते हैं।
क्या है कैंसर ?
ये एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में घातक सेल्स के बढ़ने पर होती है। ये सेल्स दिमाग, पेंक्रियाज, फेफड़े किसी भी हिस्से में हो सकती है। ये सेल्स मिलकर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। शुरुआत में नजरअंदाज करने पर यही ट्यूमर पूरे शरीर में फैल जाता है।
इसे छुआछूत बिल्कुल न समझे!
पहले तो ये बात जान लें की कैंसर छुआछूत की बीमारी बिल्कुल भी नहीं है। हां ये जेनेटिक तौर पर हो सकती है (यानी की अगर माता पिता को कैंसर है तो बच्चे को भी होने की संभावना है) दूसरी ओर गुटखा तम्बाकू खाने वाले लोगों में भी ये बीमारी उपजती है।
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इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें
कैंसर के मुख्य रूप से चार स्टेज (Stages of cancer) होते हैं। यदि शरीर में इसके होने का पता पहले ही स्टेज में लगा लिया जाता है तो ठीक होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन बहुत कम ही ऐसा होता है कि पहले स्टेज में बीमारी का ओर लग जाए। हालांकि कैंसर स्पेशलिस्ट (Cancer specialist) शरीर पर घाव, गाठ या कोई अन्य असमानता देखकर इस बारे में बता सकते हैं। असामान्य सूजन, लंबे समय तक खासी,सांस फूलना, भूख न लगना वजन कम होना कैंसर के कुछ खास लक्षण है।
कैंसर के प्रमुख चार स्टेज
जिसमें “पहले” और “दूसरे स्टेज” में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है और आसपास के टिशू की गहराई में नहीं फैलता।
“तीसरी स्टेज” में ट्यूमर बड़ा हो चुका होता है और अन्य अंगों में इसके फैलने की संभावना अधिक होती है।
“चौथे स्टेज” में यह अन्य अंगों में फैलने लगता है।
इसके अलावा “स्टेज जीरो” भी है। इसे असामान्य सेल्स के समूह के तौर पर देखा जाता है। यानी कि यह अभी दूसरे अंगों में नहीं फैला होता है। ये सेल्स भविष्य में कैंसर का रूप ले भी सकती है या नहीं भी।
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर शशांक शेखर (Cancer specialist Dr. Shashank Shekhar) का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल को भी कैंसर का मुख्य कारण माना गया है। अनियमित खान पान, डाइट में फल सब्जियों की कमी, शारीरिक परिश्रम की कमी, तम्बाकू और शराब का सेवन कैंसर को बुलावा देता है।
कैंसर का इलाज इन तकनीक से संभव
कैंसर ट्रीटमेंट के लिए कई तकनीक है जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, जीनथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, सेल ट्रांसफर इसका इलाज संभव है। कोई भी डॉक्टर अपको ये सुनिश्चित नहीं करता कि कैंसर पूरी तरह ठीक ही गया है और भविष्य में दोबारा नहीं होगा। संभव है कि इलाज के बाद पांच साल के भीतर यह दोबारा उभर जाए। आमतौर पर अगर ऐसा नहीं होता तो मान लिया जाता है कि ये बीमारी दोबारा नहीं उभरेगी।
इन सब के अलावा मरीज और उसके परिवार – रिश्तेदारों का आत्मविश्वास भी बहुत जरूरी है। इच्छा शक्ति और पॉजिटिव सोच इस बीमारी से लड़ने के लिए बहुत जरूरी होती है।