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फौज में कैप्टेन थी, मन नही लगा तो नौकरी छोड़ दी! अब लोगों को योगा और आर्गेनिक डांस सिखाती हैं

बचपन से हम सभी को आगे चलकर कुछ बनने का सपना होता है परंतु जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं जिससे हम अपने सपने को छोड़ किसी अन्य रास्ते की तरफ चल पड़ते हैं लेकिन अगर हमारे अंदर उस सपने को साकार करने का जुनून होता है तो एक न एक दिन हम सफलता जरुर हासिल करते हैं और अपने सपने को साकार करके हम अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं।

आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताएंगे जो फौज मे रहकर कर्मठता से अपनी वर्दी पर सितारे लगा चुकी थीं परंतु उन्हें बचपन से कुछ अलग बनकर अपनी पहचान बनाना था। उनके जिंदगी में कुछ ऐसे टर्निंग पॉइंट्स आए जिसे वह फौज में चली गईं। इन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने की उड़ान को भरने के लिए आगे चलकर के फौज से वॉलियंटरी रिटायरमेंट लेकर के इन्होंने अपने सपने को साकार किया। और आज वे योग साइकोथेरेपिस्ट बन कर लोगों को ऑर्गेनिक डांस सिखा रही हैं।

कैप्टन सुमिषा शंकर

कैप्टन सुमिषा शंकर की प्रारंभिक शिक्षा बिहार से हुई है। इन्होंने बिहार के सुरंगमा गुरुकुल में डांस सीखा। बचपन से इन्हें शास्त्रीय संगीत और पेंटिंग करने का काफी शौक रहा। इनके पिता एक साइंटिस्ट हैं और यह चार भाई-बहन हैं। कैप्टन सुमिषा बताती है कि मैं भारतीय सेना में आर्मी आयुध कोर में रह चुकी हूं। मैं भारतीय सेना में 6 साल तक आर्मी कैप्टन के पद पर रह चुकी हूं। कुछ साल पहले ही मैंने फौज की नौकरी से वॉलियंटरी रिटायरमेंट ले चुकी हूं।

जब मैं फौज की नौकरी कर रही थी तो वहां मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। उस मर्दो से भरी दुनिया में इंसान कैसे बना जाता है इसके बारे में मैंने इसी फौज की नौकरी से जाना। मेरे पिता हमसे हमेशा कहते हैं कि हम लोगों की जिंदगी का एक इको सिस्टम होता है इस सिस्टम को हमेशा बने रहने दो। मुझे अपने सपने को पूरा करने के लिए और अपने अंदर इस हौसले को बरकरार रखने के लिए यह सब मुझे अपनी मां से मिला जो हमेशा मुझे हौसला और हिम्मत देती थी जिसकी वजह से आज हमने अपने सपने को साकार कर पाई।

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फौजियों को देती थी ट्रेनिंग

मैं अपने कामों को काफी अच्छे से कर रही थी। मैं अपने यूनिट के फौजियों को ट्रेनिंग दे रही थी और मैं खुद भी ट्रेनिंग ले रही थी। यह सब मैं काफी मन लगाकर और अपने सूझ-बूझ के साथ कर रही थी परंतु फिर भी मेरे अंदर कुछ अजीब सा लग रहा था। एक अच्छी खासी सरकारी नौकरी और ऊपर से देश की सेवा करने का मौका मिल रहा था परंतु मेरे अंदर खालीपन सा लगता था। जैसे मानो मैं करना कुछ और चाह रही थी परंतु हो कुछ और रहा था।

साल 2003 में मुझे छोटी सी इंज्यूरी हो गई जिसकी वजह से मैं भटक कर चलने लगी थी और आगे चलकर के धीरे-धीरे मुझे कमर में काफी दर्द बढ़ने लगा। मैं अपने इस दर्द को कुछ दिन तो ब्रूफेन खाकर के कम करती रही। लेकिन जब उसका असर खत्म हो जाता था तो दर्द फिर से शुरु हो जाता था। मेरा यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता ही चला गया। लेकिन फिर भी मेरा मन उस क्लासिक डांस, शास्त्रीय संगीत और एक्टिंग की तरफ ही रहता था और मैं यह सोचती थी कि मेरा यह सपना कब पूरा होगा। मैं अपने बचपन के सपने को कैसे और कब साकार कर पाऊंगी। लेकिन मैंने अपने हौसलों को कभी गिरने नहीं दिया और इसके लिए मैं लगातार प्रयास करती रही।

सरकारी नौकरी से मन नहीं भरा

कैप्टन सुमिषा बताती है कि मैं तो सरकारी नौकरी कर रही थी और इस फौजी नौकरी को मैं खूब मन लगाकर के कर रही थी। परंतु मुझे अंदर ही अंदर बहुत खालीपन सा लग रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कुछ नहीं हूं क्योंकि मुझे बचपन से ही कलाकारी करने का बहुत शौक था और मैं इसी कलाकारी की मदद से अपनी पहचान बनाना चाहती थी। जिसकी वजह से मैंने फौज की नौकरी छोड़ दी। जब मैंने फौज की नौकरी छोड़ी तो मेरी मां चाहती थी कि मैं यूपीएससी की तैयारी करूं और यूपीएससी निकाल कर के मैं आईएएस अधिकारी बनूं।

मेरी मां का यह ख्वाहिश हमेशा से था परंतु मैंने सोचा कि मैं एक सरकारी नौकरी तो छोड़कर के आई हूं और फिर से सरकारी नौकरी ही करने को बोल रही है। मेरे मन में तो यह चल रहा था कि हम खुद से कुछ अलग करके मैं अपनी पहचान बनाऊं। जिसके लिए मैं अपनी तरफ से काफी जोर लगा रही थी और हर वो कोशिश कर रही थी जिससे मुझे एक अलग पहचान मिल सके। फिर मुझे मुंबई के जेलों में बंद कैदियों को मानसिकता बदलने का मौका मिल गया। जिसके बाद मैंने उनसे भी कैदियों को अपने डांस थिएटर और म्यूजिक के माध्यम से उन सभी कैदियों की सोच को बदल दिया।

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टर्निंग पॉइंट

जब मैंने मुंबई के आर्थर रोड और बाइकुला जेल के कैदियों को ट्रेनिंग दी तो तब मुझे पता चला कि जिसे हम अपराधी के नाम से जानते हैं उन लोगों को भी हम अपने इस कला से उन्हें बदल सकते हैं। जिसके बाद हमने मन बना लिया कि अब मुझे इन्हीं लोगों के लिए काम करना है और हम इसी फील्ड के जरिए आगे बढ़ेंगे। मुझे फौज में नौकरी करने के दौरान मुझे अच्छे काम करने के लिए तो मेरे वर्दी पर काफी सितारे लगे थे और मैंने बहुत नाम कमाए थे। इन सबके बावजूद मेरे मन के अंदर जो सोच चल रही थी और हमें अपने बचपन के सपने को साकार भी करना था। अब समय आ गया था कि हम इन सितारों को चमकाएं। इसी सोच को लेकर के मैंने आर्ट बेस्ड थेरेपी का कोर्स किया और कोर्स करने के बाद मैं जेल में उन सभी कैदियों को ट्रेनिंग देने लगी और वहीं से मुझे अपनी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट मिल गया।

सुमीषा कहती हैं कि मैं आर्मी में रहकर के टॉम बॉय बन गई थी लेकिन अब जब मैंने सरकारी नौकरी छोड़कर के ‘सरकार की दुनिया’ रियलिटी शो की और इसके साथ-साथ मैं मास्टर सेफ ऑफ इंडिया सीजन वन में भी गई तो अब डांस करके मैं अब खुद को स्त्री बनाई। मुझे बचपन से ही डांस करने का बहुत शौक था जिसकी वजह से जब मैं नौकरी छोड़ी तो मैं खूब मन से डांस किया और मुझे ऐसा लगा कि अब हम अपनी दुनिया में वापिस आ गई हूं। जब मैं फौज की नौकरी कर रही थी तो मेरे अंदर बहुत सारी हरकतें थी। जिसको हमने धीरे-धीरे अपनी सभी आदतों को और अपनी हरकतों को बदला लोगों के हाव भाव को सीखा।

मेरे अंदर डांस करने की ललक इस प्रकार थी कि जब हम नौकरी छोड़कर आई थी तो इस प्रकार डांस किया कि मैं एक दिन तो अपने बेड से उठ ही नहीं पा रही थी। डांस की वजह से मेरे पीठ का दर्द काफी तेजी से होने लगा फिर मैंने मेडिसिन खाकर के उसे कंट्रोल करने लगी। लेकिन डांस की वजह से वह फिर से दर्द शुरू हो गया और लगातार बढ़ने लगा।

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रीढ़ का दर्द बना मुसीबत

सुमीषा बताती है कि मुझे रीड की हड्डी में दर्द इस प्रकार होने लगा कि अब हमसे यह दर्द कंट्रोल नहीं हो रहा था जिसके लिए मैंने डॉक्टर से इस दर्द के बारे में सलाह लिया परंतु उस डॉक्टर ने मुझे इस दर्द के बारे में बताया कि आपके इस दर्द का इलाज नहीं मिल रहा है। जब मैं डॉक्टर की यह बात सुनी तो काफी परेशान रहने लगी। परंतु कुछ दिनों के बाद मुझे फिर से एक डाक्टर से संपर्क हुआ। उन्होंने देखकर के बताया कि आपके रीढ़ की हड्डी में कोई प्रॉब्लम नहीं है आपके मांसपेशियां कमजोर होने के कारण और आपके बैठने का तरीका गलत होने की वजह से यह कठिनाई आ रही है। डॉक्टर की बात सुनकर मुझे अब अपनी सारी समस्या समझ में आ गई। इसके बाद हमने अयंगर योग से मुलाकात की। जिसके बाद अयंगर योग ने मुझे कमर के दर्द को इस तरह से ठीक कर दिया कि अब हमें किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होती। मेरे कमर का दर्द अब पूरी तरह से ठीक हो गया।

अंतरध्वनि कंपनी बनाई

सुमीषा बताती हैं कि योग करने से मेरी कमर का दर्द तो पूरी तरह से ठीक हो गया परंतु समस्या यह थी कि मैं अब डांस नहीं कर सकती थी। जिसके बाद हमने साल 2013 में अंतरध्वनि नाम से एक कंपनी खोली। मेरी इस अंतरध्वनि कंपनी में वेलविंग, वूमेन एंपारवेमेंट और टीम बिल्डिंग का काम किया जाता है। इस कंपनी को चलाने के बाद हमने साल 2017 में अपने काम से छुट्टी ले ली जिसके बाद में फिर योग थेरेपी और शास्त्र के बारे में जानकारी हासिल करने लगी।

योग थेरेपी और शास्त्र के बारे में मैंने बहुत सारी किताबें और इधर-उधर से जानकारियां इकट्ठा की। जब मुझे इसके बारे में काफी अच्छे से जानकारी हासिल हो गई तो हमने ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन करने के बारे में सोचा और फिर हमने इस ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन को करने लगी। यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन इंडिया में मैंने पहली बार शुरू किया था और मैंने इसका नाम भी ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन रखा।

आज मैं पिछले 10 सालों से यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन कर रही हूं। यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन एक अलग ही तरह का डांस होता है। यह डांस इस प्रकार का नहीं होता जो हम लोग या कोई आम इंसान करता है। इस डांस को करने का तरीका ही कुछ अलग है। यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन करने से लोगों के भावनात्मक स्तर को काफी स्ट्रांग बनाता है। यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन करने से मनुष्य को काफी स्थिर बना देता है। यह ऑर्गेनिक डांस मेडिटेशन एक साइकोलॉजी फैक्ट है जो हम सभी के लिए आवश्यक है।

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साइकोथेरेपिस्ट और होलिस्टिक हीलर

सुमीषा कहती है कि अब मेरी जिंदगी का एक लक्ष्य बन गया है जिससे मैं लोगों की भावनात्मक और मानसिक परेशानियों को दूर करूं और मैं यह सब साइकोथेरेपिस्ट और होलिस्टिक बंद करके लोगों की मदद कर रही हूं। आज मुझे इन लोगों की मदद करने से मुझे ऐसा लग रहा है कि अब हमें एक अलग पहचान मिल गया है। आज मेरा मन भरा हुआ लगता है।

मैंने अपनी जिंदगी में काफी कुछ सीखा है और आज भी हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता रहता है। अगर जिंदगी में परेशानियां आती है तो हमें परेशान रहने की जरुरत नहीं है हम उस परेशानियों को लड़कर के अपना रास्ता खुद निकाल सकते हैं और हम अपने सपने को साकार कर सकते हैं।

प्रेरणा

कैप्टन सुमिषा शंकर से हम लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि हम अपने सपने को कभी टूटने ना दें। हमारी जिंदगी में कैसी भी परेशानियां आए उससे डरना नहीं चाहिए उससे लड़कर के आगे बढ़ते रहना चाहिए और अपने हौसलों को हमेशा बुलंद रखना चाहिए जिससे आपके सपने की उड़ान मिल सके और आप अपनी जिंदगी में एक अलग पहचान बना सकें।

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