बात 90 के दशक की है.. एक छोटे से बच्चे और उसके मासूम से सपने की.. उसके घर दैनिक अख़बार नहीं आता.. हां, गांव से दादाजी के आने या पापा के छुट्टी पर रहने से घर में अख़बार आता था.. उसने शनिवार के अख़बार में एक कॉलम देखा जिसमें बच्चों द्वारा बनाए गए कार्टून उनके नाम, कक्षा और पता के साथ प्रकाशित होते हैं.. उसके अंदर भी कार्टून भेजने की उत्सुकता जगी.. मां से चॉकलेट के लिए पैसे लिया.. लिफाफे और डाक टिकट की व्यवस्था की.. एक अच्छा सा कार्टून बनाया.. उसे अख़बार के पता पर भेज दिया.. घर में नहीं बताया क्योंकि अख़बार में नाम छपने के बाद सभी को ख़ुशी से दिखाना चाहता था।
पूरे सप्ताह अब उसे शनिवार का इंतजार रहा.. शनिवार आ गया.. पेपर खरीदने के लिए पैसे भी मिल गए मां से.. पर उसमें कुछ गायब था.. उस बच्चे का बनाया कार्टून.. बच्चा थोड़ा सा निराश हुआ पर उसने उम्मीद नहीं छोड़ी.. उसे लगा शायद अगले शनिवार मेरा चांस हो.. और दुबारा से अगले शनिवार के इंतजार में लग गया.. अगला शनिवार भी आया.. पर उसका बनाया कार्टून इस बार भी नहीं..
10-11 साल के इस छोटे से बच्चे को तब नहीं पता था कि ज़िंदगी में मिली एक असफलता हमें अपने सपनों से दूर नहीं कर सकती। आज इस बच्चे को कार्टूनिस्ट राकेश रंजन (Cartoonist Rakesh Ranjan) के नाम से जानते हैं। The Logically से अपने बचपन की इस कहानी का ज़िक्र करते वक़्त राकेश के चेहरे पर ख़ुशी और गम दोनों के ही भाव नज़र आ रहे थे। जहां तक मुझे लगता है, गम.. उस मासूम बचपन के लिए.. जो अख़बार में कार्टून और नाम छपने के बाद पूरे घर में उछल-कूद कर गर्व से सबको दिखाना चाहता था.. ख़ुशी इसलिए कि आज उसी बच्चे ने कार्टूनिस्ट की उपाधि हासिल कर ली है और आज भारतीय राजनीतिक कार्टूनिस्ट राकेश रंजन के नाम से जाना जाता है।
राकेश इंदौर (Indore) के ‘टैलेंटेड इंडिया’ (Talented India) न्यूजपॉर्टल में एक एडिटोरियल कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य करतें हैं। इन्होंने पोर्टल के दो पात्रों टेल एंड टेड का निर्माण भी किया है। राकेश वहां 2017 से कार्यरत हैं। इनके द्वारा बनाए गए कार्टून की तारीफ़ पत्रकार रवीश कुमार, डॉ. राहत इंदौरी, तेजस्वी यादव, राहुल गांधी सहित और भी कई लोगों ने की है। राकेश बहुत अच्छे कैरीकेचर आर्टिस्ट भी हैं। साथ ही बैडमिंटन के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं। इन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज के लिए कई टूर्नामेंट खेले हैं। 2006 में राज्य स्तर पर और 2008 में राष्ट्रीय स्तर पर भी खेला है। राकेश को अपने कार्टून के जरिए इंदौर एयरपोर्ट के 100 साल का इतिहास दिखाने का भी मौक़ा मिल चुका है।
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युवा कार्टूनिस्ट राकेश रंजन (Cartoonist Rakesh Ranjan) बिहार के पूर्वी चंपारण मोतिहारी (Motihari) के रहने वाले हैं। इनका जन्म 7 जून 1991 को हुआ था। ये एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता का नाम चौधरी शंकर प्रसाद है। मध्यम वर्गीय परिवार के हर पिता की तरह इनकी भी चाहत थी कि बेटा इंजिनियर बने या किसी सरकारी बैंक में नौकरी करे। पर राकेश के सपने पिता के सपनों से बिल्कुल अलग थें। बचपन से ही इन्हें अपनी कल्पना को आकार देने का शौक़ था। कोई भी ड्राइंग या पेंटिंग देखने के बाद उसे बनाने का मन होने लगता था।
राकेश ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बिहार से पूरी की है। 12वीं तक बिहार बोर्ड के विद्यार्थी रहें। पढ़ाई में एवरेज थे पर ड्राइंग बहुत अच्छी करते थे। 2011 में स्नातक की पढ़ाई के लिए मेरठ (Meerut) चले गए। वहां आईआईएमटी संस्थान (IIMT Institute) से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (Bachelor of Journalism & Mass Communication) की पढ़ाई की। राकेश कहते हैं, वहां 3 साल कैसे निकल गए, पता ही नहीं चला। स्नातक के बाद दिल्ली में तेरह-चौदह जगह रिज्यूमे लगाएं। पर नौकरी कहीं नहीं लगी। एक एजेंसी से कॉल आया लेकिन उसी समय घर जाना पड़ा। इसलिए वहां भी जॉब नहीं मिली। ख़ैर.. राकेश इसे अपने लिए अच्छा ही मानते हैं। 2015 में राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajashthan University) से पत्रकारिता और मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स (Master of Journalism & Mass Communication) किए।
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पहला कार्टून दैनिक भास्कर के फ्रंट पेज पर छपा था
कार्टूनिस्ट के तौर पर हुए शुरुआत के बारे में राकेश बताते हैं कि राजस्थान विश्वविद्यालय में मास्टर्स का फर्स्ट ईयर था। वहां दैनिक भास्कर के एडिटर गेस्ट फैकल्टी के रूप में पढ़ाने आए थे। राकेश ने उनसे पूछा कि पत्रकारिता में कार्टून का क्या रोल है? उन्होंने कहा, “कार्टून बनाते हो क्या? अगर बनाते हो तो कुछ बनाकर ऑफिस में आओ।” राजस्थान में इलेक्शन का समय चल रहा था। इसलिए राकेश वैसे ही कुछ कार्टून बनाकर ले गए। इडिटर को कार्टून और पंच बहुत अच्छे लगें। राकेश का कार्टून दैनिक भास्कर के फ्रंट पेज पर छपा। यह उनका पहला कार्टून था जो अख़बार में छपा और यही वो कार्टून था जिसने कार्टूनिस्ट बनने के सफ़र को शुरू किया।
राकेश कहते हैं, शुरुआती दिनों में कार्टून तो बन जाते थे पर पंच बनाने में दिक्कत होती थी। अपनी इस कमी को दूर करने के लिए सीनियर कार्टूनिस्ट्स को फॉलो करते थे। आगे कहते हैं, “एक कार्टून हज़ार शब्दों के बराबर होता है। इतने शब्दों को एक कार्टून में दिखाने और सही पंच देने के लिए पढ़ना बहुत ज़रूरी है। आप किसी भी फील्ड से हों, आपको अपने फील्ड के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। मैं आज भी सीख रहा हूं। सीखने की जिज्ञासा ख़त्म हो गई तो मनुष्य मृत व्यक्ति के बराबर है।”
राकेश स्वतंत्र होकर काम करना पसंद करते हैं। इडीटर के बारे में कहते हैं कि कभी-कभी वे कार्टून की धज्जियां उड़ा देते हैं। कार्टून को तोड़-मड़ोड कर रख देते हैं। इसलिए इडीटर और कार्टूनिस्ट की कभी नहीं बनती। फिर हंसते हुए कहते हैं, ख़ैर मेरे साथ इडीटर वाली समस्या नहीं है।
एफ आई आर हुआ, गोली मारने की धमकी मिली, फिर भी निष्पक्ष होकर बनाते हैं कार्टून
राकेश बहुत ही निष्पक्ष कार्टून बनाते हैं। अपने कार्टून के जरिए सरकार का सच दिखाने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया के शब्दों में कहें तो राकेश किसी भी एक राजनीतिक पार्टी के अंधभक्त या कट्टर विरोधी नहीं हैं। ये अपने कार्टून के जरिए सरकार की कमियों को दिखाने की कोशिश करते हैं। यही कारण है कि कई बार इन्हें लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ता। राकेश अपने अदम्य साहस और निष्पक्ष पत्रकारिता का परिचय देते हुए कई बार ऐसे कार्टून बनाए हैं जिससे लोगों का विरोध सहना पड़ा है। 2016 में भी इन्होंने कुछ ऐसे ही कार्टून बनाए थे। जेएनयू के कन्हैया कुमार के मुद्दे पर। इनका यह सबसे विवादास्पद कार्टून था जो “न्यू टेलीग्राफ” पर प्रकाशित किया गया था। इसका कैप्शन था, “Brave humour in Troubled times.” विवादास्पद कार्टून बनाने की वजह से राकेश पर दो बार एफ आई आर हुए। गोली मारने की भी धमकी मिली। इन सब के बावजूद राकेश ने कभी अपनी राह नहीं बदली।
आलोचकों का ख़ुद की आलोचना पर घबराना सही नहीं
राकेश आर्ट को अपनी ज़िंदगी मानते हैं। कार्टून और कार्टूनिस्ट शब्द से बेहद प्यार है। कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण (Cartoonist R K Lakshman) को अपनी प्रेरणा मानते हैं। एक सीनियर कार्टूनिस्ट ने राकेश को सुझाव देते हुए कहा था कि आप सरकार के विरोध में कार्टून बनाते हैं.. इसलिए कुछ लोग आपका विरोध करते हैं.. आप ख़ुद एक आलोचक हैं.. और आलोचना पर घबराना सही नहीं..। गुरुमंत्र के रूप में मिली यह सीख राकेश की हिम्मत बढ़ाती है।
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2013 में राकेश ने अपने करियर की शुरुआत फ्रीलांस पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट (freelance Political Cartoonist) के रूप में की थी। तब राकेश अपने पसंदीदा विषय कास्ट रिजर्वेशन के अगेंस्ट कार्टून बनाया करते थे। अपने स्ट्रगल के दिनों में सुबह 3-4 बजे तक जगकर कार्टून बनाया करते थे। इस वजह से कभी-कभी तबीयत भी ख़राब हो जाती थी। इनके कार्टून भारत के नंबर वन पोर्टल द लाफिंग कलर्स, दैनिक भास्कर, जयपुर मैगज़ीन, द न्यू एज इंग्लिश पेपर, नवयुग न्यूजपेपर और भी कई जगह प्रकाशित हो चुके हैं। 2017 से टैलेंटेड इंडिया न्यूजपॉर्टल में डिजिटल मीडिया से जुड़कर काम कर रहे हैं। 2018 में स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर राकेश को इंदौर के देवी अहिल्या बाई एयरपोर्ट का इतिहास कार्टून के जरिए दिखाने का मौक़ा मिला। 14 फीट लंबी इस कलाकृति में राकेश ने 1935 से लेकर 2018 तक के इतिहास की झलक दिखाई है। इंदौर एयरपोर्ट की निदेशक आर्यमा सान्याल (Aryama Sanyal) ने टैलेंटेड इंडिया के इस पहल और राकेश द्वारा बनाए गए इस कलाकृति की सराहना की। इस मौक़े पर टैलेंटेड इंडिया के चीफ इडीटर और कार्टूनिस्ट राकेश रंजन को सम्मानित भी किया गया।
कामयाब होने के लिए नहीं, काबिल बनने के लिए पढ़ो, सफलता झक मार के पीछे आयेगी
2017 में राकेश रंजन को कार्टून वॉच द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एक कार्यक्रम में पुरस्कार भी मिल चुका है। 2017 में ही उत्कृष्ट मीडिया मनोरंजक के रूप में टैलेंटेड इंडिया की तरफ से भी सम्मानित किया गया। अब जब राकेश द्वारा बनाए गए कार्टून लोगों को पसंद आते हैं। बड़े-बड़े लोग शेयर करते हैं। ट्वीट या रीट्वीट किए जाते। पुरस्कार या सम्मान मिलते तो बेटे की इस सफलता को देख घर वाले भी काफ़ी ख़ुश होते हैं। राकेश The Logically की टीम से बात करते हुए कहते हैं, “मेरी पसंदीदा मूवी 3 इडियट्स है। उसमें एक डायलॉग है, कामयाब होने के लिए नहीं काबिल बनने के लिए पढ़ो.. सफलता झक मार के पीछे आयेगी… मैंने भी यही किया और आज की युवा पीढ़ी को भी यही संदेश देना चाहता हूं।”
बिहार के एक छोटे से शहर से निकलकर इतने बड़े प्लेटफॉर्म पर ख़ुद को साबित करने के लिए The Logically इस युवा कार्टूनिस्ट राकेश रंजन को नमन करता है। साथ ही उम्मीद करता है कि भविष्य में भी राकेश ऐसे ही बेबाकी से अपने कार्टून के जरिए सरकार को आइना दिखाते रहें और ज़िंदगी में सफलता हासिल करें।