प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है यह जानते हुए भी अधिकांध लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं लोग पर्यावरण को जिससे जीवों को नया जीवन मिलता है, को साफ-सुथरा रखने के बजाय जगह-जगह कचरे का अम्बार लगा देते हैं। हालांकि, इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पर्यावरण के महत्व को समझते हुए उसके संरक्षण में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
उन्हीं नेक लोगों में एक नाम कानजी भाई (Kanji भाई) का भी शामिल है जो पर्यावरण (Environment) बचाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और उसी के तहत प्लास्टिक वैस्ट से अलग-अलग प्रोडक्ट बना रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षक के तौर पर जानते हैं लोग
कानजी भाई (Kanji Bhai) राजस्थान (Rajasthan) के पाली जिला (Pali District) के रहनेवाले हैं और पेशे से एक चायवाले हैं और उसी से उनका जीवनयापन होता है। लेकिन आज वह लोगों के बीच चायवाले के नाम से नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षक के रूप में मश्हुर हैं। अब पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी तरफ से हर सम्भव कोशिश करते हैं।
जल संरक्षण में निभा रहे हैं अपनी जिम्मेदारी
राजस्थान के पाली जिला में एक बाँध है जो उस जिले का सबसे बड़ा बाँध है और उसका नाम जवाई बाँध है। इस बाँध के जरिए ही पूरे जिले के सभी प्रकार के जीवो की प्यास बुझाइ जाती थी लेकिन मौजूदा समय में इसकी स्थिति बहुत खराब हो गई है। दरअसल, पूरे पाली जिले की प्यास बुझाने वाला यह बाँध आज खुद प्लास्टिक कचरे से जूझ रहा है। कचरे से दूषित हो चुके इस बाँध को फिर से बेहतर बनाने और स्वच्छ जल संरक्षण के लिए प्रयास किया जा रहा है।
बाँध को सहेजने और जल संरक्षण जैसे नेक कार्य में कानजी भाई DJED Foundation नामक संस्था और स्थानीय लोगों की सहायता से जवाई बाँध को पुन: सहेजने की कोशिश में लगे हैं। इससे पशु-पक्षी समेत मनुष्यों को भी साफ पानी का मिल सकेगा और उनकी प्यास बूझ सकेगी। इसके अलावा यदि साफ पानी का इस्तेमाल कई अन्य कार्यों में भी किया जा सकेगा।
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सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ चला रहे हैं मुहिम
बाँध को प्लास्टिक कचरे से त्रस्त देखकर कानजी भाई ने इस समस्या और इससे होनेवाले नुक्सान से निपटने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम भी शुरु किए हैं। इसके तहत वे दूसरें लोगों के साथ मिलकर प्लास्टिक की बोतलों और थैलियों समेत अन्य सामानों को इकट्ठा करते हैं। उसके बाद प्लास्टिक को बोतलों को सबसे पहले साफ किया जाता है और फिर उसमें पॉलीथिन्स को भरा जाता है और इस प्रकार ईको-ब्रिक्स का निर्माण किया जा रहा है।
इको-ब्रिक्स का यहां कर रहे हैं प्रयोग
प्लास्टिक के बोतलों से निर्मित इको-ब्रिक्स का इस्तेमाल आम ईंटों की तरह ही किया जा सकता है। इसके अलावा इको-ब्रिक्स से टुल्स, पेड़-पौधों के आसपास सुरक्षा हेतु दीवार आदि जैसे कार्यो में किया जा रहा है। प्लास्टिक का इस तरह दोबारा इस्तेमाल करने से ईंट बनाने में होनेवाले खर्च की बचत होती है और साथ ही ये कचरा जल स्त्रोतों जैसे नदी-नालों में जाने से बचता है। इस तरह जल दूषित नहीं होगा।
कानजी भाई (Kanji Bhai) द्वारा किए जा रहे इस प्रयास की वजह से उनका गांव प्लास्टिक मुक्त बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यदि हमारे देश के अन्य लोग ही इनक्क तरह सोचने लगे तो पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है। The Logically कानजी भाई के प्रयासों की सराहना करता है।