प्राणीजगत को प्रकृति द्वारा प्रदत्त तत्वों और संसाधनों में सबसे महत्वपूर्ण तत्व ऑक्सीजन युक्त हवा है जो वृक्षों से मिलती है ! इसके अलावा वृक्षों से फल , फूल व कई प्रकार की औषधियाँ भी प्राप्त होती हैं , अत: वृक्षों का पर्याप्त मात्रा में होना बेहद आवश्यक है !
आज जब वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और जनसंख्या वृद्धि के कारण वृक्षों की ऊपलब्धत्ता में कमी के बीच Logically एक ऐसी जुनूनी पर्यावरणविद् की कहानी आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है , जिसने हालातों से लड़ते हुए बिना हार माने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर एक ऐसी वृहद प्रेरणा का निर्माण किया जो सदियों तक आने वाली कई पीढियों को प्रेरित करती रहेगी !
चामी मुर्मु एक महिला पर्यावरणविद् हैं जो झारखंड केे राजनगर की रहने वाली हैं ! लक्ष्य को केन्द्रित कर समर्पित भाव से लगे रहने का नाम है चामी मुर्मु ! चामी मुर्मु ने आज से 32 वर्ष पूर्व सन् 1988 में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य क्षेत्र में कदम रखा ! यह वह दौर था जब महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित माना जाता या अपराध सरीखा माना जाता था ! सामाजिक बंधनों का उस जाल को भेदने का साहस किसी को नहीं होता था ! सामाजिक बंधनों की उस मजबूत जाल को भेदकर चामी मुर्मु निकलीं और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया ! इस कार्य के लिए वे गाँव-गाँव घूमकर लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाना शुरू किया तत्पश्चात महिलाओं को इस कार्य से जोड़ना शुरू किया ! धीरे-धीरे चामी मुर्मु का यह प्रयास रंग लाने लगा और अलग-अलग गाँवों से महिलाएँ इस कार्य के लिए बंधनों को तोड़ चामी मुर्मु के साथ आने लगी ! उन सभी महिलाओं ने मिलकर चामी मुर्मु की अगुवाई में वृक्षहीन भूमियों पर वृक्ष लगाना शुरू किया ! उनलोगों ने यह कार्य बिना रूके निरन्तर रूप से जारी रखा ! चामी मुर्मु के प्रयास के फलस्वरूप इस मुहीम से लगभग 2800 महिलाएँ जुड़ गई ! और वन विभाग के साथ मिलकर उन सबने 25 लाख से भी अधिक पौधे लगा डाले ! जो जगह वीरान थी अथवा बंजर थी उन भूमियों को इतनी अधिक मात्रा में वृक्ष लगाकर उसे हरा-भरा बना दिया ! इन सभी लोगों ने मिलकर लगभग 30000 महिलाओं के लिए स्वरोजगार के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया है !
जंगली इलाकों में नक्सलियों और लकड़ी माफियाओं का आतंक किसी से छुपा नहीं है ! चामी मुर्मु जिस क्षेत्र से आती हैं वहाँ भी यह विकट समस्या थी ! उस क्षेत्र में अपने दमखम के बल पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर उसे बेचकर खुद को समृद्ध बनाना उन सभी का मुख्य पेशा है ! ऐसे में लगे हुए पेड़ों की दिन-प्रतिदिन बढती कटाई से चामी मुर्मु बेहद आहत हुई और उन्होंने इसे रोकने हेतु कुछ करने का संकल्प लिया ! चामी मुर्मु नक्सलियों और लकड़ी माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ दीं और उनका डँटकर मुकाबला किया ! अपने इसी अदम्य साहस का परिचय देने के कारण उन्हें झारखण्ड की “लेडी टार्जन” जैसे उपनाम से नवाजा गया !
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए चामी मुर्मु को कई संस्थाओं , सरकारों द्वारा कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं ! 1996 में इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षामित्र सम्मान से नवाजा गया ! 2020 में राष्ट्रपति द्वारा देश का सर्वोच्च महिला सम्मान “नारी शक्ति सम्मान” से सम्मानित किया गया ! चामी मुर्मु को उनके द्वारा किए गए गए कार्यों के कारण सम्पूर्ण देश को उन पर गर्व है !