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कमाल के आर्टिस्ट: छपरा के ‘किशन’ कागज से सोने-चांदी जैसी ज्वेलरी बनाते हैं, इनकी कला मंत्रमुग्ध कर देगी

सोना, चांदी, ब्रास या डायमंड इत्यादि के महंगे महंगे जेवर तो हम सब ने देखे हैं लेकिन रद्दी कागज या न्यूज़ पेपर से बनी ज्वेलरी के बारे में ना हमने सुना है और ना ही देखा है। आज हम आपको एक ऐसे ही आर्टिस्ट के बारे में बताने वाले हैं जो पुराने न्यूज़पेपर से तरह-तरह की मूर्ति, जानवर और आभूषण बनाते हैं।

बिहार के छपरा (Chhapra) शहर के रहने वाले किशन कुमार गुप्ता (Kishan Kumar Gupta) एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एक छोटे से शहर में अपने पैशन के पीछे भागना और उससे आमदनी करना बहुत ही मुश्किल है। किशन पेपर से पुतला, जानवर, गले का हार, चूड़ी, टीका-नथिया, कान के बाली, पायल और लॉकेट में किसी भी भगवान की मूर्ति बनाते हैं। पेपर से बने ज्वेलरी का नाम सुनकर लोगों को ऐसा लगता है कि शायद उसके लिए कोई स्पेशल पेपर आता होगा लेकिन ऐसा नहीं है। किशन साधारण से न्यूज पेपर (Newspaper Art) से यह आर्ट करते हैं।

लंच आवर में पेपर आर्ट के अभ्यास से शुरू हुई कहानी

पेपर ज्वेलरी आर्ट की शुरुआत कैसे हुई; इस बारे में किशन जी ( Kishan Kumar Gupta) बताते हैं, “2003 में मैं काम करने के उद्देश्य से दिल्ली चला गया। वहां एक प्रिंटिंग कंपनी में लेमिनेशन मशीन चलाने का काम मिला। वहां अच्छे और काफ़ी डिजाइनर पेपर आते थे। कटिंग के बाद बहुत वेस्ट बचता था। उन रद्दी कागज़ से मैंने फूल बनाना शुरू किया। लंच के समय 5 मिनिट में अपना खाना खाकर मैं काग़ज़ को अलग-अलग शेप में फोल्ड करने बैठ जाता था। तरह तरह के फूल बनाता और उसे अपनी मशीन के पीछे दीवाल पर सजाता था। एक बार मालिक ने देख लिया। उन्होंने पूछा कौन बनाया है। मैं डर गया कि शायद गुस्सा करेंगे। इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा पर उन्होंने मुस्कुरा कर कहा कि अच्छा है।”

Kishan Kumar Gupta, Chapra (Bihar)

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दोस्तों और रिश्तेदारों ने भी अपने लिए कई आइटम बनवाएं

2016 में किशन वापस छपरा चले गए। वहां इन्होंने 6-7 महीने होलसेल कपड़े की दुकान पर काम किया। कपड़ों को पहचानना और फोल्ड करना सीखें। फिर साड़ियों का अपना काम शुरू किए। गांव-गांव जाकर साड़ी बेचने लगे। खाली समय में साले (brother in law) के मोबाइल की दुकान पर बैठते और पेपर आर्ट करते। दुकान और घर सजाने के लिए पुतला, नर्तकी या कोई जानवर बनाते। जो भी देखता उन्हें किशन का बनाया शो पीस, एक नज़र में पसंद आ जाता। बहुत लोगों ने किशन से अपने लिए भी डेकोरेटिव पीस बनवाएं लेकिन तब किशन फ्री में बना कर अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को गिफ्ट करते थे।

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हाथी बनाने का पहला ऑर्डर मिला

The Logically से बात करते हुए किशन बताते हैं कि एक बार रोटरी क्लब (Rotary Club) के सदस्य किसी काम से दुकान पर आए। वहां उन्होंने पेपर से बनी हाथी को देखा। उन्होंने पूछा कि यह हाथ से बना है या खरीद कर मंगवाए हो। जब बताया गया कि न्यूज पेपर से बना है तो उन्हें यकीं नहीं हुआ क्योंकि हाथी पर काफी बारीकी से काम किया गया था। उसके दांत, गले में घंटी, रस्सी और जो कपड़ा हाथी को ओढ़ाया गया था, सभी कुछ पेपर का बना था। यहां तक की फ्रेम भी लकड़ी का नहीं बल्कि पेपर का था। जब किशन ने अपने आधे अधूरे काम दिखाएं तब उन्हें विश्वास हुआ। फिर किशन को रोटरी क्लब की तरफ़ से 80 पीस हाथी बनाने का पहला ऑर्डर मिला।

Kishan Kumar Gupta द्वारा बनाई गई NewsPaper Jewellery

एक पीस तैयार होने में दो से तीन दिन का समय लगता है

आगे किशन कहते हैं, “2018 की बात है जब मैं बहुत से पुतले और जानवर बना लिए तब मैंने कुछ नया करने के बारे में सोचा। मैंने अब उन पुतलों के लिए छोटी छोटी पेपर की ज्वेलरी बनाने की कोशिश की। जब वह कोशिश सफ़ल हो गई तब मैं बड़े बड़े ज्वेलरी बनाने लगा। जब भी खाली बैठता कुछ नया करने की कोशिश करता हूं और जो भी बनाया बेहतर बनते गया। आज के समय में मैं गले का हार, चूड़ी, टीका-नथिया, कान के बाली, लॉकेट, पायल, पुतला और किसी भी भगवान की मूर्ति या कोई भी जानवर बड़े आसानी से बना लेता हूं। इनमें से कुछ भी पूरा तैयार होने में 2 से 3 दिन का समय लगता है। गर्मी में ठंडी के मुकाबले जल्दी बनकर तैयार हो जाता है, ठंड के दिनों में पेंट सूखने में समय लगता है।”

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गुवाहाटी से मंगवाते हैं ज्वेलरी के लिए पेंट

किशन पेपर को बगैर भींगाए और फुलाए यह आर्ट करते हैं। वह पेपर को हाथों से फोल्ड करते हैं और छोटे-छोटे शेप देकर उन्हें गोंद या फेविकोल की मदद से आपस में जोड़ देते हैं। फिर उस पर पेंट लगाकर सूखने के लिए रख देते हैं। ज्वेलरी पर जो गोल्डन पेंट करते हैं, वह गुवाहाटी से मंगवाते हैं ताकि रंग काला ना पड़े।

TheLogically से बात करते हुए किशन बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें अपनी यह कला किसी को दिखाने में डर लगता था। उन्हें लगता था कि सामने वाला शक्स उनका मज़ाक उड़ाएगा। अपने दोस्त नीतीश के बहुत कहने पर उन्होंने ‘कला पंक्ति’ आर्ट स्कूल द्वारा आयोजित ‘सप्तरंग’ नामक आर्ट एग्जिबिशन में हिस्सा लिया। किशन कहते हैं, “इस एग्जिबिशन से मुझे बहुत हिम्मत मिली। लोगों से बात करने की झिझक कम हुई और यह बात समझ आई कि कला है तो दिखाने में शर्म कैसी।”

The Logically किशन कुमार गुप्ता (Kishan Kumar Gupta) के इस अद्भुत कला की सराहना करता है। अगर आपको भी उनका यह आर्ट पसंद आया और खरीदना चाहते हैं तो 8873351073 इस नंबर पर कॉन्टैक्ट कर सकते हैं

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