आजकल खेती करने के तरह-तरह के तकनीक उभर कर सामने आ रहें हैं। कई लोग हाइड्रॉपोनिक्स विधि से खेती कर रहें हैं तो कई लोग पारंपरिक खेती में नये नये तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहें हैं। इसके अलावा किसानों को आजकल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी ख़ूब भा रहा है तथा इससे उनकी कमाई भी अच्छी-खासी हो रही है। लेकिन कुछ लोगों के मन मे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर कई सारे सवाल उठ रहें हैं। उदाहरण के लिये क्या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के लिये हानिकारक है? क्या इससे किसान, मजदूर और कम्पनी मालिक बन जाते हैं? इसी तरह कई प्रकार के और प्रश्न भी है जो किसानों को परेशान कर रहा है।
उपर्युक्त सभी सवालों के जवाब के लिये हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी सुनाने जा रहें हैं जो गुजरात में आलू की खेती के लिये जाने जाते हैं। आइए जानते हैं इस किसान के बारे में…
बनासकांठा गांव जो बटका नगरी के नाम से मशहूर हैं, वहां के कई किसान आज बेहद प्रसन्न है। ये किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की वजह से फसल के बीज तथा उत्पादन के बाद उसे बेचने के बारे में चिंतित नहीं है। गणेशभाई पटेल कुंभलमेर गांव के रहने वाले है, जो 100 बीघे जमीन के मालिक है तथा वह अनुबंध खेती के आधार पर आलू की खेती करते है।
बिना किसी जोखिम के प्रतिवर्ष 25 लाख की आमदनी कर रहें
गणेशभाई पटेल आलू की खेती करने के लिए पिछले 8 वर्षों से हाइफन कंपनी के साथ काम कर रहें हैं। यह कॉन्ट्रैक्ट हर वर्ष के लिए होता है तथा इसके आधार पर बिना जोखिम के गणेश भाई पटेल को प्रतिवर्ष 25 लाख रुपए आमदनी के रूप में मिलता है। गणेश भाई के मुताबिक वह जब से कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए हैं। हाइफन कंपनी उन्हें अच्छे पैदावार के लिए सभी आवश्यक सामान उपलब्ध कराती है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण बीज है। बीज के आधार पर खेती करने के बाद जब फसल तैयार हो जाती है तो उसे बेचने के लिए कहीं जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। कंपनी स्वयं आकर उत्पादन को लेकर जाती है। कॉन्ट्रैक्ट की राशि 15 दिनों के अंदर खाते में आ जाती है।
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निश्चित राशि तय है, इसलिए समस्या नहीं है
कॉन्ट्रैक्ट को हर एक वर्ष के लिये अनुबंधित किया जाता है, और खेती आरंभ किया जाता है। इसके अनुसार बाजार में कीमत गिरने के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है तथा अधिक उत्पादन होने पर सामान बेचना भी चिंता का विषय नहीं है। उनका मानना है कि एक निश्चित राशि पर होने की वजह से इसमें कोई समस्या नहीं है।
हाइफन कंपनी के फील्ड एग्जीक्यूटिव का नाम दिनेश माली है। दिनेश माली का कहना है कि यह केवल गणेश भाई पटेल के बारे में नहीं है। बनासकांठा के 1400 किसान हाइफन फूडस कम्पनी से जुड़े हुये हैं। इसके अलावा पूरे उत्तर गुजरात में 3000 किसान हाइफन कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहें हैं। अनुबंध विधि में प्रत्येक वर्ष 2.5 करोड़ आलू का पैदावार होता है। हाईफन कंपनी किसानों को यह सुनिश्चित करने के लिए संचार भी करती है कि वे अच्छी तरह से उत्पादन करते हैं तथा उन्हें ज़रूरी सलाह और सहायता प्रदान की जाती है। जिससे दोनों को अच्छा रिटर्न मिल सके।
आलू का ज्यादातर प्रयोग चिप्स बनाने के लिए किया जाता है तथा कई सारी कंपनियां चिप्स बनाने के कारोबार में शामिल है। कंपनियों का मकसद अच्छा उत्पादन प्राप्त करना है तथा किसानों का मकसद कड़ी मेहनत के साथ साथ निश्चित आय पाना है। किसानों और कंपनी के मकसद को पूरा करने की विधि को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहा जाता है। किसानों को उत्पादित माल पर उचित मूल्य मिलता है जो कि बेहद खुशी की बात है।