Sunday, December 10, 2023

74 घरों वाला यह गांव बिजली इस्तेमाल नही करता, खाना बनाने से लेकर हर कार्य सौर ऊर्जा से होता है:आत्मनिर्भर गांव

हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे कुदरती स्रोत है लेकिन वे एक सीमित मात्रा में उपल्बध हैं। अगर हम किसी भी स्त्रोत का इस्तेमाल ज़रुरत से ज़्यादा करेंगे तो जाहिर सी बात हैं, उस स्रोत में कमी आएगी। देश दुनिया में दिन प्रतिदिन जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। जनसंख्या में वृद्धि का मतलब है, हमारी प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी और संसाधनो की कमी।

इस बढ़ती जनसंख्या के ज़रुरतो की आपूर्ति के लिए दिन प्रतिदिन संसाधनों का इस्तेमाल असीमित मात्रा में हो रहा हैं। उदहारण के लिए पेड़-पौधों की अंधाधुन कटाई हो रही है। जल व बिजली का इस्तेमाल ज़रुरत से ज़्यादा हो रहा हैं। ऐसे ही और भी बहुत सारे स्रोत है जिनका अत्यधिक उपयोग हो रहा हैं। अगर हम सभी प्राकृतिक संसाधनों का ऐसे ही उपयोग करते रहें तो वो दिन दूर नहीं जब ये सब संसाधन कम या खत्म हो जायेंगें। फिर मनुष्यों का जीवन नष्ट होने के कगार पर आ जायेगा। संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण ही धरती का तापमान बढ़ रहा हैं। वैज्ञानिक नये-नये उपाय में इजाफा कर रहे है जिससे हमारी ज़रुरते भी पूरी हो और प्राकृतिक संसाधन भी बचे।

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आजकल हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम तेजी से हो रहा है लेकिन पहले के जैसे बिजली अभी भी कोयले से बनाई जा रही हैं। कोयला एक प्राकृतिक संसाधन हैं और इसकी मात्रा भी सीमित है अगर हम ऐसे इसका उपयोग सीमित नहीं किये तो यह गम्भीर चिंता का विषय बन जायेगा। इस चिंता को कम करने के लिए सौर उर्जा हमारे पास एक बेहतर विकल्प है। ऐसी ही एक जगह है जहां बिजली की पूर्ति सौर उर्जा से हो रही है और प्राकृतिक संसाधन भी बच रहें हैं।




मध्यप्रदेश के बेलूत जिले में स्थित एक गांव है जिसका नाम बांचा हैं। यहां 74 घर हैं। हर घर में सोलर उर्जा का उपयोग होता हैं। यह केंद्र सरकार और आईआईटी के छात्रों के सहयोग से ही सम्भव हो पाया हैं। इस गांव में खाना पकाने से लेकर रोशनी, और अन्य उर्जा से होनेवाले सभी काम अब सब सोलर उर्जा से ही होते हैं। वहां के लोगों का कहना है कि अब जंगल से लकड़ी काटने की ज़रुरत नहीं पड़ती है। सौर उर्जा से ही सब काम हो जाता हैं। उनका ये भी कहना है कि स्वच्छ उर्जा के इस्तेमाल से खाना बनाने वाला बर्तन भी काला नहीं होता जिससे उनका समय और मेहनत दोनो बचता हैं।

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केंद्र सरकार ने बांचा गांव को ट्रायल के लिए चुना था। वर्ष 2018 के दिसंबर तक इस गांव के सभी घरों को सोलर पैनल से जोर दिया। अब इस गांव के सभी लोग सोलर एनर्जी (solar energy) का ही उपयोग करतें हैं। मरकाम इंडिया रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 के अंत तक देश में सौर उर्जा की क्षमता 71,000 मेगावाट हो जायेगीं। केंद्र सरकार की कोशिश है कि हर गांव में सोलर प्लांट लगाया जाये।

समाज के कल्याण और प्राकृतिक संसाधनों के बचत में अहम भुमिका निभाने के लिए The Logically केंद्र सरकार, आईआईटी मुंबई के छात्रों और बांचा गांव के लोगों को नमन करता हैं।