आज के जमाने के बच्चें बाजार की खाद्य और पेय पदार्थो पर ज्यादा जोर देते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। उनको यह नही मालूम है की वो सब उनके स्वास्थ पर कितना बुरा प्रभाव डालते है। कोई कितना भी कोशिश कर ले बच्चें हरी साग सब्जियां छूते तक नहीं हैं, लगभग 30% बच्चें ही ऐसे मिलेंगे जो घर के बने शुद्ध भोजन के साथ हरी साग सब्जियों का सेवन करते हैं। हालाँकि बाज़ार से भी खरीदी जाने वाली सब्जियों को कीटनाशक दवा की सहायता से सींचा जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नही है, इससे अनेक प्रकार की बीमारी होती है।
ऐसे बहुत सारे किसान हैं जो जैविक खेती कर फसलों को सींचते हैं, जिससे हमे कोई बीमारी नहीं होती। आपने सुना होगा की हमारे बुजुर्ग खेतों मे मवेशियों के अपशिष्ठ से बने उर्वरक का उपयोग कर खेती करते थे। इसी जैविक खेती को आगे भी सब अपनाये इसके लिए 18 साल की उम्र से ही आर्य पूदोता सबको जागरूक करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहें हैं। आर्य अपनी यूटूब चैनेल “माय ऑर्गेनिक फार्म” के जरिये किसानों को बताते हैं की “जैविक खेती” कैसे होती है और इसके क्या फायदे हैं।
आर्य का जन्म लखनऊ मे हुआ। इन्होंने अपनी 12वी कक्षा की पढ़ाई बंग्लूरु के इंदिरानगर क्षेत्र के नेशनल पब्लिक स्कूल से पूरी की। जिस उम्र मे ज्यादातर बच्चे मौज मस्ती करते है, इसी उम्र मे आर्य पढाई के बाद जो समय बचता था, उसमे लोगो को बताने लगे कि ऑर्गेनिक खेती कैसे करनी है।
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जैविक खेती की शुरूआत
आर्य जब 12 साल के थे तब से ही उन्होंने खेती की शुरूआत की। उनकी माँ ने अपने घर के पास मे 4000 फुट जमीन खरीदी, उन्होंने ये जमीन बिल्डिंग बनाने के लिए नही बल्कि किचन गार्डन बनाने के लिए खरीदी थी, क्योंकि वो चाहती थी की वह बिना मिलावट का भोजन कर सकें, उनकी माँ ने वहाँ सब्जियां उगाना शुरू किया । आर्य भी अपनी माँ का हाँथ बटाने लगे, कुछ ही सालों मे वो ख़ुद उस किचन गार्डन को संभालने लगें। जैविक विधि से उपजने के कारण लोग उनकी ही सब्जियाँ ज्यादा खरीदते थे । आर्य का लक्ष्य था सबको जैविक खेती के लिए जागरूक करना इसके लिए उन्होंने अपनी यूटूब चैनल “माय ऑर्गेनिक फार्म “बनाया। इसके जरिये आर्य लोगों को घर पर किचन गार्डन बनाकर जैविक विधि से सब्जियां कैसे उगानी है बताने लगे। इनके वीडियो लगभग 200 देशों में 1.50 लाख लोगों ने देखा है।
यूटूब के अलावा आर्य खुद की वेबसाइट पर ब्लॉग्स को लिखते हैं, इसके आतिरिक्त स्कूल मे वेस्ट मैनेजमेंट और आर्गेनिक कम्पोस्टिंग के बारे मे वहाँ के विधार्थियों को बताते हैं। इन्होंने एक फार्मिंग कीट भी बनाया है, जिसका नाम ग्रो बेसिक है। इसमे नीम फ़र्टिलाइज़र, ग्रो कोको पीट ब्लॉक और कुछ सब्जियों के बीज रहते हैं, इसका उपयोग कैसे करना है वो उनके यूटूब चैनल पे बताया गया है।
इनके इस प्रयास और लगन के लिए यूनाइटेड नेशन के एन्वॉयरमेंट प्रोग्राम में सराहना मिली है। इसके साथ ही 2015 मे Green Apple Day of Service – इंडिया अवार्ड मे पहला स्थान मिला है। जैविक खेती के लिए लोगों को जागरूक करना अत्यंत अनुकरणीय और सारानीय है। इसके लिए logically इन्हें नमन करता है।