हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां हर जाति और समुदाय के लोग रहते हैं और वे अपने धर्म-क़ानून को मानते हैं। वैसे तो यहां हमेशा हीं हिन्दू-मुस्लिम में विवाद होता रहता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इन जातिवाद और धर्मवाद के खिलाफ जाकर ऐसा कार्य करते हैं जिससे वे सबके दिलों पर राज करने लगते हैं।
उन्हीं लोगों में से एक हैं, पद्मश्री विजेता मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif)। वैसे तो ये मुस्लिम समाज के हैं, लेकिन उन्होंने 27 वर्षों से लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर अपनी एक अलग उदाहरण पेश किया है।
25 जनवरी को हो चुकी थी घोषणा
25 जनवरी 2020 को यह घोषणा कर दी गई थी कि मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif) को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसकी घोषणा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में किया था। पद्मश्री सम्मान हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
मिला पद्यमश्री सम्मान
पद्मश्री सम्मान मोहम्मद शरीफ (Mohmmad Sarif) को समाज सेवा के क्षेत्र में नेक काम करने के लिए मिला है। वह लगभग 27 वर्षों से लावारिस शवों का नि:शुल्क अंतिम संस्कार कर रहे हैं। राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif) लोगो का मुफ्त में अंतिम संस्कार करते हैं। उन्होंने अब तक लगभग 10000 लोगों का अंतिम संस्कार किया है। उन्हें नेशनल लेवल पर अवार्ड मिल चुका है। उन्हें हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
करते हैं साइकिल मिस्त्री का कार्य
मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif) एक साइकिल मिस्त्री है और उनके पास कोई भी जात-पात का भेदभाव नहीं है। वह लगभग 27 वर्षों से हर धर्म के लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वह किसी भी लावारिश शव को फेंकने नहीं देते सबका अंतिम संस्कार स्वयं करते हैं।
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हजारों लाशों का किया अंतिम संस्कार
अगर उन्हें कोई हिन्दू शव मिला तो उनका अंतिम संस्कार सरयू घाट पर करते हैं और अगर कोई मुस्लिम का शव है तो उन्हें कब्रिस्तान में दफनाते हैं। उन्होंने अब तक लगभग 2500 मुसलमानों और 3000 हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया है।
बेटे के शव को खोने के बाद लिया प्रण
जानकारी के अनुसार मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif) का एक बेटा मेडिकल सर्विसेज से जुड़ा हुआ था, जिसकी हत्या करके सुल्तानपुर में शव को कहीं फेंक दिया गया था। काफी जांच-पड़ताल के बावजूद भी उनके बेटे की लाश नहीं मिली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। इसके उपरांत मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif)
ने यह प्रण लिया कि वह आज से लावारिस शव को ढूंढेंगे और उनका अंतिम संस्कार करेंगे
मोहम्मद शरीफ (Mohmmed Sharif) को लोग उनके क्षेत्र में शरीफ चाचा के नाम से पहचानते हैं। शरीफ चाचा यह कहते है कि “जब तक मेरे जिस्म में जान रहेगा तब तक शवो का अंतिम संस्कार जारी रहेगा।”