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राष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कैप्टन रह चुके हैं,अब विकलांगता में भी मनरेगा की मजदूरी करने को मजबूर हैं

Covid-19 के संक्रमण से हर कोई परेशान है। लोगों के पास खाने तक के लाले पड़े हैं। अधिकांश लोग अपनी ज़रूरत को भी पूरा करने में असमर्थ हैं। साथ ही परेशानी उनलोगों को भी है जो रोज-मर्रा की ज़िंदगी में काम कर अपनी ज़रूरतें पूरी कर रहे थे। आज की हमारी ये कहानी उस शक्स की है जो व्हीलचेयर पर होते हुए भी क्रिकेट खेलते थें और क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान भी रह चुके हैं।

मनरेगा मे रोजी-रोटी के लिए कर रहे हैं काम

क्रिकेट का नाम सुनते ही हर कोई जोश से भर जाता है। लेकिन सुन के बहुत अजीब लगा कि भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी अपने दैनिक दिनचर्या के लिए मनरेगा मे काम कर अपने परिवार वालों को दो वक़्त की रोटी खिला रहें हैं।

राजेंद्र सिंह का निवास स्थान

राजेंद्र सिंह धामी पिथौरागढ जिले के निवासी हैं। लॉकडॉउन के बाद राजेंद्र अपने परिवार को लेकर चिंतित थे कि अब उनका खर्च कैसे चलेगा, जो भी उनके पास था वो सब शुरुआती दिनों मे घर बैठे ख़त्म हो चुका है। इस दौरान इन्होंने सुना कि गांव मे मनरेगा के तहत सड़क निर्माण का काम चल रहा है। उन्होंने मनरेगा में काम करवा रहे अधिकारियों से बात कर वहां पत्थर तोड़ने का काम शुरू कर दिया।

कलक्टर सहायता के लिए आगे आये

इस बात की जानकारी जब पिथौरागढ जिले के कलक्टर को लगी तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। उन्होंने कहा- यह बहुत ही निराशाजनक बात है कि हम जैसे क्रिकेट प्रेमियों के देश में एक क्रिकेटर को रास्ते पर पत्थर तोड़ते देखना पड़ रहा है। कलक्टर ने जिला खेल अधिकारी से सम्पर्क कर राजेंद्र की आर्थिक मदद के लिए बताया जिसके मदद से राजेंद्र के परिवार की थोड़ी परेशानी दूर हुई।

Photo credit – ANI

सरकार से की सरकारी नौकरी की मांग

राजेंद्र के अनुसार, वह टूर्नामेंट मैच में भाग लेने वाले थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सारे मैच स्थगित हो गए हैं। इस वजह से उन्हें अपने जीवन मे काफी काठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। राजेंद्र ने अपनी रक्षा के लिए सरकार से अपनी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के जरिये सरकारी नौकरी के लिए गुहार लगाई है।

बचपन में ही हुए पैरेलाइज

राजेंद्र जब 3 साल की उम्र के थे तब उन्हें पैरालाइसिस हो गया था। जिस वजह से वह 90% विकलांग हो गए। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और क्रिकेट खेलने की शुरुआत की। कम समय मे ही राजेंद्र राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे। 2017 से उन्होंने कुछ बच्चों को ट्रेनिंग देनी शुरू की है, लेकिन इस कोरोना महामारी के कारण ट्रेनिंग सेंटर बंद है जिसके कारण अपने घर खर्च के लिए राजेंद्र को मनरेगा मे काम करना पड़ रहा है।

The Logically सरकार से अपील करता है कि उनकी मदद करें।

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Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

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