इस दुनिया मे सभी मनुष्यों मे कुछ काबिलियत या ज्ञान छिपा हुआ है लेकिन वह उस ज्ञान को बाहर नही आने देता सिर्फ इसी कारण से कि वह कार्य उसके लिए नही बना है या उसकी मानसिकता ऐसी बन जाती है, वह सोचता है कि यह कार्य सिर्फ पैसे वाले ही कर सकते है। जिस कारण वह पिछड़ जाता है। लेकिन हमलोगों एक बात हमेशा याद रखना चाहिए कि जितने भी सफल लोग हुए है वह सभी अनेकों कष्टों से होकर गुजरे है। ऐसे ही 2 महिलाओं की बात करेंगे जिनके पास हर तरह की तंगी थी और उनके पास जो था वह था हौसला और उम्मीद। ये महिलाएं है, बर्तन मांजने वाली “कलिता” (kalita) और दिहाड़ी से घर चलाने वाली “चंदना”(chandana)। जिनके हौसलों ने इनका किस्मत चमका दिया और विश्व की सबसे बड़ी पार्टी “भारतीय जनता पार्टी” (Bhartiya Janata Party) ने बंगाल चुनाव (west Bengal Election) में उन दोनों को अपना उम्मीदवार बनाया है।
कौन है वह दोनों मजदूर महिला उम्मीदवार :-
पहली उम्मीदवार “बर्दमान जिले” के आउसग्राम विधानसभा सीट से कलिता माझी (kalita Manjhi) हैं, तो दूसरी बंगाल के “बांकुड़ा” क्षेत्र में सालतोरा विधानसभा सीट से बीजेपी ने 30 वर्षीय “चंदना बाउरी” (Chandana bauri) हैं। दोनों ही अब अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार में उतर गई हैं।बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीजेपी “बीएल संतोष” ने खुद अपने ट्वीटर एकाउंट पर इनकी तस्वीर के साथ इनके बारे में पोस्ट किया है।
बेहद गरीब परिवार से है “कलिता”(Kalita) :-
किसान की बेटी और प्लंबर की पत्नी 32 वर्षीय “कलिता” (Kalita) पिछले दो दशकों से रोज करीब 4 से 6 घरों में बर्तन मांजकर हर महीने 2 से 3 हजार रुपये कमाकर अपना घर चलाती हैं। आउसग्राम सीट से टिकट मिलने की सूचना उन्हें दी गई तो उन्हें लगा कि उनके साथ मजाक किया गया और वह दूसरे घर बर्तन मांजने चली गईं। कलिता, जब काम से घर लौटीं, तब सैकड़ों समर्थकों का जमावड़ा उनके घर पर मौजूद था। यह देखकर वह भौंचक्की रह गईं कि सच में उन्हें आउसग्राम विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया। कालिका के पास कुल छह साड़ियां हैं और जनधन एकाउंट में 1500 रुपए हैं, जो केंद्र सरकार से मिलती है। वह अपने चुनाव प्रचार में कह रही हैं कि यदि वह जीतती हैं, तो समाज की महिलाओं की हालत बदल देंगी।
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”चंदना” (Chandana) के पास हैं 3 बकरियां, 3 गायें, बगैर टॉयलेट वाली एक झोपड़ी :-
बांकुड़ा (Bakunda) जिले के सालतोरा विधानसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार 30 वर्षीय “चंदना बाउरी” (Chandana Bauri) के पति एक दिहाड़ी कामगार के तौर पर काम करते हैं और रोज करीब 400 रुपये कमा लेते हैं। चुनाव आयोग को दिए जानकारी के अनुसार, “चंदना बाउरी” के पास संपत्ति के नाम पर 3 बकरियां, 3 गायें, बगैर टॉयलेट वाली एक झोपड़ी है और कैश व बैंक में जमा रकम मिलाकर करीब 32 हजार रुपये हैं। चंदना अपने पति के काम में हेल्पर के तौर पर साथ रहती हैं। जिला बीजेपी (BJP) में वरिष्ठ सदस्य रहीं “चंदना” गंगाजलघाटी के केलाई गांव में स्थित अपने घर से प्रत्येक दिन चुनाव प्रचार कर रही हैं और जनता से जीतने का आग्रह कर रही हैं।
इन दोनों मजदूर महिला उम्मीदवारो को मैदान में उतारकर बीजेपी (BJP)ने क्या संदेश दिया :-
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Election) के सियासी घमासान में बीजेपी (BJP) ने बंगाल में परिवर्तन का आह्वान किया है और ‘सोनार बांग्ला’ बनाने का आह्वान किया है। बीजेपी ने ‘सोनार बांग्ला’ बनाने के अभियान में दो ऐसी महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो न केवल दलित और वंचित समुदाय से हैं, बल्कि उनमें एक उम्मीवार वर्षों से दूसरे के घरों में बर्तन मांजती रही हैं, तो दूसरी महिला दिहाड़ी मजदूर का काम कर रही हैं। ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने यह संदेश दिया है कि राजनीति में आने के लिए मात्र पैसा ही मायने नहीं रखता है,काबिलियत और हौसले से भी कामयाबी हासिल की जा सकती है।