Home Farming

चक्रीय फसल की खेती छोड़कर मशरूम की खेती शुरू किए, सलाना 150 क्विन्टल के पैदावार से लाखों का हो रहा है फायदा

हर युवा की ख्वाहिश होती है कि वह पढ़ाई खत्म करने के बाद अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी करे और ऐश-ओ-आराम के साथ जिन्दगी गुजारे। कृषि करना तो विकल्प ही नहीं होता है। लेकिन वर्तमान समय में ऐसे भी युवा है जो अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कृषि कार्य में अपना भविष्य बना रहें हैं तथा साथ में अन्य बेरोजगार लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहें हैं।

आज की कहानी भी एक ऐसे ही युवा किसान की है, जिसने अपने क्षेत्र में मशरुम की खेती कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस युवा किसान ने मशरुम की खेती से 6 महीने में ही 14 लाख की आमदनी भी कमाई है। आइये जानतें हैं, उस युवा किसान के बारें में।

mushroom farmer

दलजीत सिंह पाकिस्तान के सीमा से सटे तरनतारन जिले में गंडीविंड ब्लॉक के हरबंसपुरा गांव के रहने वाले हैं। इनकी उम्र 34 वर्ष है। वे इस क्षेत्र में चिट्टी (सफेद) क्रांती के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। खेतों में पराली और नाड़ की समस्या और आर्थिक दिक्कतों से निकलने के लिये उन्होंनें फसली चक्रों का मोह छोड़ कर मशरूम की खेती की शुरुआत की। आरंभ के दिनों में कुछ परेशानी हुईं लेकिन आज वह सफलता हासिल किये हैं और सभी के लिये प्रेरणास्रोत बन गये हैं।

यह भी पढ़े :- शून्य से शुरू कर आज 2.5 लाख तक सलाना कमा रही हैं, मशरूम की खेती से पहाड़ों से पलायन रोक रही हैं रौशनी

गंडीविंड ब्लॉक के हरबंसपुरा गांव की आबादी लगभग 700 है। उस गांव के किसान जागीर सिंह के 2 बेटे है। एक हरप्रित सिंह और दूसरे दलजीत सिंह। दलजीत सिंह के पास 7 एकड़ भूमि है। उन्होने पराली और नाड़ की समस्या से निपटने के लिये मशरूम की खेती को अपनाया। दलजीत सिंह छोटी ही उम्र में 1999 से एक शेड डालकर मशरूम की खेती आरंभ किये। वर्तमान में उनके पास 20 शेड है। प्रत्येक शेड की लंबाई 70 फुट और चौड़ाई 20 फीट (तीन कनाल) है। वहां पर वह मशरुम की खेती करते हैं।

दलजीत सिंह ने बताया कि मशरुम की खेती ने उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूती प्रदान किया है। वह साल में 150 क्विंटल मशरुम की पैदावार कर रहें हैं। वे इसे 200 ग्राम के पैकिंग में बेचते हैं। वह 5-6 महीने में 14 लाख की कमाई कर रहे हैं। उन्हें लगभग 7-8 लाख का फायदा होता है। इन्होंने साथ काम करने वाले 8 से 10 मजदूरों को छह महीने के लिये रोजगार भी प्रदान किया है। दलजीत सिंह को कृषि विभाग ने सम्मानित भी किया है। वे अन्य किसानों को मशरुम की खेती के लिये ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।

दलजीत सिंह की पत्नी बबलजीत कौर मशरुम की खेती से काफी खुश है। वह अपने बेटे रणबीर सिंह को साथ में लेकर मशरुम की खेती देखकर बेहद आनंदित होती है। बबलजीत कौर ने बताया कि उनके मायके वाले भी मशरुम की खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं। मशरुम की खेती के लिये अलग से मेहनत नहीं करनी पडती हैं। उसके लिये संजीदगी बरतनी पड़ती है।

दलजीत सिंह के गांव के सरपंच सच्चा सिंह, पूर्व सरपंच निर्मल सिंह, राजविंदर सिंह तथा अन्य किसान बलकार सिंह, सतनाम सिंह, जागीर सिंह, कश्मीर सिंह, सरुप सिंह ने बताया कि आज के समय में पराली और नाड़ को आग लगाना एक बड़ी दिक्कत है। गिर रहे भूमि जल को ध्यान में रखते हुयें दलजीत सिंह ने मशरुम की खेती से चिट्टी क्रांती का रास्ता दिखाया है।

दलजीत सिंह बताते हैं कि डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल द्वारा जिला स्तरीय समागम अवसर पर 15 अगस्त 2019 को उन्हें सम्मानित किया गया। कमिश्नर द्वारा सम्मानित होने के बाद दलजीत सिंह ने कहा कि उनका हौसला काफी बढ़ गया है। दूसरे किसानों को भी चिट्टी क्रांती के तरफ रुख करना चाहिए। डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह धुरी ने दलजीत सिंह की सराहना करते हुये कहा कि मशरुम की खेती से आर्थिक तौर पर लाभ के साथ-साथ पराली को खेतों में मिलाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने का कार्य भी कर रहा है। उन्होने कहा कि दलजीत सिंह से अन्य किसानों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

विधायक डॉ. धर्मवीर अग्निहोत्रि ने कहा कि मेरे गांव हरबंसपुरा के युवा किसान दलजीत सिंह ने अपनी सुझबुझ से मशरुम की खेती से जो पहचान बनाई है, उससे बाकी किसानों को भी सीख लेनी चाहिए।

The Logically मशरुम की खेती करने और चिट्टी क्रांती लाने के लिये दलजीत सिंह की सराहना करता है।

2 COMMENTS

Comments are closed.

Exit mobile version