अभी तक हमने JCB और चेन माउंटेन जैसी बड़ी गाडियां पुरूष को हीं चलाते देखा है। औरतें भी ऐसी गाड़ियां चला सकती हैं, ये ख्याल हीं हमें अटपटा लगता है। यूं कहे तो हम सोच भी नहीं सकते है कि एक औरत जेसीबी जैसी बड़ी-बड़ी गाडियाँ चला सकती है। परंतु 21वीं सदी की महिलाएं हर वो काम कर सकती है जो वे करना चाहती हैं। औरते पुरूषों के कदम-से-कदम मिलाकर चल रही है और अपना लोहा मनवा रही है।
यह कहानी भी इसी से मिलती-जुलती एक ऐसी महिला की है जिसने भारी वाहनों को खिलौने की तरह नचाते हुये 8 देशों के पुरूषों को पीछे कर बेस्ट ओपरेटर का खिताब जीतकर परचम लहराया है।
आइये जानते है उस महिला के बारे में ..
गुजरात (Gujarat) के कच्छ जिले में जन्मी दमयंती सोनी (Damyanti Soni) राजनांदगांव जिले के खैरझिटी गांव की रहने वाली हैं। उनकी उम्र 57 वर्ष है। दमयंती की शादी वर्ष 1984 में खैरझिटी के रहनेवाले उत्तम कुमार से हुईं थी और वह लोडर चलाते थे।
यह भी पढ़ें :- पैरों में लगे हैं 3000 टांके और तय की 3800 KM का सफर, एक पैर से साइकिल चलाकर काश्मीर से कन्याकुमारी पहुंची
पति के देहांत के बाद जेसीबी चलाने का फैसला किया
वर्ष 2010 में दमयंती के पति उत्तम कुमार (Uttam Kumar) का देहांत हो गया और वह इस दुनिया से हमेशा के लिये चले गये। पति के जाने के बाद दो बच्चों की जिम्मेदारी दमयंती पर आ गईं। ऐसी हालत में उन्होंने लोडर (JCB) को अपना हथियार बनाया और उससे आजीविका चलाने का निर्णय लिया। एक औरत होकर जेसीबी चलाने की बात सभी को कुछ अटपटी लगी लेकिन दमयंती अपने फैसले पर अडिग रही।
शर्त जिसने ज़िंदगी बदल दी
दमयंती ने बताया कि वर्ष 2009 में उनमे और उनके पति में एक शर्त लगी थी जिसमें उनके पति ने उन्हें चुनौती दिया था कि खुले मैदान में 100 मीटर तक लोडर चला कर दिखाओ तो ₹200 इनाम में दूंगा। इस शर्त को दमयंती ने जीत लिया तथा दूसरी बार गौठान में 5 चक्कर लगा कर 500 रुपए जीते थे। पति के देहांत के बाद लोडर कबाड हो रहा था। ऐसे मे दमयंती ने अपने आजीविका के लिये उसे ही अपनी कमाई का माध्यम बनाया।
8 देशों के पुरूषों को हराकर जीता खिताब
पिछले वर्ष बेंगलुरु (Bengaluru) में हुए दक्षिण एशिया कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट एक्सपो में 8 देश के 32 खिलाडियों ने भाग लिया था जिसमे दमयंती ने सभी को हराकर बेस्ट ओपरेटर का खिताब अपने नाम किया। वहां उन्होंने टाटा हिटाची कम्पनी के बैकहो लोडर के सबसे एडवांस वर्जन से लगभग 1.20 मिनट में ही लोहे के स्टैंड से फूल माला उठाकर शहीद के प्रतिमा को पहनाकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। दमयंती के इस कार्य से प्रभावित होकर जापान के ऑटो इंजीनियर ने मार्च 2020 में प्रस्तावित ऑटो एक्सपो में दक्षता प्रदर्शन के लिये उन्हें आमंत्रण दिया था परंतु COVID-19 की वजह से यह आयोजन नहीं हो सका।
समाजसेवा में भी पीछे नहीं है
दमयंती 5 वर्षों तक जनपद पंचायत सदस्य रह चुकी है। वह समाजसेवा में भी पीछे नहीं है तथा जरुरतमंदो की सहायता करने के लिये वह हमेशा तत्पर रहती है। दमयंती जुडो-कराटा भी जानती है जिसकी वजह से उन्होंने कई बदमाशों की पिटाई भी की है। दमयंती को आसपास के गांवों में जेसीबी वाली दीदी के नाम से भी जाना जाता है तथा भिन्न-भिन्न आयोजनों में वह कई सारे अवार्ड प्राप्त कर चुकी है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है
दमयंती बताती है कि भारी वाहनों को चलाने में पुरूषों की तरह महिलाओं को भी पारंगत बनाना चाहती है। उन्होंने गांव की कई लडकियों को प्रारम्भिक प्रशिक्षण भी दिया है तथा 4 युवको को भी जेसीबी ओपरेट करना सीखा चुकी है। दमयंती ने बताया कि टाटा हिताची कम्पनी को ट्रेनिंग सेंटर खोलने पर मुफ्त ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव भी दिया है।
वर्तमान मे दमयंती ने सभी के लिये एक प्रेरणा स्थापित किया है।