कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पूरे विश्व में भयंकर तबाही मचा दिया था। इस कठिन दौर में अनेकों लोगों की जानें चली गईं, अनगिनत संख्या में लोग अपनी नौकरी खो बैठे जिससे रोजी-रोटी चलनी भी मुश्किल थी। वहीं जिन्होंने कोरोना को मात दिया उनके इलाज में इतने अधिक पैसे खर्च हो गए कि जिससे उनकी जान तो बच गई लेकिन सिर पर महंगाई और बेरोजगारी का साया मंडराने लगा।
इतने बुरे दौर से गुजरने के बाद फिर से उठकर खड़ा होना बहुत ही हिम्मत की बात है और ऐसी हिम्मत किसी-किसी के पास ही होती है। हालांकि, कोविड-19 में नौकरी से हाथ धोनेवाले ऐसे बहुत लोग हैं, जिन्होंने पुन: पैरों पर खड़ा होने की हिम्मत दिखाई और आगे बढ़े। उन्हीं में से एक नाम है करण और अमृता का, जिन्होंने कोरोना से ठोकर खाने के बाद हार न मानकर दोबारा से एक नए काम की शुरुआत की। इससे वे अपना भरण-पोषण करने के साथ ही गरीबों के पेट की भूख भी मिटा रहे हैं।
कम कीमतों में भरपेट भोजन कराता है यह कपल
वैसे तो दिल्ली जितना खूबसूरत है उतना ही महंगा भी है। महंगाई अधिक होने के कारण यहां आम इन्सानों के लिए अच्छे से जीवन यापन करना भी मुश्किल है। लेकिन इस शहर की एक अच्छाई यह है कि यहां कई जगह ऐसे हैं जहां कम कीमत में खाना उप्लब्ध होता है, जिससे अनेकों गरीबों को पेटभर भोजन नसीब हो जाता है। उन्हीं में से एक जगह तालकटोरा स्टेडियम के पास स्थित है, जहां प्रतिदिन दोपहर के 12.30 बजे कम कीमत में लोगों को भरपेट भोजन मिलता है।
दरअसल, दम्पति करण (Karan) और अमृता (Amrita) वहाँ रोजाना अपनी कार में खाना लेकर आते हैं और सस्ती कीमतों पर लोगों को भोजन मुहैया कराते हैं। उनके हाथों में ऐसा जादू है कि देखते-देखते ही उनकी कार के पास उनके हाथ से बने व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए काफी भीड़ इकट्ठी हो जाती है।
करते थे गाड़ी चलाने का काम
अमृता के पति करण एक सांसद के यहां गाड़ी चलाने का काम करते थे, जिससे उन्हें जीवान यापन करने के लिए महीने के 14 हजार रुपये की कमाई हो जाती थी। हालांकि, महंगाई के दौर में महज कुछ पैसों से जीवन गुजारना कठिन है फिर भी इतने रुपये में वे और उनकी पत्नी जैसे-जैसे करके अपना गुजारा करते थे। लेकिन कोरोना महामारी ने सभी के जीवन में ऐसा प्रभाव लेकर आया कि लोगों की जिंदगी में उथल-पुथल मच गई।
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कोरोना महामारी ने छीन लिए नौकरी और घर
कोरोना पैंडमीक के दौरान करण (Karan) को ड्राइवर की नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे वे बेरोजगार हो गए। चूंकि सांसद के घर बतौर ड्राइवर की नौकरी करने के दौरान वहाँ उन्हें एक कमरा मिला था, जिसमे दोनों पति-पत्नी रहते थे। ऐसे में नौकरी से हाथ धोने के बाद उन्हें उस घर से भी बाहर कर दिया गया, जिससे वे बेघर गए। उस दौरान देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लग चुका था।
आप समझ सकते हैं कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। एक इंटरव्यू के दौरान करण ने बताया कि, लॉकडाउन के बाद उन्हें बहुत ही कम समय में घर खाली करना था। उस घर को छोड़ने के बाद उनका कहीं भी कोई बसेरा नहीं था। अपना घर होते हुए भी साल 2016 में व्यक्तिगत और संपत्ति के झगड़े के कारण परिवार के सदस्यों से उनका रिश्ता टूट चुका था, ऐसे में करण उनसे भी मदद नहीं मांग सकते थे।
अमृता ने पति को दिया यह सुझाव..
कहते हैं न जब एक दरवाजा बंद होता है तो इश्वर दूसरा दरवाजा खोल देता है। करन की पत्नी अमृता (Amrita) को खाना बनाना बेहद पसंद था। जब भी उन्हें खाली समय मिलता वे खाना बनाकर गरीबों में बांट देती थी, लेकिन राजनीतिज्ञ के यहां काम करने के कुछ नियम कायदे होते थे। अमृता ने अपने इसी हुनर का फायदा उठाया और करण को छोले, कढ़ी, पकौड़े और राजमा-चावल से व्यापार (Food Business) शुरु करने का सलाह दिया।
घर का सामान बेचकर खरीदें बर्तन और शुरु किया व्यवसाय
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, करन (Karan) को अमृता (Amrita) का फूड बिजनेस का यह सुझाव काफी पसंद आया और वे इस काम के लिए मान गए। लेकिन किसी भी बिजनेस को शुरु करने के लिए पैसों को जरुरत होती है। करण और अमृता को भी इस व्यवसाय को शुरु करने के पूंजी चाहिए थे। इसके लिए उन्होंने घर की अलमारी और कबर्ड जैसे अन्य कई सामानों को बेंच डाला। इसके अलावा उनके कुछ दोस्तों और अमृता के पिता द्वारा भी छोटी-सी सहयोग राशि दी गई। चूंकि उनका यह बिजनेस कुकिंग से जुड़ा हुआ था, इसलिए घरेलू सामानों को बेचने के बाद मिले पैसें और अपनों द्वारा दिए गए पैसों से उन्होंने किराने का सामान और बर्तन खरीदें।
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सोशल मीडिया ने मार्केटिंग करने में की मदद
करन बताते हैं कि, उन्होंने लिमिटेड मैन्यु के साथ शुरुआत की और एक दिन के लिए लगभग 1600 रुपये का इन्वेस्ट किया। जैसा कि आप जानते हैं किसी भी बिजनेस को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग की जरुरत पड़ती है और मार्केटिंग के लिए पैसों की। यदि किसी के पास पैसें न हो तो व्यवसाय की मार्केटिंग करना मुश्किल भरा काम है।
लेकिन आजकल सोशल मीडिया (Social Media) भी लोगों की काफी मदद कर रहा है। इसकी सहायता से कई लोगों को पहचान मिल जाती है तो कईयों के बिजनेस चल पड़ते हैं। करन को भी सोशल मीडिया का काफी सहयोग मिला और यह मार्केटिंग बढ़ाने का बहुत अच्छा उपाय भी था। इसमें बजट की भी जरुरत नहीं थी। इतना ही नहीं ब्लॉगर्स ने भी उनके बिजनेस को आगे बढ़ाने में काफी सहायता की।
रोजाना कमाते हैं 800 रुपये का मुनाफा
समय के साथ धीरे-धीरे उनका व्यवसाय 320 रुपये मुनाफे के साथ चल पड़ा। यही आगे बढ़कर 450 रुपए और फिर 800 रुपए तक हो गया। अब उनका यह व्यापार अच्छा-खासा चलता है और इससे लोगों को भी कम कीमत में भरपेट भोजन मिल जाता है।
कोरोना महामारी ने सभी की एक कठिन परीक्षा ली, जिसमे वहीं खड़ा उतरा जिसने फिर से कुछ करने की हिम्मत दिखाई। करण और अमृता ने बेघर होने के बावजूद भी अपने पैरों पर दोबारा से खड़ा होने के लिए जो कोशिशें कीं, वह काबिले-तारिफ है। वाकई, जीना इसी का नाम है।