लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती यह बात एकदम सच है यदि हम किसी काम को पूरी मेहनत, ईमानदारी व निष्ठा से करें तो सफलता एक ना एक दिन मिली जाती है रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं जिस मुकाम को पाना चाहते हैं वो पा ही लेते हैं जी हां यह बात बिल्कुल सच है ऐसा ही हुआ राजस्थान के श्रीपालसिंह थुंबा और भागीरथसिह थुंबा के साथ हुआ उन्होंने लॉकडाउन के दौरान खारा पानी होने के बावजूद जैविक खेती कर एक हरा भरा गार्डन तैयार किया वह कहते हैं काम मुश्किल था परंतु धीरे-धीरे रास्ते बनते चले गए।
परिचय
राजस्थान के श्रीपालसिंह थुंबा और भागीरथसिह थुंबा राजस्थान के जालोर जिले के थुंबा गाँव के निवासी है।उनके क्षेत्र का पानी खारा है। दोनो भाइयों ने पिता के मार्गदर्शन से जैविक खेती शुरू की। वहाँ का पानी खारा है लेकिन 50-60 फिट तक ऊपर का जल मीठा हो जाता है। खेती के लिए यह ट्यूबवेल का इस्तेमाल करते है। जिसमे पानी तो मीठा है लेकीन सिर्फ 10-12 मिनट ही चलता है।
ऐसे हुई शुरुआत
श्रीपालसिंह थुंबा व भागीरथसिह थुंबा बताते है कि गर्मी के उस दौर में जब ‘लू'(पश्चिमी राजस्थान मे चलने वाली गर्म हवा) से कान जलते है।उस दौर में हमने सोचा की लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कैसे करें। फिर एक विचार आया की क्यों ना खेत पर ऐसी सब्जियां बोई जाए जिसमें किसी भी प्रकार के रसायन या कीटनाशक का उपयोग ना करे तब दोनो भाइयों ने मिलकर अपने पिता जी के मार्गदर्शन में जमीन को समतल करके फलदार पेड़ के लिये खड्डे तैयार किये और उनके बीच-बीच में कई सब्जियां बोई है।
यह भी पढ़े :- बंजर पहाड़ी पर लगाये 4000 पेड़, युवाओं की इस टोली ने किया असम्भव को सम्भव: पर्यावरण
देखभाल है जरूरी
पेड पौधो की देखभाल बहुत जरूरी है क्योंकि देखभाल के बिना उनकी वृद्धि रुक जाती है। श्रीपालसिंह थुंबा व भागीरथसिह थुंबा बताते है कि कीटनाशक बनाने के लिये वह धतूरे और के पत्ते का उपयोग करते है तथा खाद बनाने के लिए गौशाला के गोबर का उपयोग किया। यह पूरी तरह से जैविक तरीका है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है इससे पेड पौधों को भी कोई नुकसान नही होता साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है जिससे मिट्टी उपजाऊ रहती है।
लॉक डाउन में तैयार किया गार्डन
The Logically से बात करते समय इन्होंने बताया कि दोनो भाइयो ने मिलकर लॉकडाउन के दौरान 20×100 वर्गफीट का एक गार्डन तैयार किया। जिसमे उन्होने 8×8 की दूरी पर 60 फलदार पेड़ लगाए और उनके मध्य विभिन्न प्रकार की सब्जियां बोई है। सब्जियों में किसी भी प्रकार का रसायन उपयोग नही किया है। और यह फल व सब्जियां रसायनों से तैयार सब्जियों से कई गुना अच्छे होते है जोकि शरीर को भरपूर पोषण देते है जिसके कारण दिन ब दिन इसकी मांग बढ़ती जा रही है। और आसपास के गाँवो के लोग इनके यहाँ से फल व सब्जियां ले जा रहे हैं।
श्रीपालसिंह थुंबा & भागीरथसिह थुंबा कहते हैं जैसे हमने गाँव में अपने परिवार के लिए व गावँ में अन्य लोगो के लिए जहर मुक्त सब्जियां व फलो को उगाया है वैसे ही अन्य लोग भी अपने परिवार वालो के लिए रोज़मर्रा की सब्जियां भी उगा सकते हैं।” जिससे सभी लोग स्वस्थ रहे और स्वच्छ फल व सब्जियां खाए शहर के लोग अपने छत और बालकनी की जगहों का इस्तेमाल खेती करने के लिए कर सकते हैं श्रीपालसिंह थुंबा और भागीरथसिह थुंबा हम सबके लिए प्रेरणा है जिन्होंने खाली समय का सदुपयोग कर रसायनमुक्त सब्जियों को उगाया जिससे सभी का स्वास्थ्य ठीक रहे। सच मे यह दोनों हम सभी लोगो को बहुत प्रभावित करते है व प्रेरणा देते है। The Logically की तरफ से हम आपके प्रयासो की सराहना करते है और आप दोनों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है।