सफलता उन्हें मिलती है जो लगन और मेहनत से किसी काम को करने की ठान लेते हैं। वैसे छात्र जो अपनी जिंदगी में कुछ कर गुजरने की क्षमता रखते हैं और उन्हें आगे चलकर कुछ बड़ा करना होता है उनके सामने आने वाले समस्या भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती है। वह अपनी सफलता की ओर अग्रसर होकर बढ़ते रहते हैं और अंततः उन्हें सफलता जरुर हासिल होती है।
भारत में होने वाली यूपीएससी एग्जाम काफी कठिन होती है। इसके लिए छात्रों को दिन रात मेहनत करना पड़ता है। कठिन मेहनत करने बावजूद भी इस परीक्षा में कुछ छात्र सफल होते हैं तो वहीं कुछ छात्र को निराशा हाथ लगती है। परंतु वैसे असफल छात्र जिनके अंदर हौसला है वह हार नहीं मानते वह आगे की तैयारी फिर से और अच्छे से करने लगते हैं जिससे वे अगले एग्जाम में सफल हों। आज हम आपको एक ऐसे ही यूपीएससी छात्रा की कहानी बताएंगे जिन्होंने तीन बार असफलता के बावजूद भी हार नहीं मानी और चौथे अटेम्प्ट में यूपीएससी एग्जाम क्रैक कर आज वह एक आईएएस अधिकारी बन गई हैं।
• देवयानी (Devyani):-
देवयानी (Devyani) हरियाणा (Haryana) के महेंद्रगढ़ (Mahendragarh) की रहने वाली हैं। देवयानी का सपना था कि वह अपने पिता की तरह बनें। इनके पिता विनय सिंह (Vinay Singh) संभागीय आयुक्त में नौकरी करते थे। पिता को सिविल सेवा में काम करते देख इनका भी सपना था कि मैं भी पिता की तरह एक सिविल सेवक बनूं। देवयानी की प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ के एसएच सीनियर सेकेंडरी स्कूल से कोई है। चंडीगढ से अपनी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद इन्होंने साल 2014 में गोवा के बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंशन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद इनके पास जॉब के काफी सारे ऑप्शन थे परंतु इन्होंने अपने मन में ठान लिया था कि वे यूपीएससी क्लियर कर एक आईएएस अधिकारी बनेंगे। इसलिए उन्होंने जॉब छोड़ करके यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
• हफ्ते में दो दिन करती थी पढ़ाई:-
देवयानी (Devyani) अपने सपने को साकार करने में जुट गई थी। परंतु वह हफ्ते में सिर्फ 2 दिन ही पढ़ाई करती थी। वे सिर्फ शनिवार और रविवार को ही पढ़ाई करती थी। क्योंकि देवयानी को जब सेंट्रल ऑडिट विभाग में चुना गया तो इन्हें पढ़ाई करने का ज्यादा समय नहीं मिलता था इसीलिए उन्होंने अपने पढ़ाई करने का एक समय निर्धारित किया। जिसने वे अपने वीकेंड छुट्टी में सिविल सेवा की तैयारी करते थे। देवयानी सिविल सेवा की तैयारी इस प्रकार कर रही थी कि जैसे कोई आम एक्जाम का तैयारी कर रही है बिना कोई प्रेशर या फिर बिना कोई टेंशन की वह आराम से हफ्ते में दो दिन पढ़ाई करती थी परंतु यह दो दिन जितना भी पढ़ाई करती थी वह लगन और मेहनत के साथ करती थी।
• तीन असफलता के बाद मिली सफलता:-
आखिरकार वह समय आ गया कि अब सिविल सेवा का एग्जाम दे सकें। देवयानी साल 2015 में पहली सिविल सेवा की परीक्षा दी। परंतु पहला अटेम्प्ट में इन्हें निराशा हाथ लगी। इस पहले अटेम्प्ट में वह प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाई। परंतु इन्होंने हार नहीं मानी और पुनः सिविल सेवा की तैयारी में जुट गई और फिर से साल 2016 में सिविल सेवा की परीक्षा दी। परंतु इस बार भी इन्हें किस्मत साथ नहीं दिया और इस बार भी प्री परीक्षा नहीं निकल पाई। लेकिन देवयानी ने अपने हौसलों को झुकने नहीं दिया और फिर से तैयारी में जुट गई।
अगले साल 2017 में सिविल सेवा की परीक्षा दी। इस बार देवयानी (Devyani) परीक्षा पास कर गई। और इंटरव्यू तक पहुंच गई। परंतु जब सभी लोगों का फाइनल लिस्ट बनकर आया तो उस लिस्ट में देवयानी का नाम अंकित नहीं था इस बार भी इन्हें निराशा ही हाथ लगी। परंतु इन्होंने हार नहीं मानी और सोंचा कि इस बार मैं इंटरव्यू तक आकर बाहर हुई हूं लेकिन अगली बार जरुर निकाल लूंगी। अपने इस हौसले को बुलंद करके फिर से सिविल सेवा की तैयारी में जुट गईं जिससे बाद इन्होंने साल 2019 में यूपीएससी एग्जाम में सफल हुई। जिसमें उन्हें 222वीं रैंक हासिल हुआ।
• अगले प्रयास में बनी आईएएस अधिकारी:-
देवयानी चौथे अटेम्प्ट में 222वीं रैंक हासिल करके उनकी सेंट्रल ऑडिट विभाग में नौकरी लग गई। यह नौकरी उन्हें राजस्थान में प्राप्त हुई। परंतु वह इस नौकरी से संतुष्ट नहीं है क्योंकि इनका सपना था कि मैं एक आईएएस अधिकारी बनूं। इसके लिए इन्होंने अपने जॉब करने के साथ-साथ फिर से आईएएस बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी करने लगी। उनके लिए यह कर पाना काफी कठिन था क्योंकि देवयानी को जॉब करने के साथ-साथ यूपीएससी कि भी तैयारी करनी थी। परंतु वह कहते हैं ना कि अगर मन में किसी काम को ठान लें तो वह काम धीरे-धीरे आसान हो जाता है और आगे चलकर के हमें उस काम में सफलता जरूर हासिल होती है। इस बार इन्होंने काफी मेहनत और लगन के साथ तैयारी करना शुरु कर दिया और अगले एग्जाम में इन्होंने 11वीं रैंक लाकर के आईएएस बनने के सपने को साकार किया।
• मॉक इंटरव्यू पर भी ज्यादा ध्यान:-
देवयानी लगातार तीन बार असफल होने की वजह से इन्होंने सोंचा कि इस बार मैं मॉक इंटरव्यू पर ज्यादा ध्यान दूंगी। इसके साथ-साथ मेरे जो वैकल्पिक विषय हैं उन विषय पर ज्यादा ध्यान दूंगी जिससे उन विषय में हमें ज्यादा से ज्यादा नंबर मिल सके इसके लिए इन्होंने प्रतिदिन न्यूज देखना शुरु कर दिया जिसके साथ-साथ घर में जो पेपर आते थे उन्हें भी प्रतिदिन पढ़ती थी और लिखती थी। इन सभी चीजो को काफी बारीकी से ध्यान देकर के लगन और मेहनत के साथ तैयारी कर रही थी। मॉक इंटरव्यू से देवयानी को काफी फायदा हुआ और इन्हें परीक्षा में सफलता हासिल हुई।
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• पिता को मानती है प्रेरणा:-
देवयानी अपनी इस सफलता का क्रेडिट अपने पिता को देती हैं। वे बताती हैं कि आज मैं जिस मुकाम पर पहुंची हूं वह अपने पिता के बदौलत पहुंची हूं। हमने बचपन से अपने पिता को सिविल सेवा में काम करते देखा है जिसकी वजह से मुझे भी सपना था कि मैं भी अपने पिता जैसी बनूं। इसीलिए आज मैं जो भी कुछ हूं अपने पिता के वजह से हूं।
• प्रेरणा:-
देवयानी (Devyani) से हम लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि जिंदगी में कितना भी असफलता क्यों ना आ जाए हमें पीछे पलटकर कभी नहीं देखना चाहिए और हमें अग्रसर होकर अपने काम में लगन और मेहनत के साथ बढ़ते रहना चाहिए जिससे आखिरकार उस काम में हमें सफलता जरूर हासिल होगी। आज देवयानी अपनी असफलता को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ते रहे जिससे आज वे एक सफल आईएएस अधिकारी बन गई हैं।