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अपनी नौकरी छोड़कर गुजरात का यह युवा कर रहा है हल्दी की खेती, सलाना आय 1 करोड़ से भी अधिक है

हमारे देश में आयुर्वेद की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है। कोरोना की महामारी से पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त हो गयी है। अभी तक कोरोना से न जाने कितनी जाने चली गयी, कितने अभी भी इस बिमारी से जुझ रहें हैं। ऐसे में सभी को अपने इम्युनीटी सिस्टम को मजबूत बनाने की सलाह दी जा रही है। यदि हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो वह हम होनेवाली बिमारियों से भी लड़ पाएंगे।

हल्दी, अदरक, अश्वगंधा आदि के बारें में बात करें तो यह हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने और शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है। हल्दी को दूध में डालकर पीने से बहुत सारे फायदे भी होते हैं। अदरक भी हमारे शरीर को बिमारियों से लड़ने में मदद करता है। खासकर कोरोना से लड़ने में ये सभी आयुर्वेद नुस्खे बहुत ही फायदेमंद है।

शरीर के इम्युनीटी सिस्टम को बढ़ाने और बिमारियों से लोगों की सुरक्षा के लिये देवेश पटेल ने अपनी लाखों रुपये की नौकरी छोड़ ऑर्गेनिक कृषि में अपना करियर बनाया और सालाना 1.25 करोड़ की कमाई भी कर रहें है।

आइये जानतें है देवेस पटेल और उनकी ऑर्गेनिक खेती के बारें में।

देवेश पटेल (Dewesh Patel) गुजरात (Gujarat) के आणंद जिले के बोरियावी गांव के रहने वाले हैं। इन्होनें इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉज़ी (IT) से इंजीनियरिंग किया है। देवेश ने अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर हल्दी, अदरक, अश्वगंधा, नींबू, सब्जियां और अनाजों का जैविक खेती कर रहें है। इन्होनें हाल ही में इम्युनीटी को बढ़ाने के लिये हल्दी कैप्सूल भी लांच किया है और इस कैप्सूल की मांग मार्केट में बहुत अधिक है। देवेश को सालाना 1.25 करोड़ का टर्नओवर होता है। इनकी प्रोडक्ट का सप्लाई अमेरिका में भी हो रहा है। इसके साथ ही अधिक संख्या में दूसरे किसान भी इसने जुड़ने लगे हैं।

देवेश किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इसलिए इन्हें खेती करने में अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा। वह 4 वर्ष पहले से ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत किए और आज 5 से 7 एकड़ की भूमि पर जैविक खेती कर रहें है। देवेश ने इस वर्ष मार्च में इम्युनीटी बढ़ाने के लिये हल्दी कैप्सूल लांच किया है। इसके लिये उन्होंने हल्दी को प्रोसेस कर 150 तत्वों को सक्रिय किया है। ऐसा इसलिए किया है क्यूंकि जो हल्दी खाने में उपयोग किया जाता है, उससे सीमित फायदे ही होते हैं। हल्दी का प्रतिदिन सेवन नहीं करने से शरीर में हल्दी के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुयें देवेश ने हल्दी कैप्सूल बनाया है। कोरोना के वजह से इस कैप्सूल का सप्लाई सिर्फ गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में ही रहा है। कोरोना की स्थिति सुधरते ही पूरे देश में इसकी सप्लाई शुरु हो जायेगी। देवेश का कहना है कि कैप्सूल के लिये उन्होंने 2 वर्ष तक रिसर्च एन्ड डेवलपमेंट पर काम करने के लिये आणंद कृषि यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों से सलाह और मार्गदर्शन लिया। उसके बाद कैप्सूल का पेटेंट करवाया। वर्तमान में देवेश 5 हजार कैप्सूल का निर्माण कर रहे।


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हल्दी कैप्सुल के बाद देवेश ने हल्दी पावडर भी बनाया है जिसे आसानी से दूध में मिलाकर पिया जा सके। उनके द्वारा बनाई गई हल्दी पावडर पूरी तरह से ऑर्गेनिक है। देवेश ने बताया कि वह युरोप के अनेकों देश में इसका निर्यात कर रहें हैं। वे हल्दी पावडर को अब भारतीय मार्केट में भी लांच करने की तैयारी में जुटे हैं। इंडियन मार्केट में लांच करने के लिये इसके पैकेजिंग और डिजाईन का कार्य अहमदाबाद में चल रहा है। यह प्रोडक्ट बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक आलू के लिये ग्रोफर और बिग बास्केट जैसी ई-कॉमर्स कम्पनियां उनसे संपर्क में हैं और जल्द ही उन कम्पनियों के साथ कंट्रैक्ट फार्मिंग भी करने की तैयारी में हैं।

देवेश ने बताया कि ऑर्गेनिक उत्पादों में कई विदेशी कम्पनियां भी अपनी रुचि दिखा रही हैं। जैसे- जर्मनी (Germany), अमेरिका (America) और फ्रान्स(France)। ऑर्गेनिक फार्मिंग का विस्तार करने के लिये देवेश ने बताया कि उन्हें अधिक भूमि खरीदनी पड़ेगी। वर्तमान में उनके पास 35 बीघा जमीन है जिसमें से 10 बीघा जमीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंग करतें है।

देवेश के अनुसार, सत्व ऑर्गेनिक का नाम प्रसिद्ध हो गया है। इसलिए बाजार में अब इसकी नकली माल भी आने शुरु हो गये हैं। डुप्लीकेशन से बचने के लिये देवेश ने पैकेट पर क्युआर कोड छापने का निर्णय लिया है। इस क्युआर कोड (QR Code) को स्कैन करतें ही देवेश का ऑफिशिअल वेबसाइट खुल जायेगा और ग्राहकों को उत्पाद से सम्बंधित सारी जानकारी प्राप्त हो जायेगी।

देवेश ने हल्दी, अदरक और कैप्सूल के पेटेंट बनाया है उसी प्रकार से बोरियावी गांव में उगने वाले पतरवेलिया पान के लिये जीआई (GI) टैग लगाने के प्रयास में लगे हैं। आपकों बता दे कि पतरवलिया पान से गुजरात में प्रसिद्ध रस बनाया जाता है। पतरवलिया पान का पकौड़ा और सब्जियां भी बनती है।

The Logically देवेश पटेल को ऑर्गेनिक उत्पाद के लिये धन्यवाद देता है और अपने पाठकों से भी अपील करता है कि वे भी रासायनिक खेती छोड़ कर ऑर्गेनिक खेती करें।

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