हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि अधिकतर गावों से पलायन बढ़ता जा रहा है। इस पलायन का मुख्य वजह रोजगार और जीवन-यापन करने के लिए आवश्यक सुविधा का उप्लब्ध न होना है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शहर की अच्छी-खासी नौकरी को त्याग कर गांव की तरफ वापस लौट रहे हैं। कुछ लोग शहर की नौकरी इसलिए छोड़ रहे हैं ताकि वह अपने गांव अपनी मिट्टी के पास वापस लौटकर रह सकें, खेती कर सकें
आज की कहानी भी इसी पर आधारित है। यह कहानी ऐसे 2 लोगों की है जिसने कॉरपोरेट की नौकरी को छोड़कर गांव में आकर खेती करने का कार्य शुरु किया और आज वह लाखों रुपये की आमदनी भी कर रहे हैं। आइए जानते है उन दो लोगों और उनके कार्यों के बारें में…
धीरेन्द्र (Dhirendra) और आदित्य (Aaditya) बिहार (Bihar) के सिवान (Siwan) जिले के रहने वाले हैं। धीरेन्द्र सिवान जिले के पीपरा गांव के रहने वाले हैं। इन दोनों ने कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ कर कृषि कार्य करना आरंभ किया। धीरेन्द्र ने बताया कि वह लॉ के छात्र रह चुके हैं। इससे पहले वह मल्टीनेशनल कम्पनी में भी कार्य करते थे। धीरेन्द्र के बिजनेस पार्टनर आदित्य माइर्कोबाइलॉजी के मास्टर है। इन दोनों दोस्तों ने अपनी नौकरी को छोड़कर गांव में कुछ करने का निश्चय किया। धीरेन्द्र बताते हैं कि वह आदित्य के साथ मिलकर बिहार सरकार के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) में स्वयं को पंजीकृत किया है।
शुरुआत के बारे में धीरेन्द्र ने बताया कि पहले 1 वर्ष उन्होंने लगभग एक एकड़ भूमि में पॉलीहाउस में खेती किया। उस दौरान कई लोगों ने उन्हें सलाह दिया कि गांव में इस काम को छोड़कर शहर की नौकरी करनी चाहिए। लेकिन दोनों दोस्तों ने किसी की एक नहीं सुनी और अपने कार्य मे लगे रहे। उन्होंने अपने जज्बे और जुनून से अपने कार्य में सफलता हासिल की। आज वह अच्छी कमाई के साथ-साथ गांव के कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
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धीरेन्द्र ने बताया कि “हम अपनी तरह दूसरे लोगों को भी खेती से जोड़ना चाहते हैं। इस कार्य में हमे सफलता भी मिल रही है।” उन्होने बताया कि आरंभ में उन्होंने टमाटर की खेती से शुरुआत की लेकिन अब वह मशरुम की भी खेती कर रहे हैं।
इसके साथ हीं धीरेन्द्र यह भी बताते हैं कि वह अपने मित्र आदित्य के साथ मिलकर फूड प्रोसेसिंग शुरु करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके माध्यम से वह अपनी आमदनी को बढ़ाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह गावों से हो रहे पलायन को रोकने में सहयता करना चाहते हैं।
The Logically धीरेन्द्र और आदित्य को गावों से हो रहे लगातार पलायन को खुद के द्वारा किए गए पहल से रोकने में सहयोग करने के लिए नमन करता है।