बाधाओं से बिना विचलित हुए अगर उस पर गौर किया जाए तो उसके साथ आए अवसर को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ! इसी बात को हकीकत में बदला है मध्यप्रदेश के इंदौर के एक किसान दिलीप सिंह तोमर ने ! अपने क्षेत्र में पानी की भीषण किल्लत से जूझते हुए खुद के जमीन में तालाब खोदा और उसकी सहायता से फसल उपजाकर अन्य किसानों में भी प्रेरणा का संचार किया ! आईए जानते हैं दिलीप जी के बारे में जिन्होंने अपने संघर्ष को सफलता में तब्दील कर दिया…
पानी के भीषण किल्लत से तालाब खुदाने का आया विचार
दिलीप सिंह तोमर मध्यप्रदेश के इंदौर के मोरोट हाट गाँव के रहने वाले हैं ! उनका मुख्य पेशा किसानी है ! 1990 के दशक में वर्षा की स्थिति अच्छी नहीं ऱह रही थी ! जलस्तर का लगातार नीचे की ओर जाना बहुत बड़ी समस्या का द्योतक था ! वर्षा के कारण पानी की कमी के कारण लोग ट्यूबवेल का प्रयोग अधिक होने लगा था ! रसायनिक खादों के प्रयोग से मिट्टी ऐसी बन गई थी कि उसकी जल ग्रहण करने की क्षमता बहुत हीं कम हो चली थी ! बिना पानी के उस स्थिति में खेती करना दूभर-सा हो रहा था ! दिलीप के परिवार वाले की दिली इच्छा यही रहती थी कि ऐसी स्थिति में दिलीप ऐसे हीं सूखे खेतों में मेहनत ना करें ! लेकिन भला दिलीप वहाँ कहाँ रूकने वाले थे ! उन्हें तो एक ऐसा मार्ग बनाने का था जिसका अनुसरण उस पूरे क्षेत्र के लोग करें ! उन्होंने खेत जाना जारी रखा ! अपने बड़े से कृषि भूभाग पर बृहद तौर पर कृषि करने हेतु उन्हें सबसे पहले पानी की समस्या से लड़ना था ! सारा रास्ता बन्द देखकर उनके मन में तालाब खोदने का विचार आया ! उन्हें लगा कि अगर वहाँ तालाब खोद दिया जाता है तो वे अपने बड़े से कृषि भूमि पर अच्छी सिंचाई के साथ खेती कर सकेंगे !
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परिवार ने रोका और पड़ोस के लोगों ने मूर्ख समझा
जब दिलीप अपनी खेती में सबसे बड़ी बाधा पानी की किल्लत को खत्म करने हेतु तालाब खुदाने का फैसला लिया तो परिवार के लोग उन्हें पागल कहने लगे ! जब यह बात दिलीप जी के पिता मान सिंह को पता चली तो वे एकदम से भड़क गए और उन्होंने अपने बेटे से कहा कि “तुम पागल हो गए हो , भला खेती की जमीन खोदकर उसे बर्बाद करोगे” ! वे अपने बेटे दिलीप से बात भी करना बन्द कर दिए ! पड़ोस के लोग भी दिलीप के इस कार्य को मूर्खतापूर्ण कहने लगे ! लोग ने कहा अच्छे जमीन को खोदकर तालाब बनाना कोई बुद्धि का कार्य नहीं है !
बेहद कम खर्च में खुद गया तालाब
अपनी सूझ-बूझ से दिलीप ने तालाब खोदने का बेहद आसान तरीका अपनाया ! दरअसल आस-पास के लोगों को अपनी नीची जमीन को भरने हेतु मिट्टी की जरूरत पड़ती रहती थी !जब किसानों को दिलीप के तालाब खोदने का समाचार मिला तो वे मजदूर , ट्रॉली , ट्रैक्टर आदि लाकर मिट्टी खोदकर ले जाने लगे ! इस तरह कुछ दिनों के बाद दिलीप का एक तालाब खुदकर तैयार हो गया ! ना के बराबर खर्च में दिलीप का तैयार हुआ यह तालाब उस समय तैयार हो गया जब वर्ष 2000 में लोग रबी फसल के सिंचाई हेतु पानी का बाट जोह रहे थे ! वैसी परिस्थिति में तालाब उनके बेहद काम आया और जिसके कारण वे खेतों की अच्छी सिंचाई कर सके और फलस्वरूप अन्य किसानों की अपेक्षा अच्छी उपज प्राप्त की !
दिलीप से प्रेरणा लेकर कई लोगों ने खुदवाए तालाब
दिलीप के तालाब खुदवाने के बाद उन्हें अच्छी उपज प्राप्त हुई ! यह देखकर अन्य किसानों ने दिलीप के प्रयास की खूब सराहना की और उनसे सीखकर उनके गाँव और अन्य गाँव के लोगों ने भी तालाब का निर्माण करना शुरू कर दिया ! यह दिलीप के प्रेरणा के कारण हीं संभव हो सका कि उनके 10 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 1000 तालाब हैं ! इतनी अधिक मात्रा में तालाब होना बहुत हीं बड़ी बात है ! बरसात में ये तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं जिससे बरसात पश्चात् रबी फसल की सिंचाई में बहुत मदद मिलती है और पैदावार अच्छी होती है !
आज दिलीप ने अपने तालाब का विस्तार कर दिया है जिसके कारण उन्हें सिंचाई की कोई समस्या नहीं होती ! अपने बड़े भूभाग पर खेती कर आज वे ना सिर्फ खुद खुश हैं बल्कि उन्होंने अपने प्रयास से दूसरों के चेहरे पर भी मुस्कान लाया है !
सूखे जैसे विषम हालातों में परिवार और लोगों के विचारों के खिलाफ जाकर तालाब बनवाकर जिस तरह पानी की समस्या को खत्म किया और जिस तरह उनकी प्रेरणा से लोगों के द्वारा हजारों तालाबों का खोदना संभव हो सका वह सारे कार्य सराहनीय और प्रेरक हैं ! The Logically दिलीप सिंह तोमर जी के प्रयासों को नमन करता है !