Sunday, December 10, 2023

बलिया के DM का अनोखा अंदाज़, गमछा लपेट खुद बनाने लगे दीये, लोगों को देसी अपनाने के लिए कर रहे हैं जागरूक

हमारे आस-पास ऐसे बहुत से व्यक्ति मिल जाएंगे जो बड़ी उपलब्धि हासिल करके अपने देश को भूल जाते हैं, अपने संघर्षों को भूल जाते हैं, गांव के रीति-रिवाज से भी उन्हें कोई मतलब नहीं रहता। लेकिन बङे पदों पर तैनात या बङी सफलता हासिल करने वाले कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा जमीन से जुड़े रहते हैं। वे कहीं भी रहें अपनी मानवतावादी सोच और कृत्यों से हमेशा समयमान पाते रहते हैं। आज बात उन्हीं में एक श्रीहर प्रताप शाही की जो कि जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं। हमेशा से अपनी नेकदिली से जरूरतमंदों के साथ खङे रहने वाले श्रीहर प्रताप शाही इस बार कुम्हार के घर पहुंचे और भूमि पर बैठ मिट्टी के दीए बनाने लगें।

DM श्रीहरि प्रताप शाही

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया (Ballia) जिले के जिलाअधिकारी (District Magistrate) देशी लुक में नजर आए। श्रीहरि प्रताप शाही (Shrihari Pratap Shahi) कुम्हार के घर पर पैरों में चप्पल पहने, कंधे पर गमछा लिए पंहुचे। वह निकले तो अपने इनोवा कार में पत्नी और बच्चों के साथ फिर जा पहुंचे कुम्हार रामप्रवेश के घर। आश्चर्यजनक बात तो यह हुई कि जब वह वहां गये तो नीचे बैठ रौशनी का त्योहार दिवाली के लिए मिट्टी के दीए बनाने लगे। उन्होंने दिवाली के लिए हजारों की तादाद में दीयों का आर्डर भी वहां पर दिया। वह अपने घर पर भी खुद हीं ट्रेक्टर से खेतों की जुताई कर खेती करते हैं।

DM shree hari prasad shahi prepares diya

सभी हुए हैरान

कुम्हार के घर जाकर उन्होंने खुद ही चाक पर बने छेद में लकड़ी को डाला और मिट्टी के जरिए दीयों को बनाने लगे। इतना हीं नहीं उन्होंने खुद तो दीया बनाया हीं साथ हीं अपने बेटे से भी दीये बनवाएं। वहां उपस्थित सब डीएम के इस इस कार्य को देख कर हैरान रह गए। उन्होंने वहां इस बात की अपील भी की कि कोई भी व्यक्ति झालर नहीं बल्कि मिट्टी का दीया ही जलाए। वहां जितने भी व्यक्ति थे उन्होंने अपनी परेशानी उन्हें बताई जिसके बाद श्रीहरि प्रताप जी ने सब की परेशानी को सुनकर उसका हल भी निकाला। वहां पर वह सिर्फ मिट्टी के दीये ही नहीं बनाए बल्कि चारपाई पर बच्चों के साथ बैठ कुल्हड़ में बनी चाय का आनंद भी लिया।

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मिट्टी दीये से आती है सुख समृद्धि

उन्होंने अपनी अपील में इस बात को बताया कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें मिट्टी के दीयों को ही जलाना चाहिए। यह पर्यावरण के साथ-साथ कुम्हारों की कलाओं को भी निखारने का कार्य जारी रखता है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे यहां पारंपरिक तौर पर मिट्टी के ही दीये हीं जलाए जाते थे लेकिन धीरे-धीरे यह विलुप्त होते नजर आ रहा है जिसको बढ़ावा देना जरूरी है। मिट्टी के दीये जलाने से एक तो इसकी चमक बनी रहेगी और साथ हीं कुम्हार के जीविकोपार्जन का भी कार्य चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि यह मान्यता है कि अगर हम मिट्टी के दीये जलाएं तो इससे प्रक्रम और शौर्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही हमारे घर सुख और समृद्धि का वास होता है।

DM होने के बावजूद भी खुद मिट्टी के दीये बनाकर उसका महत्व सभी को बताने के लिए The Logically श्रीहरि प्रताप शाही को सलाम करता है।