Wednesday, December 13, 2023

लड़कियों के मान-सम्मान के लिए आवाज़ उठाई, लोगों के ताने सुने फिर JNU से पढाई कर बनी अफसर: DR. Swati

हम लोगों के अपने घर से लेकर के समाज तक शुरु से ही बेटियों से अधिक प्यार बेटों को किया जाता है। खुद मां बाप ही बेटों को ज्यादा लाड़-प्यार करते हैं। हमारे समाज में यह परंपरा शुरू से ही चला रही है परंतु यह परंपरा बेटों को ज्यादा प्यार देना और बेटियों को कम प्यार करना यह सरासर गलत है। इन सबके बावजूद भी आज बेटियां अपनी मेहनत और अपने बलबूते पर हर उस उचाई तक पहुंच रही है जहां बेटे को हक दिया जाता था।

बेटियां भी बेटों से कम नहीं है आज बेटियां हर फिल्ड में हर वो काम करने की क्षमता रखती है और सिर्फ बेटे ही नहीं बेटियां भी अपने मां-बाप का नाम रौशन कर रही हैं। आज मैं आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताएंगे जिन्होंने बचपन से लोगों के काफी ताने सुने और लोगों से बचपन से यही सवाल पूछते थे कि हम बेटियों से ज्यादा बेटों को प्यार क्यों दिया जाता है। इसके साथ-साथ हम बेटियों को कन्यादान क्यों किया जाता है। इन सभी सवालों के साथ और लोगों के काफी ताने सुनने के बाद आज वो एक सरकारी अधिकारी बनी हुई है।

डॉ. स्वाति (Dr. Swati)

डॉ. स्वाति का जन्म बिहार के गोपालगंज में हुआ था। स्वाति अपने माता-पिता और एक बड़ी बहन के साथ रहती थी। इनका परिवार काफी छोटा था परंतु घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जिसकी वजह से इनके पिता स्वाति और इनकी बड़ी बहन की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते थे। इनके पिता थोड़ी बहुत खेती करते थे और मां एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। जिसकी वजह से किसी भी तरह घर का खर्च निकल जाता था। डॉ. स्वाति बताती हैं कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से मैं किसी भी तरह बारहवीं तक पढ़ाई कर ली।

अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैंने आगे पढ़ने का मन बना लिया और फिर मैं अपने माता-पिता की सलाह ले करके दिल्ली विश्वविद्यालय में नामांकन करवा ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से मैंने बीए और एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद मैंने जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से एमफिल की डिग्री हासिल की। एमफिल की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2017 में मैं पीएचडी फाइनल कर ली। जिसके बाद मैं अपनी खुद की स्थिति को सुधारने के लिए शैक्षिक जगत में जगह बनाने की लगातार कोशिश कर रही थी परंतु मैं जो करना चाह रही थी वह नहीं मिल पाई।

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विश्वविद्यालयों के कारण बदली मेरी जिंदगी

स्वाति बताती हैं कि जब मैं बिहार से निकलकर दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ी तो मेरे सोचने और समझने में काफी बदलाव आ गया। ऐसा नहीं कि मेरे जीवन में जो भी बदलाव आया वह दो विश्वविद्यालयों की वजह से आया है। आज मुझे खुद पर गर्व होता है कि मेरी जिंदगी में जितने भी बदलाव आए हैं वहीं दो विश्वविद्यालय की वजह से हुआ है। इसके साथ-साथ आज मैं जो भी कुछ हूं वह इन संस्थाओं की वजह से हूं।

नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी की

स्वाति बताती हैं कि मैं एक ऐसे परिवार और समाज से आती हूं कि वहां लड़कियों को ज्यादा पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है। लोगों का कहना है कि लड़कियां ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेगी जिसकी वजह से आज जो लड़कियां आगे चलकर के कुछ बनने के सपने देखती है वह सपना लड़कियों का अधूरा रह जाता है। परंतु मेरा कहना यह है कि अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति अपने आसपास के मुद्दों को लेकर के कायम रहता है वही व्यक्ति अपनी व्यवस्था को सुधार सकता है।

Doctor swati from bihar language officer in bank

जब मैं बिहार से दिल्ली पढ़ने आई तो लोगों ने मेरे चरित्र पर काफी सवाल उठाने शुरू कर दिए। मैं अपनी मेहनत के बलबूते पर आगे बढ़ रही थी परंतु लोगों की सोंच इतनी गिरी हुई थी कि उन्होंने मेरे चरित्र पर सवाल करने लगे और कहने लगे कि यह लड़की बिहार से बाहर जाकर इतना क्यों पढ़ रही है और दिल्ली के इतने बड़े संस्थान में पढ़ रही है तो वहां उसका कोई चक्कर जरुर चल रहा होगा। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बाद ही यह लड़की इन बड़े संस्थानों में पढ़ाई कर रही है। लोगों के इस तरह के बर्ताव को देखकर मुझे काफी दुख होता था।

ऐसा लगता था कि आज मैं वैसे समाज की सोच से निकालकर के बाहर आई हूं। उस जगह मैं फिर से वापस नहीं जाऊंगी। लोगों की ऐसे बर्ताव को देखकर मैंने उन सभी को अनदेखा कर के अपनी पढ़ाई जारी रखी। क्योंकि मुझे अपने भविष्य के लिए कुछ बेहतरीन करना था जिसके लिए मैं अपनी लगन और मेहनत से पढ़ाई कर रही थी।

बनी राजभाषा अधिकारी

डॉ. स्वाति बताती हैं कि मैं अपनी मेहनत और अपने बलबूते पर खूब मन लगाकर के पढ़ाई की और मैं नौकरी की तैयारी खूब मन लगाकर के कर रही थी। अपनी पढ़ाई करने के दौरान मैं बैंक में लैंग्वेज ऑफिसर का परीक्षा दी जिसमें मैं पहले ही अटेम्प्ट मैं सफल हो गई। इसके बाद मुझे इंडियन ओवरसीज बैंक चेन्नई में जॉइनिंग करने को मिली। यह मेरी सफलता का पहला पड़ाव था जिसे मैंने अपने मेहनत के दम पर हासिल की। मैंने इस इंडियन ओवरसीज बैंक में तीन साल काम की इसके बाद मैंने इससे भी कुछ बड़ा बनने का मन बना दिया था।

इसके बाद मैंने बैंक ऑफ बड़ौदा में फॉर्म अप्लाई कर दिया और फिर मैं इसके परीक्षा की तैयारी पूरी लगन और मेहनत के साथ करने लगी। जब मैं इस बैंक की परीक्षा दी और इस का रिजल्ट आया तो मैं खुशी से झूमने लगी क्योंकि मैंने यह परीक्षा भी पास कर ली थी। इसके बाद मुझे इस बैंक ने मैनेजर के पोस्ट पर न्युक्त किया गया। मैं नौकरी करने के दौरान भी साइड से कुछ अलग कर रही थी मैंने नौकरी करते हुए विभिन्न किताबों को अनुवाद किया है और उन सभी किताबों को अनुवाद करने में मुझे सरकार ने भी काफी मदद की है।

नौकरी के दौरान आज भी मेरे मन में जो भी विचार आता है उसे सोशल मीडिया पर साझा कर देती हूं। आज मेरे लेख पत्रिकाओं, अखबार और कई तरह के प्लेटफार्म पर पढ़े जाते हैं उसे लिखे जाते हैं और छपते हैं। आज मुझे खुद पर गर्व होता है कि जिस समाज में लड़कियों को घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता है उसी समाज के बीच से मैं बाहर निकलकर अपने मेहनत के दम पर इस उचाई तक पहुंच पाई हूं और लोगों की जो मेरे चरित्र के ऊपर सोच थी उसको दूर कर दी हूं।

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लड़कियां अपनी आजादी खुद चुने

स्वाति बताती हैं कि आजकल के समाज के सोच के कारण लड़कियां अपने सपने को साकार नहीं कर पाती। जब मैं घर से बाहर निकलकर आई तो मुझे समझ में आया कि लड़कियों को घर में इसलिए रखा जाता है कि वह सुरक्षित हैं परंतु लड़कियों को सुरक्षा के नाम पर उन्हें घर में बंद करके उनके सपने को भी बंद कर देते हैं। अगर लड़कियां अपने घर के दहलीज को पार नहीं करेगी तो उन्हें अपनी समस्याओं का हल कैसे मिल सकता है। इसके लिए सभी महिलाएं और पीछे समाज की लोगों को घर से बाहर निकलने का मौका जरूर देना चाहिए, जिससे वह अपने जिंदगी और अपने भविष्य के लिए कुछ कर सकें।

डॉ. स्वाति उन सभी लड़कियों और महिलाओं से कहना चाहती हैं कि अगर आप अपने घर की दहलीज को पार नहीं करेगी तो आपको अपनी जिंदगी में कभी परिवर्तन नहीं मिल पाएगा। हर महिलाओं को और लड़कियों को अपनी आजादी खुद से चुनना चाहिए और अपने हक के लिए लड़ना चाहिए। अगर आप अपने घर में एक अच्छी बहू-बेटी बनकर रहेगी तो जिंदगी में आपको कभी भी बदलाव नहीं आएगा और आप हमेशा खुद को कोसती रहेंगी। इसीलिए आप सभी अपने हक की लड़ाई जरुर लड़ें और अपने भविष्य को बेहतर बनाएं। इसके साथ-साथ स्वाति यह भी बताती है कि लड़कियां सिर्फ नौकरी करने के लिए पढ़ाई ना करें बल्कि पढ़ाई इसलिए करें कि आप खुद को एक बेहतर जिंदगी दे सकें।

प्रेरणा

डॉ. स्वाति से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम अपनी आजादी की लडाई खुद लड़ें जिससे हमें अपना भविष्य बेहतर बन सके। अगर समाज की बातों पर आप रहते हैं तो आप अपनी जिंदगी को कभी बेहतर नहीं बना पाएंगे इसलिए आप अपने सपने को साकार करने के लिए जो भी करना चाहती हैं, कर सकती है। इसके साथ-साथ समाज के उन नाकारात्मक बातों को अनदेखा करके आप अपने कार्य में लगातार आगे बढ़ते रहें और सफलता की ओर अपना ध्यान केंद्रित रखें।